सोने की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि से देश का सोना इंपोर्ट मार्च में 192.13 प्रतिशत बढक़र 4.47 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 में सोने का इंपोर्ट 1.53 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। वित्त वर्ष 2024-25 में कुल मिलाकर इंपोर्ट 27.27 प्रतिशत बढक़र 58 अरब डॉलर हो गया जबकि 2023-24 में यह 45.54 अरब डॉलर था। इंपोर्ट में वृद्धि से संकेत मिलता है कि निवेशकों का इस कीमती धातु पर भरोसा मजबूत है, क्योंकि यह एक सुरक्षित परिसंपत्ति है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सोने की ओर परिसंपत्ति का विविधीकरण, बैंकों की ओर से बढ़ती मांग और कीमतों में उछाल इसके अन्य कारण हो सकते हैं। राष्ट्रीय राजधानी में 17 अप्रैल को सोने की कीमत 70 रुपये बढक़र 98,170 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। डॉलर के कमजोर होने, व्यापार युद्ध के बढ़ते तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शुल्क घोषणाओं के बाद वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर बढ़ती चिंताओं के कारण कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं। हालांकि, चांदी की कीमत 1,400 रुपये की गिरावट के साथ 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी की कीमत 99,400 रुपये प्रति किलोग्राम रही थी। चांदी का इंपोर्ट मार्च में 85.4 प्रतिशत घटकर 11.93 करोड़ डॉलर रह गया। यह 2024-25 में सालाना आधार पर 11.24 प्रतिशत घटकर 4.82 अरब डॉलर रह गया। करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ स्विट्जरलैंड सोने के इंपोर्ट का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (16 प्रतिशत से अधिक) और दक्षिण अफ्रीका (लगभग 10 प्रतिशत) का स्थान है। देश के कुल इंपोर्ट में सोने की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत है। मात्रा के लिहाज से इंपोर्ट 2024-25 में घटकर 757.15 टन रह गया, जबकि 2023-24 में यह 795.32 टन था। सोने का इंपोर्ट फरवरी में करीब 62 प्रतिशत घटा था जबकि जनवरी में इसमें 40.8 प्रतिशत और दिसंबर 2024 में 55.39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। सोने के इंपोर्ट में उछाल से देश का व्यापार घाटा (इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के बीच का अंतर) मार्च में 21.54 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 282.82 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है। इंपोर्ट मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करता है। इस महीने के दौरान रत्न व आभूषण एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 10.62 प्रतिशत बढक़र करीब तीन अरब डॉलर हो गया। हालांकि, यह 2023-24 में 32.7 अरब डॉलर से 8.84'घटकर 2024-25 में 29.82 अरब डॉलर रह गया।