अमेरिका के चीन पर 125 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाने से कपड़ा, चमड़ा, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों के भारतीय उत्पादों को अमेरिका में अधिक प्रतिस्पर्धी बनने का मौका मिल सकता है। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, लाभ अल्पकालिक हो सकते हैं, जब तक कि भारत अपने एक्सपोर्ट परिवेश को मजबूत करने, अनुपालन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और अमेरिकी खरीदारों के साथ संबंध बनाने के लिए इस अवसर का सक्रिय रूप से फायदा नहीं उठाता। इसने सुझाव दिया कि सरकार ब्याज समकारी योजना को पुन: लागू करे, ताकि छोटी कंपनियों को सस्ता कार्यशील पूंजी ऋण उपलब्ध कराया जाए और सीमा शुल्क के जरिये एक्सपोर्ट में तेजी लाई जा सके। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि नए कार्यकारी आदेश में उल्लिखित देश-विशिष्ट शुल्क को 90 दिन के लिए टालना भारतीय एक्सपोर्टकों के लिए अवसर प्रदान करता है। चीनी वस्तुओं पर अब 125 प्रतिशत तक का भारी शुल्क लगेगा, जबकि भारत से आयात पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त मूल शुल्क लगेगा। उन्होंने कहा, इस अस्थायी राहत से भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिल सकती है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां भारत चीन के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा करता है, जैसे कपड़ा, चमड़े का सामान, इंजीनियरिंग से जुड़ी चीजें और इलेक्ट्रॉनिक। इन क्षेत्रों में भारत की चीन के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा है। उन्होंने भारतीय एक्सपोर्टकों से कहा कि वे नए अमेरिकी कार्यकारी आदेश और सीमा शुल्क दिशानिर्देशों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करें, ताकि यह समझा जा सके कि किन उत्पादों पर नए शुल्क लगेंगे और किन पर छूट होगी तथा इसकी समय-सीमा क्या होगी। श्रीवास्तव ने कहा कि आदेश में संशोधन के अनुसार, यदि किसी उत्पाद में कम से कम 20 प्रतिशत अमेरिकी घटक हैं तो केवल गैर-अमेरिकी हिस्से पर ही शुल्क लगाया जाएगा, बशर्ते मूल्य विभाजन स्पष्ट रूप से घोषित किया गया हो। आर्थिक शोध संस्थान ने स्पष्ट किया, पांच अप्रैल से पहले अमेरिका पहुंच चुके और 27 मई तक अमेरिका पहुंचने वाले सामानों पर नए शुल्क नहीं लगेंगे। पांच अप्रैल से नौ अप्रैल के बीच भेजे गए सामानों पर एक समान 10 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा, जिससे देश-विशिष्ट शुल्कों में वृद्धि नहीं होगी।