गुजरात में एक जुलाई से खाद्य सुरक्षा अधिनियम में सरकार कुछ संशोधन किया है, जिसमें एक बार खाद्य तेल का उपयोग करने पर बार-बार पुन: तलने से जहरीले तत्व की उपस्थिति आ रही है, इससे खतरनाक बीमारी हो रही है, इस स्थिति में बार-बार तलते हुए पाए जाने पर आजीवन कारावास हो सकता है। भारत सरकार एक जुलाई से गुजरात में खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन लागू किया है। गुजरात सरकार ने तले हुए तेल में जहरीले तत्वों की मात्रा की जांच के लिए विशेष मशीन के द्वारा एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। सामान्यत: देखने में आता है कि ज्यादातर होटल से खोमचों तक एक ही तेल में बार-बार खाना तलते हैं, उस तेल का उपयोग तब भी करते रहते हैं, जब तक वह काला पडक़े समाप्त न हो जाए, ऐसा तेल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है, इसलिए इस पर रोक लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा में एक विशेष संशोधन किया गया है, इसे एक जुलाई से पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त हेमंत कौशिया के अनुसार बार-बार उबाला गया तेल, आर्सैनिक युक्त हो जाता है, यानी या विषाक्त हो जाता है। इसकी जांच के लिए एक विशेष प्रकार की टोटल पोलराइजेशन काउंट मशीन खरीदी गई है, जो नोजोल को तेल में डालते ही टीपीसी अकाउंट सामने आ जाएगा। अगर स्कोर 25 प्रतिशत से ज्यादा है, तो तेल को खराब और सुरक्षित घोषित कर दिया जाएगा और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। इस कानून के तहत असुरक्षित तेल का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लागू होने से पहले ही गुजरात के राजकोट सूरत वापी बलसाड और अहमदाबाद में तलने के तेल के 200 रुपए से ज्यादा नमूने लिए गए थे, इस पायलट प्रोजेक्ट में 27 प्रतिशत नमूने फेल पाए गए हैं तथा एक जुलाई से सुरक्षा अधिकारी ऐसी सभी दुकानों होटलों एवं ट्रकों खोमचो फास्ट फूड पार्लरों में छापेमारी कर तेल की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दिए हैं।