भारत सरकार जनधन खातों में सुविधाएं बढ़ाने के प्लान पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार इस योजना में खाताधारकों को चेक बुक, क्रेडिट कार्ड, और बढ़ी हुई ओवरड्राफ्ट सीमा जैसी सर्विस देने पर विचार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य जनधन खातों को एक साधारण जीरो-बैलेंस खाता भर न रखकर, एक पूर्ण बैंकिंग उत्पाद में बदलना है जिससे आम नागरिकों की वित्तीय जरुरतें बेहतर तरीके से पूरी हो सकें। वर्तमान में जनधन खातों में केवल रूपे डेबिट कार्ड और सीमित ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलती है, लेकिन सरकार अब इन खातों को अधिक फंक्शनल बनाना चाहती है। चेक बुक सुविधा से खाताधारकों को औपचारिक लेन-देन में मदद मिलेगी जबकि कम लिमिट वाले सीमित क्रेडिट कार्ड से वे एमरजेंसी जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। ओवरड्राफ्ट सीमा को 10 हजार रुपये से अधिक बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि खाताधारकों को आपातकाल में बड़ी सहायता मिल सके।इन प्रस्तावित सुधारों का एक प्रमुख उद्देश्य देशभर के निष्क्रिय जनधन खातों को फिर से सक्रिय करना भी है। दिसंबर 2024 तक लगभग 11 करोड़ (110 मिलियन) जनधन खाते निष्क्रिय हो चुके हैं, यानी उनमें कोई लेन-देन नहीं हो रहा। सरकार मानती है कि जब तक खाताधारकों को बैंकिंग की पूरी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक वे इन खातों का उपयोग सीमित ही करेंगे। इसी सोच के तहत जनधन2.0 के तहत खातों को अधिक व्यवहारिक और सुविधाजनक बनाने की योजना बनाई जा रही है। वर्तमान में देशभर में 55 करोड़ से अधिक जनधन खाते हैं, जिनमें कुल 2.63 लाख करोड़ से अधिक की जमा राशि है। इनमें लगभग 55 परसेंट खाताधारक महिलाएं हैं, और लगभग 67 परसेंट खाते ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं।