नए मखाने की आवक बिहार की मंडियों में शुरू हो गई है, लेकिन प्रेशर नहीं बनने के बावजूद भी दहशत में बाजार धीरे-धीरे टूटने लगे हैं। दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों में भी रक्षाबंधन श्री कृष्ण जन्माष्टमी की मांग निकलने लगी है, लेकिन यहां भी बाजार 50/100 रुपए प्रति किलो घट गया है तथा अभी बाजार 200 रुपए और नीचे जा सकता है। मखाने की नई फसल पिछले 10-12 दिनों से बिहार के पूर्णिया दरभंगा गुलाब बाग समस्तीपुर काढ़ागोला एवं बंगाल के गेराबाड़ी मालदा दालखोला हरदा हरिशचंद्रपुर आदि उत्पादक मंडियों में शुरू हो गई है, लेकिन उक्त अवधि के अंतराल क्वालिटी छोटे दाने की एवं पीली आ रही है, इन सब के बावजूद भी नए सीजन के मखाने में मुहूर्त के लिए कारोबारी थोड़ा-थोड़ा माल खरीदते जा रहे हैं। यही कारण है कि पिछले दिनों नीचे के भाव से 125/150 रुपए प्रति किलो तक तेजी आ गई थी, लेकिन पिछले तीन दिन के अंतराल पुन: टूट कर भाव हरदा मंडी में 820/830 रुपए एवं पूर्णिया में 750/780 रुपए प्रति किलो के बीच क्वालिटी के अनुसार भाव रह गए हैं। गेरा बाड़ी लाइन में भी 770/790 रुपए के बीच व्यापार हो रहा है। अभी गुडिय़ा के भाव 17/18 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहे हैं, लेकिन मंडियों में आवक का प्रेशर नहीं है, केवल दहशत के चलते बाजार टूटता जा रहा है। हम मानते हैं कि बिहार बंगाल के उक्त तराई वाली मंडियों में उत्पादन मखाने का इस बार बंपर आने की संभावना है तथा कुछ क्षेत्रों में डेढ़ गुनी एवं कुछ क्षेत्रों में पौने दोगुनी तक फसल की खबर आ रही है। इस समय श्री कृष्ण जन्माष्टमी एवं रक्षाबंधन की खपत अधिक रहती है। दिल्ली मंडी में भी व्यापार धीरे-धीरे निकलने लगा है, लेकिन उस हिसाब से ग्राहकी नहीं आ रहा है। यहां भी नये माल की दहशत से कारोबारी भाव घटाकर माल बेचने लगे हैं। जो मखाना 1150 रुपए नया माल यहां हाल ही में बिका था, उसके भाव टूटकर 1100 रुपए रह गए हैं तथा उसी माल के भाव कुछ व्यापारी 1050 रुपए भी बोलने लगे हैं, जबकि व्यापार उस हिसाब से नहीं है। त्यौहारी खपत के लिए मांग शुरू हो गई है, लेकिन उससे ज्यादा बिकवाली का प्रेशर होने से अभी बाजार 200 रुपए प्रति किलो और घट जाने की संभावना बन गई है। अत: अभी स्टॉक के लिए बिल्कुल व्यापार नहीं करना चाहिए। मखाने की फसल चौतरफा बहुत बढिय़ा है, जो मीडियम माल इस समय उत्पादक मंडियों में 800 रुपए प्रति किलो चल रहा है, वह कम से कम 650 रुपए घटने के बाद ही व्यापार लाभदायक रहेगा तथा रिस्क पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। उत्पादक मंडियों में वर्तमान भाव में क्वालिटी बढिय़ा अभी अगस्त में आएगी, जुलाई का महीना शॉर्टेज में रहेगा। इधर खपत भी रहेगी, लेकिन नए माल की मानसिक दहशत में बाजार तेज नहीं होगा। संयोग वश यहां से जुलाई में तेज होने पर अपना माल निकाल देना चाहिए, अन्यथा मखाना गले में फंस जाएगा।