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15-12-2025

पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस क्षेत्र के नए नियम अधिसूचित, एक ही लीज पर होंगे सभी काम

  •  सरकार ने पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस नियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है। जिससे तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक नियामकीय ढांचा लागू हो गया है। यह कदम हाल ही में पारित तेलक्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 के तहत उठाया गया है। नए नियम कई लाइसेंसों की जरूरत वाली पुरानी प्रणाली को हटाकर एकल पेट्रोलियम लीज व्यवस्था लेकर आए हैं। इसके दायरे में शेल समेत सभी हाइड्रोकार्बन उत्पादों के अन्वेषण, विकास और उत्पादन को रखा गया है। लीज की अवधि अधिकतम 30 वर्ष तक होगी और इसे तेल-क्षेत्र के पूरे आर्थिक जीवनकाल तक बढ़ाया जा सकेगा। उल्लंघन पर आपराधिक दंड के प्रावधान हटा दिए गए हैं और उनके स्थान पर 25 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया है जबकि बार-बार उल्लंघन पर 10 लाख रुपये रोजाना का जुर्माना लगेगा। इसके अलावा, परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए लीज होल्डर को बुनियादी ढांचा साझा करने की छूट भी होगी। पर्यावरणीय प्रावधानों के तहत अतिरिक्त गैस को जलाकर छोडऩे की घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी के लिए समयबद्ध योजना बनाना अनिवार्य किया गया है।  पेट्रोलियम लीज के लिए आवेदनों का निपटारा अब 180 दिनों में किया जाएगा जबकि विवादों का निपटारा त्वरित व्यवस्था और विदेशी निवेशकों के लिए तटस्थ मध्यस्थता स्थल के माध्यम से किया जा सकेगा। पेट्रोलियम उद्योग सुरक्षा निदेशालय को समुद्री क्षेत्र में होने वाले तेल एवं गैस उत्खनन की सुरक्षा, ऑडिट और मानक निर्धारण के लिए सक्षम प्राधिकरण घोषित किया गया है। पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नए नियम जारी होने को  ऐतिहासिक बताते हुए कहा, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस नियम, 2025 ने व्यवसाय और संचालन में आसानी प्रदान की है। अब लीज होल्डर एक ही लीज के तहत खनिज तेल से जुड़ी सभी गतिविधियां संचालित कर सकते हैं और कार्बन-कटौती एवं समग्र ऊर्जा परियोजनाओं को लागू कर सकते हैं। लीज होल्डर को अपनी ढांचागत क्षमता की वार्षिक रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी और नियमों के तहत उन्हें सहमति से संयुक्त रूप से सुविधाएं विकसित या साझा करने की अनुमति दी गई है। वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने इस पर कहा, यह नियम भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार है। अब दुनिया भारत की विशाल अप्रयुक्त हाइड्रोकार्बन क्षमता को वास्तविक निवेश और उत्पादन में बदलते हुए देख सकती है। इससे घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी, जिससे सबसे गरीब उपभोक्ताओं को सीधे लाभ मिलेगा। अग्रवाल ने कहा कि नए नियमों के लागू होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्वदेशी उत्पादन में बड़ा बदलाव आने की संभावना है और देश कम-से-कम 50 प्रतिशत ऊर्जा की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित कर सकेगा।

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पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस क्षेत्र के नए नियम अधिसूचित, एक ही लीज पर होंगे सभी काम

 सरकार ने पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस नियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है। जिससे तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक नियामकीय ढांचा लागू हो गया है। यह कदम हाल ही में पारित तेलक्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 के तहत उठाया गया है। नए नियम कई लाइसेंसों की जरूरत वाली पुरानी प्रणाली को हटाकर एकल पेट्रोलियम लीज व्यवस्था लेकर आए हैं। इसके दायरे में शेल समेत सभी हाइड्रोकार्बन उत्पादों के अन्वेषण, विकास और उत्पादन को रखा गया है। लीज की अवधि अधिकतम 30 वर्ष तक होगी और इसे तेल-क्षेत्र के पूरे आर्थिक जीवनकाल तक बढ़ाया जा सकेगा। उल्लंघन पर आपराधिक दंड के प्रावधान हटा दिए गए हैं और उनके स्थान पर 25 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया गया है जबकि बार-बार उल्लंघन पर 10 लाख रुपये रोजाना का जुर्माना लगेगा। इसके अलावा, परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए लीज होल्डर को बुनियादी ढांचा साझा करने की छूट भी होगी। पर्यावरणीय प्रावधानों के तहत अतिरिक्त गैस को जलाकर छोडऩे की घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी के लिए समयबद्ध योजना बनाना अनिवार्य किया गया है।  पेट्रोलियम लीज के लिए आवेदनों का निपटारा अब 180 दिनों में किया जाएगा जबकि विवादों का निपटारा त्वरित व्यवस्था और विदेशी निवेशकों के लिए तटस्थ मध्यस्थता स्थल के माध्यम से किया जा सकेगा। पेट्रोलियम उद्योग सुरक्षा निदेशालय को समुद्री क्षेत्र में होने वाले तेल एवं गैस उत्खनन की सुरक्षा, ऑडिट और मानक निर्धारण के लिए सक्षम प्राधिकरण घोषित किया गया है। पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नए नियम जारी होने को  ऐतिहासिक बताते हुए कहा, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस नियम, 2025 ने व्यवसाय और संचालन में आसानी प्रदान की है। अब लीज होल्डर एक ही लीज के तहत खनिज तेल से जुड़ी सभी गतिविधियां संचालित कर सकते हैं और कार्बन-कटौती एवं समग्र ऊर्जा परियोजनाओं को लागू कर सकते हैं। लीज होल्डर को अपनी ढांचागत क्षमता की वार्षिक रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी और नियमों के तहत उन्हें सहमति से संयुक्त रूप से सुविधाएं विकसित या साझा करने की अनुमति दी गई है। वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने इस पर कहा, यह नियम भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार है। अब दुनिया भारत की विशाल अप्रयुक्त हाइड्रोकार्बन क्षमता को वास्तविक निवेश और उत्पादन में बदलते हुए देख सकती है। इससे घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी, जिससे सबसे गरीब उपभोक्ताओं को सीधे लाभ मिलेगा। अग्रवाल ने कहा कि नए नियमों के लागू होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्वदेशी उत्पादन में बड़ा बदलाव आने की संभावना है और देश कम-से-कम 50 प्रतिशत ऊर्जा की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित कर सकेगा।


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