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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

10-05-2025

उत्पादन घटने से जौ में और तेजी के आसार

  •  जौ का उत्पादन कम होने एवं खपत वाले उद्योगों की राजस्थान की मंडियों  से खरीद चलने से बाजार बढ़ता जा रहा है तथा वर्तमान में आई हुई फसल में प्रति हैक्टेयर 7 प्रतिशत उत्पादकता घट गई है, इसे देखते हुए और तेजी की संभावना दिखाई दे रही है। अत: इसका व्यापार इस बार भरपूर लाभ दे जाएगा। जौ में खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों की कच्ची मंडियों से ही पिछले महीने अच्छी खरीद हुई, जिससे बाजार वहां 50/75 तक बढ़ गए हैं। दूसरी ओर इसकी फसल पर जनवरी में प्रतिकूल मौसम का व्यापक प्रभाव पड़ा है। जौ की नई फसल यूपी राजस्थान मध्य प्रदेश सभी उत्पादक क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल माह में आ चुकी है, इस समय मंडियों में आवक का दबाव कम हो गया है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से राजस्थान के अलवर भरतपुर जयपुर निवाई टोंक कोटा लाइन में होता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के सतना जबलपुर मुलताई लिंगा छिंदवाड़ा जबलपुर लाइन में भी प्रचुर मात्रा में माल आता है। इधर यूपी के कानपुर बांदा हमीरपुर उन्नाव कन्नौज के साथ-साथ हाथरस बुलंदशहर अनूपशहर हापुड़ गुलावठी लाइन में भी जौ का उत्पादन होता है। विगत दो वर्षों से गेहूं के ऊंचे भाव होने से इस बार जौ की बिजाई में 15-16 प्रतिशत कम बताई जा रही है। दूसरी ओर जौ, गेहूं से पहले तैयार होता है, इसलिए 15 जनवरी से मौसम के तापमान में वृद्धि से प्रति हेक्टेयर जौ की उत्पादकता मध्य प्रदेश तथा राजस्थान दोनों ही राज्यों में घट गई है। गत वर्ष जौ का उत्पादन 22.5 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था, पुराना स्टॉक भी 3 लाख मीट्रिक टन के करीब बचा था, जो इस बार नयी फसल आने पर बिल्कुल नहीं था। इस बार खेतों में कटाई के बाद मड़ाई करने पर प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 16-17 प्रतिशत कम रही है, जिससे इसका उत्पादन 19 लाख मीट्रिक टन रह जाने का अनुमान लगाया जा रहा है तथा इसलिए सकल उपलब्धि में कम से कम 6.5 लाख मीट्रिक टन की कमी है। हम मानते हैं कि बाजारों में रुपए की भारी तंगी चल रही है, लेकिन मंडियों में 1850/1900 रुपए प्रति क्विंटल नये माल के भाव नीचे में पिछले महीने बनने के बाद वर्तमान में बढक़र 2100/2150 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं। राजस्थान में श्रीगंगानगर पहुंच में जौ 2250/2300 रुपए प्रति क्विंटल बोलने लगे हैं। दिल्ली पहुंच में अभी व्यापार कम हो रहा है, लेकिन यहां भी जो माल आ रहा है, उसके भाव 2350 से कम में बेचू नहीं है। यहां नया माल नीचे के भाव से 300 रुपए बढ़ गया है। उत्पादक मंडियों से 2300 रुपए राजस्थान पहुंच में जो जौ बिक रहा है तथा इसमें 300 रुपए प्रति कुंतल और बढऩे के आसार बन गएहैं। अत: वर्तमान भाव का जौ भरपूर लाभदायक रहेगा। दिल्ली पहुंच में 2325/2350 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव सुनने में आ रहे हैं। फिलहाल कुल मिलाकर वेयरहाउस में जौ के स्टॉक में कमी को देखते हुए आगे चलकर जौ में भरपूर तेजी की संभावना है। वर्तमान भाव में जो मंडियों में माल मिल रहा है इसकी खरीद में रिस्क नहीं है।

