ऑटो इंक में पैनिक के से हालात हैं। शुक्रवार को इस शॉकवेव का असर शेयरमार्केट्स में भी दिखा। एक खबर ही तो आई थी...टेस्ला के आने की। चर्चा है कि टेस्ला 22 लाख रुपये की रेंज वाले मॉडल भारत में लाना चाहती है। जब तक प्लांट तैयार नहीं हो जाता भारत के मार्केट में टेस्ला के जर्मन प्लांट में बनी गाडिय़ां सीबीयू इंपोर्ट कर लाई जाएंगी। यदि बात सही है तो फिर खतरा है। क्योंकि ईवी में टेस्ला बिल्कुल वही है जो स्मार्टफोन में एपल। भारत में टेस्ला लॉन्च हुई नहीं कि एपल स्टोर जैसी लाइन टेस्ला स्टोर पर दिखेगी। बात टेक्नोलॉजी या क्वॉलिटी की नहीं है। खेल है ब्रांड परसेप्शन का। प्रीमियम ब्रांडफील के साथ टेस्ला देश के नीश ईवी मार्केट को तो डिसरप्ट करेगी ही। लेकिन मार्केट एनेलिस्ट सीएलएसए ने कहा है कि इंपोर्ट ड्यूटी और जीएसटी मिलाकर देखें तो टेस्ला मॉडल 3 की प्राइस 35-40 लाख रुपये की रेंज में आएगी। इस प्राइस पर मार्केट बहुत नीश हो जाता है इसलिए किसी बड़े डिसरप्शन की आशंका नहीं है। सीएलएसए ने यह भी कहा है कि टाटा, महिन्द्रा, ह्यूंदे और मारुति (अपकमिंग ई-विटारा) के मेनस्ट्रीम मॉडलों की पोजिशनिंग देखें तो टेस्ला की गाडिय़ां इनके मुकाबले 20 से 50 परसेंट प्राइस प्रीमियम पर बिकेंगी। अभी भारत में 40 हजार डॉलर से ज्यादा प्राइस वाली इंपोर्टेड ईवी पर 110 परसेंट टेक्स लगता है। लेकिन चर्चा है कि इसे घटाकर 35 हजार डॉलर से ज्यादा के मॉडलों के लिए 15 परसेंट कर सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार टेस्ला की नजर भारत में 25 हजार डॉलर से ऊपर के प्राइस ब्रेकेट को कैपिटलाइज करना चाहती है। भारत में अभी मौजूद ज्यादातर मिडसैगमेंट ईवी की प्राइस पोजिशनिंग यही है। भारत सरकार 8 हजार ईवी कारों के इंपोर्ट पर टैरिफ को घटाकर 15 परसेंट कर देने के प्लान को भी एक्सप्लोर कर रही है।
टेस्लाञ्चइंडिया : भारत सरकार ने भले ही अभी ईवी पॉलिसी को ग्रीन फ्लेग नहीं किया लेकिन मस्क-मोदी की जुगलबंदी जरूर कोई मस्त गुल खिलाएगी। वैसे टेस्ला 2016 से ही भारत में आना चाहती है। बीच में बात 2019 में चली और फिर 2022 में। अप्रेल 2024 में तो चुनावों के बीच टेस्ला वाले मस्क भारत आते-आते बीजिंग लैंड कर गए थे। प्रधानमंत्री मोदी और मस्क के बीच जरूर कुछ ना कुछ कंक्रीट बातचीत हुई है। तभी तो टेस्ला अचानक हाईपरएक्टिव मोड में आ गई। वैसे भी भारत सरकार हाल के बजट में इंपोर्ट टैरिफ को घटाकर 70 परसेंट तक ला चुकी है। चर्चा है कि फरवरी के आखिर या मार्च के शुरू में नई ईवी पॉलिसी आनी है और इसमें इंपोर्ट टैरिफ को और घटाया जा सकती है। भारत सरकार पहले 40 हजार डॉलर से ज्यादा के सीबीयू इंपोर्ट पर 110 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी वसूल रही थी। चर्चा यह भी है कंपनी महाराष्ट्र में प्लांट के लिए जगह तलाश रही है। इसके अलावा आंध्रप्रदेश भी कंपनी के रडार पर है। पहले अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप अप्रेल में भारत आने वाले थे लेकिन अब उनकी इंडिया विजिट टल गई है और माना जा रहा है कि बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति बन जाने के बाद साल के आखिर मेें आ सकते हैं। चर्चा है