इंडियन स्टॉक मार्केट्स में पोस्ट-कोविड लगातार जारी तेजी के माहौल में अधिक रिटर्न अर्जित करने की उम्मीद में इंवेस्टरों की दिलचस्पी डिस्क्रीशनरी पोर्टफोलियो मेनेजमेंट सर्विसेज (क्करूस्) में तेजी से बढ़ी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 5 वर्ष में ही क्करूस् के तहत एसेटर््स अंडर मेनेजमेंट (PMS) डबल हो गए हैं। अप्रेल 2020 में ्ररू का लेवल 15 लाख करोड़ रुपये था वहीं अप्रेल 2025 में 32 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यही नहीं पिछले 2 वर्ष में डिस्क्रीशनरी क्करूस् में इंवेस्टरों की संख्या भी 1.22 लाख के मुकाबले 58 प्रतिशत बढक़र 1.92 लाख हो गई है। एक्सपटर््स के मुताबिक 2 तरह के इंवेस्टर्स पिछले कुछ समय से क्करूस् के प्रति दिलचस्पी ले रहे हैं। पहली कैटेगरी में ऐसे इंवेस्टर हैं जिनका म्यूचुअल फंड्स में बड़ा एक्सपोजर है पर जो शॉर्प व कस्टमाइज्ड सर्विसेज चाहते हैं। दूसरी कैटेगरी उन इंवेस्टरों की है जिन्होंने सेल्फ-मेनेज्ड पोर्टफोलियो में एवरेज रिटर्न हासिल किए हैं व अब यह इंवेस्टर प्रोफेशनल्स के पास शिफ्ट होना चाहते हैं। पोर्टफोलियो मेनेजमेंट सर्विसेज ऑफर करने वाली एक कंपनी की क्करूस् हैड के मुताबिक 2020 के बाद बड़ी संख्या में इंवेस्टर शेयर बाजारों से जुड़े हैं। पर 2023 में आए करेक्शन के बाद कई इंवेस्टर क्करूस् व म्यूचुअल फंड्स जैसे एक्सपर्ट मेनेज्ड सोल्यूशंस पर शिफ्ट हुए हैं। हालांकि क्करूस् का रिटर्न इतना बेहतर नहीं रहा है। पिछले वर्ष 195 इक्विटी PMS ने केवल 7.8 प्रतिशत का एवरेज रिटर्न दिया जबकि निफ्टी-50 इंडेक्स में इस दौरान 10 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। दिलचस्प रूप से क्करूस् में आ रहे इन्फ्लो का एक बड़ा हिस्सा असल में फिक्स्ड इनकम कैटेगरी में आ रहा है। 30 अप्रेल 2025 को कुल 32.08 लाख करोड़ रुपये के डिस्क्रीशनरी क्करूस् एयूएम में से 85 प्रतिशत या 27.05 लाख करोड़ रुपये लिस्टेड डेब्ट में इंवेस्टेड थे व केवल 11 प्रतिशत या 3.52 लाख करोड़ रुपये ही लिस्टेड इक्विटी में इंवेस्टेड थे। शेष एयूएम अनलिस्टेड डेब्ट, अनलिस्टेड स्ट्रक्चर्ड डेब्ट, अनलिस्टेड इक्विटी व म्यूचुअल फंड्स से रिलेटेड है।बाजारों के जानकारों का कहना है कि वर्ष 2023 में डेब्ट म्यूचुअल फंड्स पर से Indexation बेनेफिट को हटाए जाने व घटती ईल्ड्स के चलते इंवेस्टर PMS व अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड्स (AIF) की ओर शिफ्ट हुए हैं। ऐसे इंवेस्टरों का प्रमुख फोकस इंफ्लेशन को मात देते हुए उसके ऊपर 7-7.5 प्रतिशत का पोस्ट-टैक्स रिटर्न अर्जिन करना है। इनके लिए प्रमुख प्रायोरिटी Capital Protection है।