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उत्पादन घटने से जौ में और तेजी के आसार

 जौ का उत्पादन कम होने एवं खपत वाले उद्योगों की राजस्थान की मंडियों  से खरीद चलने से बाजार बढ़ता जा रहा है तथा वर्तमान में आई हुई फसल में प्रति हैक्टेयर 7 प्रतिशत उत्पादकता घट गई है, इसे देखते हुए और तेजी की संभावना दिखाई दे रही है। अत: इसका व्यापार इस बार भरपूर लाभ दे जाएगा। जौ में खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों की कच्ची मंडियों से ही पिछले महीने अच्छी खरीद हुई, जिससे बाजार वहां 50/75 तक बढ़ गए हैं। दूसरी ओर इसकी फसल पर जनवरी में प्रतिकूल मौसम का व्यापक प्रभाव पड़ा है। जौ की नई फसल यूपी राजस्थान मध्य प्रदेश सभी उत्पादक क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल माह में आ चुकी है, इस समय मंडियों में आवक का दबाव कम हो गया है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से राजस्थान के अलवर भरतपुर जयपुर निवाई टोंक कोटा लाइन में होता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के सतना जबलपुर मुलताई लिंगा छिंदवाड़ा जबलपुर लाइन में भी प्रचुर मात्रा में माल आता है। इधर यूपी के कानपुर बांदा हमीरपुर उन्नाव कन्नौज के साथ-साथ हाथरस बुलंदशहर अनूपशहर हापुड़ गुलावठी लाइन में भी जौ का उत्पादन होता है। विगत दो वर्षों से गेहूं के ऊंचे भाव होने से इस बार जौ की बिजाई में 15-16 प्रतिशत कम बताई जा रही है। दूसरी ओर जौ, गेहूं से पहले तैयार होता है, इसलिए 15 जनवरी से मौसम के तापमान में वृद्धि से प्रति हेक्टेयर जौ की उत्पादकता मध्य प्रदेश तथा राजस्थान दोनों ही राज्यों में घट गई है। गत वर्ष जौ का उत्पादन 22.5 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था, पुराना स्टॉक भी 3 लाख मीट्रिक टन के करीब बचा था, जो इस बार नयी फसल आने पर बिल्कुल नहीं था। इस बार खेतों में कटाई के बाद मड़ाई करने पर प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 16-17 प्रतिशत कम रही है, जिससे इसका उत्पादन 19 लाख मीट्रिक टन रह जाने का अनुमान लगाया जा रहा है तथा इसलिए सकल उपलब्धि में कम से कम 6.5 लाख मीट्रिक टन की कमी है। हम मानते हैं कि बाजारों में रुपए की भारी तंगी चल रही है, लेकिन मंडियों में 1850/1900 रुपए प्रति क्विंटल नये माल के भाव नीचे में पिछले महीने बनने के बाद वर्तमान में बढक़र 2100/2150 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं। राजस्थान में श्रीगंगानगर पहुंच में जौ 2250/2300 रुपए प्रति क्विंटल बोलने लगे हैं। दिल्ली पहुंच में अभी व्यापार कम हो रहा है, लेकिन यहां भी जो माल आ रहा है, उसके भाव 2350 से कम में बेचू नहीं है। यहां नया माल नीचे के भाव से 300 रुपए बढ़ गया है। उत्पादक मंडियों से 2300 रुपए राजस्थान पहुंच में जो जौ बिक रहा है तथा इसमें 300 रुपए प्रति कुंतल और बढऩे के आसार बन गएहैं। अत: वर्तमान भाव का जौ भरपूर लाभदायक रहेगा। दिल्ली पहुंच में 2325/2350 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव सुनने में आ रहे हैं। फिलहाल कुल मिलाकर वेयरहाउस में जौ के स्टॉक में कमी को देखते हुए आगे चलकर जौ में भरपूर तेजी की संभावना है। वर्तमान भाव में जो मंडियों में माल मिल रहा है इसकी खरीद में रिस्क नहीं है।


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