कि ट्रंप के साथ ही मस्क भी भारत आएंगे। पहले चर्चा थी कि टेस्ला अप्रेल में ही काम शुरू कर देगी। लेकिन अब बताया जा रहा अप्रेल में ऑपरेशन्स शुरू होंगे और दिवाली वाले फेस्टिव सीजन में टेस्ला अपने प्रॉडक्ट भारत में लॉन्च करेगी। कंपनी की नजर पहले फे•ा में दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बैंगुलुरु में सेल्स ऑपरेशन्स शुरू करने की है। टेस्ला कितनी तेजी से इंडिया प्लान को फाइनट्यून कर रही है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकती है कि कंपनी ने मुंबई के पास एक पोर्ट पर जर्मनी से आने वाली पहली शिपमेंट लैंड कराने का प्लान बनाया है। हालांकि टेस्ला कौन-कौनसे मॉडल भारत लाएगी इसका फैसला टैरिफ एग्रीमेंट के बाद ही किया जाएगा। कंपनी कुछ मॉडल अमेरिका में बनाती है और कुछ चीन व कुछ जर्मनी में।
ईवीञ्चइंडिया : इंडस्ट्री रिपोर्ट कहती हैं कि 2024 में देश में 90354 ईवी की सेल्स हुई थी जिसमें 6.6 परसेंट यानी 5962 गाडिय़ां उन ब्रांड्स की थी जिनकी एंट्री प्राइस 20 लाख रुपये के ऊपर शुरू होती है। अभी भारत में ज्यादातर ईवी सेल्स टाटा और एमजी ब्रांड्स की है। महिन्द्रा के दो बॉर्न एसयूवी मॉडलों की बुकिंग चल रही है और जल्दी ही डिलिवरी शुरू होगी। मारुति ही ई-विटारा भी लॉन्च होनी है। हाल ही टाटा की कर्व भी मार्केट में आई है। इन तीनों ही मॉडलों की प्राइस करीब-करीब वही है जिस पर टेस्ला की नजर है। चीन की बीवाईडी से लेकर बीएमडब्ल्यू और मर्सीडीज तक इनमें शामिल हैं। हालांकि रिपोर्ट्स कहती हैं कि 2025 की क्लोजिंग तक भारत का ईवी सेल्स वॉल्यूम करीब दोगुना होकर 2 लाख यूनिट्स तक पहुंच सकता है। वर्ष 2024 में टेस्ला की ग्लोबल सेल्स करीब 18 लाख यूनिट्स की थी। सिर्फ चार साल पहले शुरू हुए भारत के ईवी मार्केट में पहले साल में केवल 3,275 गाडिय़ां ही बिकी थीं। एनेलिस्ट कहते हैं कि भारत का कार मार्केट बहुत तेजी से अपग्रेड हो रहा है और 15 से 40 लाख रुपये के प्राइस सैगमेंट में बहुत तेज ग्रोथ हो रही है। वर्ष 2022 में बिकीं लगभग 47' गाडिय़ां 10 लाख रु. से ज्यादा प्राइस सैगमेंट में थीं।
टेस्लाञ्चहाऊ: टेस्ला की शुरुआत 2003 में हुई थी और इसका नाम 19वीं सदी के दिग्गज इलेक्ट्रिकल इंजीनियर निकोला टेस्ला के नाम पर पड़ा था। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि एलन मस्क टेस्ला के ऑरिजनल फाउंडर नहीं हैं बल्कि उन्होंने 30 मिलियन डॉलर का इंवेस्ट कर कंपनी की कमान अपने हाथ में ली थी। टेस्ला की शुरुआत अमेरिकी आंत्रप्रेन्यॉर मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टार्पनिंग ने की थी। टेस्ला के पहले मॉडल रोडस्टर का प्रोटोटाइप 2006 में तैयार हुआ था और 2008 में इसका प्रॉडक्शन शुरू हुआ था। लेकिन 98 हजार डॉलर की प्राइस पर आई रोडस्टर की जून 2009 तक केवल 500 यूनिट्स ही बिक पाई थीं। टेस्ला की असली ग्रोथ 2017 में मॉडल3 की लॉन्च के साथ हुई थी जो 2020 में मोस्ट पॉपुलर प्लग-इन इलेक्ट्रिक कार बनने में कामयाब रही थी। 2021 में कंपनी ने 5 लाख यूनिट्स की ग्लोबल सेल्स के बड़े माइलस्टोन को पार किया था। वर्ष 2023 और 2024 में कंपनी की ग्लोबल सेल्स 18-18 लाख यूनिट्स रही है।