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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

03-07-2025

रिलायंस कम्युनिकेशन के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करेगा एसबीआई

  •  सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करने और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को रिपोर्ट करने का फैसला किया है। रिलायंस कम्युनिकेशंस ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि उसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से इस संबंध में 23 जून, 2025 का एक पत्र मिला है। सूचना के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी अनुषंगी कंपनियों को बैंकों से कुल 31,580 करोड़ रुपये का कर्ज मिला था। बैंक की ‘धोखाधड़ी पहचान समिति’ को कर्ज के उपयोग में गड़बड़ी मिली है। एसबीआई ने बताया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि एसबीआई ने कंपनी के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में दर्ज करने और आरबीआई के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार अनिल अंबानी का नाम केंद्रीय बैंक को रिपोर्ट करने का फैसला किया है। रिलायंस कम्युनिकेशन फिलहाल परिसमापन प्रक्रिया से गुजर रही है। समिति ने पाया कि कुल ऋण में से 13,667.73 करोड़ रुपये यानी करीब 44 प्रतिशत का उपयोग कर्ज और अन्य दायित्वों के पुनर्भुगतान में किया गया। कुल ऋण का 41 प्रतिशत यानी 12,692.31 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग संबंधित पक्षों को भुगतान करने के लिए किया गया

     शेयर बाजार को दी गई सूचना में बताया गया कि 6,265.85 करोड़ रुपये का उपयोग अन्य बैंक कर्ज को चुकाने के लिए किया गया और 5,501.56 करोड़ रुपये का भुगतान संबंधित या जुड़े पक्षों को किया गया, जो स्वीकृत उद्देश्यों से संरेखित नहीं थे। इसके अलावा, देना बैंक से 250 करोड़ रुपये के ऋण (जो वैधानिक बकाया के लिए था) का इस्तेमाल स्वीकृत उपयोग के अनुरूप नहीं किया गया। ऋण को रिलायंस कम्युनिकेंशन समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरसीआईएल) को अंतर-कॉरपोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में हस्तांतरित कर दिया गया और बाद में  दावा किया गया कि इसका उपयोग बाह्य वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) चुकाने के लिए किया गया है। समिति ने पाया कि पूंजीगत व्यय को पूरा करने के लिए आईआईएफसीएल द्वारा 248 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया था, लेकिन कंपनी ने ऋण चुकाने के लिए रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल) को 63 करोड़ रुपये और आरआईईएल को 77 करोड़ रुपये का भुगतान किया। रिपोर्ट में कहा गया, लेकिन इन कंपनियों को सीधे धन का हस्तांतरण करने के बजाय इसे आरसीआईएल के जरिये भेजा गया, इसका कारण प्रबंधन या अनिल अंबानी की ओर से नहीं बताया गया है। ये (देना बैंक और आईआईएफसीएल ऋण का उपयोग) कोष का दुरुपयोग और विश्वासघात प्रतीत होता है। समिति ने आरकॉम समूह द्वारा बैंक ऋणों के संभावित मार्ग निर्धारण पर गौर किया, जिसमें मोबाइल टावर कंपनी रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल), दूरसंचार सेवा कंपनी रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (आरटीएल), रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरसीआईएल), नेटीजन, रिलायंस वेबस्टोर (आरडब्ल्यूएसएल) आदि शामिल हैं। रिपोर्ट कहती है कि आरकॉम, आरआईटीएल और आरटीएल ने कुल 41,863.32 करोड़ रुपये के आईसीडी (अंतर-कॉरपोरेट जमा) लेनदेन किए, जिनमें से केवल 28,421.61 करोड़ रुपये के उपयोग की सही जानकारी उपलब्ध है। 
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रिलायंस कम्युनिकेशन के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करेगा एसबीआई

 सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करने और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को रिपोर्ट करने का फैसला किया है। रिलायंस कम्युनिकेशंस ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि उसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से इस संबंध में 23 जून, 2025 का एक पत्र मिला है। सूचना के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी अनुषंगी कंपनियों को बैंकों से कुल 31,580 करोड़ रुपये का कर्ज मिला था। बैंक की ‘धोखाधड़ी पहचान समिति’ को कर्ज के उपयोग में गड़बड़ी मिली है। एसबीआई ने बताया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि एसबीआई ने कंपनी के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में दर्ज करने और आरबीआई के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार अनिल अंबानी का नाम केंद्रीय बैंक को रिपोर्ट करने का फैसला किया है। रिलायंस कम्युनिकेशन फिलहाल परिसमापन प्रक्रिया से गुजर रही है। समिति ने पाया कि कुल ऋण में से 13,667.73 करोड़ रुपये यानी करीब 44 प्रतिशत का उपयोग कर्ज और अन्य दायित्वों के पुनर्भुगतान में किया गया। कुल ऋण का 41 प्रतिशत यानी 12,692.31 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग संबंधित पक्षों को भुगतान करने के लिए किया गया

 शेयर बाजार को दी गई सूचना में बताया गया कि 6,265.85 करोड़ रुपये का उपयोग अन्य बैंक कर्ज को चुकाने के लिए किया गया और 5,501.56 करोड़ रुपये का भुगतान संबंधित या जुड़े पक्षों को किया गया, जो स्वीकृत उद्देश्यों से संरेखित नहीं थे। इसके अलावा, देना बैंक से 250 करोड़ रुपये के ऋण (जो वैधानिक बकाया के लिए था) का इस्तेमाल स्वीकृत उपयोग के अनुरूप नहीं किया गया। ऋण को रिलायंस कम्युनिकेंशन समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरसीआईएल) को अंतर-कॉरपोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में हस्तांतरित कर दिया गया और बाद में  दावा किया गया कि इसका उपयोग बाह्य वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) चुकाने के लिए किया गया है। समिति ने पाया कि पूंजीगत व्यय को पूरा करने के लिए आईआईएफसीएल द्वारा 248 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया था, लेकिन कंपनी ने ऋण चुकाने के लिए रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल) को 63 करोड़ रुपये और आरआईईएल को 77 करोड़ रुपये का भुगतान किया। रिपोर्ट में कहा गया, लेकिन इन कंपनियों को सीधे धन का हस्तांतरण करने के बजाय इसे आरसीआईएल के जरिये भेजा गया, इसका कारण प्रबंधन या अनिल अंबानी की ओर से नहीं बताया गया है। ये (देना बैंक और आईआईएफसीएल ऋण का उपयोग) कोष का दुरुपयोग और विश्वासघात प्रतीत होता है। समिति ने आरकॉम समूह द्वारा बैंक ऋणों के संभावित मार्ग निर्धारण पर गौर किया, जिसमें मोबाइल टावर कंपनी रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल), दूरसंचार सेवा कंपनी रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (आरटीएल), रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरसीआईएल), नेटीजन, रिलायंस वेबस्टोर (आरडब्ल्यूएसएल) आदि शामिल हैं। रिपोर्ट कहती है कि आरकॉम, आरआईटीएल और आरटीएल ने कुल 41,863.32 करोड़ रुपये के आईसीडी (अंतर-कॉरपोरेट जमा) लेनदेन किए, जिनमें से केवल 28,421.61 करोड़ रुपये के उपयोग की सही जानकारी उपलब्ध है। 

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