भारत सरकार मेक इन इंडिया के जरिए लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही है। अमेरिका में प्रेसिडेंट डॉनाल्ड ट्रंप मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (मागा) केंपेन के जरिए कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर यही कुछ करना चाहते हैं। लेकिन चीन की कार कंपनियां ऑटो कोलोनाइजेशन की मुहिम पर निकल पड़ी हैं। ऑटो कोलोनाइजेशन यानी ऑटो इंडस्ट्री पर कब्जा करना। दुनिया के सबसे बड़े कार-कार्गो शिप ने मई के अंत में अपने पहले फेरे में जैसे ही ब्राजील के इटाजाई पोर्ट पर डॉक किया चीन की बीवाईडी का विरोध शुरू हो गया। बीवाईडी के पोर्टफोलियो में इलेक्ट्रिक और प्लग-इन हाइब्रिड मॉडल शामिल हैं एग्रेसिव प्राइस के जरिए ब्राजील के मार्केट को डॉमिनेट करना चाहती है। लेकिन ब्राजील की ऑटो-इंडस्ट्री के एक्जेक्टिव्स और लेबर लीडर्स को डर है कि बीवाईडी जैसी चीनी ऑटो कंपनियां देश के कार मार्केट को फ्लड कर लोकल मैन्युफैक्चरिंग और जॉब्स को नुकसान पहुंचाएंगी। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि जिन देशों में चीन की ईवी कंपनियों ने पांव रखे उनमें मोनोपॉली जैसा मार्केट शेयर हासिल कर लिया। दुनिया की सबसे बड़ी ईवी कंपनियों में शामिल बीवाईडी ने ब्राजील जैसे मार्केट को मेड इन चायना कारों से भर देने के लिए कार्गो शिप्स की पूरी फ्लीट तैनात कर दी है और ब्राजील उसका टॉप टारगेट है। मई के अंत में आई शिपमेंट में 22 हजार गाडिय़ां ब्राजील पहुंची थीं। जनवरी से अप्रेल के बीच कंपनी ऐसी चार कंसाइनमेंट ब्राजील में उतार चुकी है। रिपोर्ट कहती हैं कि वर्ष 2025 में मेड इन चायना कारों की करीब 2 लाख यूनिट्स ब्राजील में लैंड करेंगी जो कि साउथ अमेरिका के इस देश के कुल एलएमवी रजिस्ट्रेशन का करीब 8 परसेंट होगा। इंडस्ट्री और लेबर ग्रुप्स की शिकायत यह है कि ब्राजील के कम टैरिफ का चीन फायदा उठा रहा है। लोकल मैन्युफैक्चरिंग और जॉब्स को बचाने के लिए सरकार को ईवी इम्पोर्ट्स पर टैरिफ तुरंत 10 परसेंट से बढ़ाकर 35 परसेंट करना चाहिए। एक लेबर यूनियन लीडर एरोएल्डो डी सिल्वा कहते हैं कि दुनिया के कई देश चीनी गाडिय़ों के अपने दरवाजे बंद कर रहे हैं लेकिन ब्राजील ने ऐसा नहीं किया है। सरप्लस कैपेसिटी के कारण पिछले पांच साल में चीन ईवी एक्सपोर्ट बूम के दौर में है। वर्ष 2023 में जापान को पीछे छोड़ते हुए चीन दुनिया का टॉप ऑटो एक्सपोर्टर बन गया। सरप्लस प्रॉडक्शन को यूरोप, आसियान और लेटिन अमेरिकी देशों में ठोका जा रहा है। ब्राजील दुनिया का 6ठा सबसे बड़ा कार मार्केट है। फोक्सवैगन, जीएम, स्टीलैंटिस आदि बड़ी कंपनियां यहां दशकों से गाडिय़ां बना रही हैं। बीवाईडी के एक्सपोर्ट मार्केट में एग्रेसिव हो जाने का बहुत बड़ा कारण चीन में भयंकर कटथ्रोट प्राइस कंपीटिशन भी है। प्राइसवॉर के चलते एंट्री लेवल सीगल की प्राइस 10 हजार डॉलर से भी कम रह गई है जिससे प्रॉफिट मार्जिन दबाव में है। चीनी कार कंपनियों के एग्रेसिव एक्सपोर्ट को देखते हुए कई देशों ने रोड़े खड़े करना शुरू कर दिया है। यूरोप में 45.3 परसेंट और अमेरिका में 100 परसेंट से अधिक टैरिफ लगाने के साथ ही चीनी सॉफ्टवेयर पर भी बैन लगा दिया गया है। ब्राजील के ईवी मार्केट में तीन चीनी कंपनियों का 80 परसेंट से ज्यादा शेयर है।
