उत्पादक मंडियों में अब ज्यादा मसूर का स्टॉक नहीं है तथा आवक का दबाव भी नहीं बन पा रहा है। उधर नए सौदे कनाडा ऑस्ट्रेलिया के 15-20 डॉलर प्रति टन महंगे मिल रहे हैं, इन परिस्थितियों में नए माल प्रेशर नहीं है, इसलिए अब यहां से और बढ़त लग रही है। मसूर की फसल मध्य प्रदेश राजस्थान बिहार एवं यूपी में शत प्रतिशत कट कर कच्ची मंडियों में आ चुकी है तथा विदेशी 60 प्रतिशत खप चुकी है, पिछेती बोई हुई यूपी की फसल इस बार हल्की आई है, क्योंकि इसमें उकठा नाम का रोग लग गया था है। बीते सीजन में मसूर का उत्पादन मध्य प्रदेश के मुंगावली गंज बासौदा सागर भोपाल बीनागंज लाइन में सामान्य हुआ था, लेकिन पुराना स्टाक पूरी तरह समाप्त हो जाने से माल की शॉर्टेज है। कोटा बूंदी गोंडा बहराइच लाइन में छोटी मसूर आती है, कानपुर लाइन में भी कुछ माल आता है। इसके अलावा बिहार मोहनपुर चनपतिया फतुहा पटना लाइन में भी छोटी मसूर प्रचूर मात्रा में होता है, लेकिन अब घरेलू सभी क्षेत्रों की मसूर में यील्ड कम बैठ रहा है। दूसरी ओर जो सस्ते सौदे कनाडा ऑस्ट्रेलिया के हो रहे थे, वह भी अब वहां तेज बोलने लगे हैं। जो पहले के सौदे हैं, वही मुंदड़ा बंदरगाह पर उतर रहे हैं तथा बिकते जा रहे हैं। नई फसल पिछले महीने से आ रही है। यही कारण है कि फरवरी-मार्च शिपमेंट का आने वाला मुंदड़ा पोर्ट पर कनाडा का माल 5840/5850 रुपए प्रति कुंतल के आसपास बोलने लगे हैं। वह 6250 रुपए के आसपास यहां आकर पड़ेगा, जबकि उन मालों के भाव यहां 6150/6160 रुपए के आसपास चल रहे हैं, इन परिस्थितियों में कनाडा की मसूर आगे चलकर कुछ मजबूत हो सकता है तथा बिल्टी में जो मसूर 6600 रुपए के आसपास बिक रही है, उसके भाव भी 7000 रुपए बन सकते हैं। बीते सीजन में 16 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ है, लेकिन हमारी खपत 28 लाख मीट्रिक टन की है। जो सितंबर-अक्टूबर में वहां नई फसल आई थी, वह भी काफी बिक चुकी है। इसलिए कनाडा में ज्यादा माल नहीं है। दूसरी ओर पहले के चले कंटेनर बिके हुए हैं, वह बड़ी कंपनियों के माल है, जो बाजार में निकट भविष्य में घटाकर बिकवाली में नहीं आ रहे हैं, क्योंकि पिछले दिनों 10 प्रतिशत ड्यूटी लग जाने से यहां आयातक बढ़ा कर भाव बोलने लगे है। अत: वर्तमान भाव पर मसूर में रिस्क नहीं है, लेकिन कुछ दिन इंतजार जरूर करना पड़ सकता है।