कमोडिटी व्यापार में अफवाहें कैसे फैलती हैं? घाटे में चल रहे लोगों का एक समूह इक_ा होकर बाजार में असत्य या अर्धसत्य फैलाता है, मूर्ख लोग उनका प्रचार करते हैं और भोले-भाले या नए निवेशक उन्हें स्वीकार कर उनका अनुकरण करते हैं। ऐसी घटनाएं वर्ष 2021 में सोयाबीन सहित कुछ कृषि जिंसों के वायदा पर प्रतिबंध लगाने का कारण बनीं। जिसका दर्द आज भी किसान और मिल मालिक झेल रहे हैं। आज जब सोयाबीन का वायदा नहीं है तो हर कोई समझता है कि उनके व्यापार का जोखिम बहुत बढ़ गया है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने ‘स्मार्ट’ परियोजना के माध्यम से किसानों को हेजिंग के बारे में शिक्षित करने के लिए हेजिंग डेस्क शुरू की है, लेकिन किसान सवाल करते हैं कि अगर वायदा नहीं चल रहा है तो हेजिंग कहां है? इसीलिए एक बार फिर महाराष्ट्र के किसानों ने सोयाबीन वायदा फिर से शुरू करने की मांग की है। सोयाबीन की बुआई हाल ही में शुरू हुई है, इसलिए स्पॉट मार्केट में सोयाबीन की आय का बोझ कम होने के बावजूद सोयाबीन के भाव नीचे तक गिर चुके हैं। केंद्र सरकार ने मई-2025 के अंत में आगामी खरीफ सीजन के लिए सोयाबीन के समर्थन मूल्य में 436 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की है। इसलिए किसानों को आगामी सीजन में सोयाबीन के एमएसपी की दर से 5328 रुपये प्रति क्विंटल मिलना चाहिए। लेकिन फिलहाल मौजूदा बाजारों में प्रति क्विंटल सोयाबीन का भाव 4400 रुपये से 4550 रुपये के बीच है। ऐसे में कोई भी मिलर या व्यापारी किसान को समर्थन मूल्य पर भुगतान नहीं करेगा। किसानों को यह भाव सीजन के दौरान सरकार द्वारा की जाने वाली खरीद से ही मिलने की उम्मीद है, लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि सरकार खरीद कब और कितने टन करेगी? सरकार ने सोयाबीन किसानों के लिए उत्पादन लागत की गणना की है और एक तालिका बनाई है जिससे किसानों को 50 प्रतिशत तक लाभ मिल सकता है। लेकिन एक बार फिर, भारत के कुल सोयाबीन उत्पादन का कितना हिस्सा सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदेगी? पिछले साल के आंकड़ों पर गौर करें तो सरकार ने अनुमान लगाया था कि भारत में 133 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होगा। इसके मुकाबले फरवरी-25 के अंत तक बमुश्किल 15 लाख टन सोयाबीन समर्थन मूल्य पर खरीदा गया। जिसमें से सबसे ज्यादा 8.40 लाख टन की खरीद महाराष्ट्र से हुई। जबकि बाकी खरीद राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुई। गुजरात में सिर्फ 48,000 टन की खरीद हुई। साल 2021 में वायदा पर प्रतिबंध लगने के बाद सोयाबीन का भाव सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य से शायद ही कभी ज्यादा हुआ हो। देशभर में सोयाबीन की बुआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक 32.04 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई है। जो पिछले साल इसी अवधि में 31.78 लाख हेक्टेयर था। अब गुजरात में भी सोयाबीन की खेती बढ़ रही है। इस बार गुजरात में अब तक 120,560 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई है। जो पिछले साल इसी अवधि में बोए गए 42,431 हेक्टेयर से 45 फीसदी ज्यादा है। आंकड़े बताते हैं कि इस बार गुजरात में सोयाबीन की खेती में काफी बढ़ोतरी होगी। भारत ने वर्ष 2023-24 और वर्ष 2024-25 में 21,33,000 और 21,27,000 टन सोयाबीन खली का निर्यात किया है। जो पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा है। भारत का निर्यात बढ़ रहा है लेकिन निर्यातकों के पास अपने सौदों के खिलाफ मूल्य जोखिम को कम करने के लिए कोई हेजिंग सुविधा नहीं है। सोयाबीन वायदा के नियमों में अगर कोई दिक्कत है तो उसे बदला जा सकता है। लेकिन किसानों के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग की सुविधा की तत्काल जरूरत है क्योंकि खेती बढऩे के साथ उत्पादन भी बढ़ेगा और सोयाबीन की कीमतें नए निचले स्तर पर पहुंचेंगी। ऐसे में व्यापारियों और निर्यातकों के लिए भी वायदा शुरू करना जरूरी है ताकि कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचा जा सके।