विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को गंभीर नुकसान पहुंचने की आशंका जताई है। डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने कहा कि इस वैश्विक व्यापार अनिश्चितता के नकारात्मक व्यापक आर्थिक प्रभाव केवल अमेरिका और चीन तक ही सीमित नहीं रहेंगे बल्कि अन्य अर्थव्यवस्थाओं, खासकर सबसे कम विकसित देशों तक भी इनका असर देखने को मिलेगा। विश्व व्यापार में अमेरिका और चीन के बीच होने वाले व्यापार की हिस्सेदारी करीब तीन प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि दोनों देशों के व्यापार संबंधों में किसी भी तरह का तनाव वैश्विक व्यापार के लिए बड़े नुकसान का कारण बन सकता है। पिछले कुछ दिनों में दुनिया की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर लगातार शुल्क लगाती जा रही हैं जिससे व्यापार युद्ध गहराता जा रहा है। जहां अमेरिका ने चीन पर 125' शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है, वहीं चीन ने उस पर 84' शुल्क लगाने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच यह ‘जैसा को तैसा’ वाले नजरिये का व्यापक निहितार्थ है और यह वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।’’ डब्ल्यूटीओ महानिदेशक ने कहा, ‘‘नवीनतम घटनाओं के आधार पर हमारा आकलन है कि अगर आगे भी तनाव बढ़ता है तो पर्याप्त जोखिम पैदा हो सकते हैं।’’ 166-सदस्यीय डब्ल्यूटीओ व्यापार संबंधी मुद्दों पर संवाद का एक महत्वपूर्ण मंच है और इन मुद्दों को एक सहकारी ढांचे के भीतर हल करना जरूरी है। व्यापार विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से दोनों देशों में भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए अवसर पैदा हो सकते हैं।