फाडा द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मई 2025 में भारत की कुल ऑटो रिटेल सेल्स सालाना आधार पर 4.43 परसेंट की मामूली ग्रोथ के साथ 45.20 लाख यूनिट्स रही। हालांकि इसमें ग्रोथ ड्राइवर टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और ट्रैक्टर रहे ना की पैसेंजर वेहीकल्स। फाडा के अनुसार मई में टू-व्हीलर की रिटेल सेल्स 7.3 परसेंट बढ़ी। वहीं थ्री-व्हीलर की 6.2 और ट्रैक्टर की 2.7 परसेंट। फाडा का मानना है कि सावों के ज्यादा दिन, रबी की अच्छी फसल और विशेष रूप से रूरल मार्केट्स में प्री-मॉनसून डिमांड इस ग्रोथ का सबसे बड़ा कारण रहा। हालांकि अप्रेल के मुकाबले मई में टू-व्हीलर सेल्स में 2.02 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई। फाडा ने कहा है कि निकट भविष्य में टू-व्हीलर और ट्रैक्टर कैटेगरी में मजबूत मांग की उम्मीद है। अच्छे मॉनसून का पूर्वानुमान और आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में हाल की 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के कारण इन कैटेगरी में सकारात्मक रुझान बना रह सकता है। हालांकि ग्लोबल सप्लाई चेन में आ रही बाधाओं को लेकर चिंता बनी हुई है। विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जरूरी रेयर-अर्थ मैगनेट्स की सप्आई पर चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध ने हालात मुश्किल कर दिए हैं। यह एक गंभीर समस्या है। बिना इन कंपोनेंट्स के गाड़ी रोलआउट नहीं हो सकती। फाडा के डेटा के अनुसार मई में पीवी सेल्स में सालाना आधार पर 3.1 परसेंट और सीवी सेल्स में 3.7 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई। अप्रेल के मुकाबले मई में पीवी सेल्स में 13.64 और सीवी में 11.25 परसेंट की गिरावट देखी गई। हालांकि पीवी की बुकिंग अच्छी रही, लेकिन मार्जिन मनी की बाधा और परचेज डिसीजन टलने के कारण सेल्स कन्वर्जर कमजोर रहा। जहां तक सीवी की बात है तो फ्रेट बुकिंग के साथ ही नकदी की कमी ने सेल्स पर असर डाला है। साथ ही भू-राजनीतिक तनाव के कारण भी सेंटिमेंट पर असर पड़ा है। फाडा के अनुसार पीवी की इन्वेंटरी अब बढक़र 52-53 दिनों तक पहुंच गई है, जबकि पहले यह लगभग 50 दिनों पर स्थिर थी।
