मगज तरबूज का पिछले दो महीने में बाहरी व्यापारियों के माल औने-पौने भाव में कट चुके हैं तथा सूडान से भी आयात प्रतिबंध अभी आगे लगे रहने की संभावना है, इस वजह से बाजार 130/135 रुपए बढ़ गया है तथा आगे इसमें 100 रुपए और बढ़ जाने की संभावना है। मगज तरबूज की घरेलू फसल निकट में कोई आने वाली नहीं है। दूसरी ओर इसका आयात भी बंद है तथा निकट में खुलना सरकार के हाथ में है। मगज तरबूज अब छोटे व्यापारियों के हाथ से निकल चुका है। दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाल ही में यहां की अपेक्षा ऊंचे भाव चल रहे हैं। बाजार में चर्चा है कि सूडान से आयात पर जो प्रतिबंध लगा है, अभी तक आयात खोलने संबंधित नोटिफिकेशन नहीं आया है। इस वजह से देसी विदेशी स्टॉक के पड़े मालों की लिवाली बढ़ गई है। उधर राजस्थान की मंडियों में भी और घटाकर बिकवाल नहीं हैं। व्यापारियों का कहना है कि जो सौदे बिके थे, उसकी डिलीवरी सट्टे में भी हो चुकी है तथा ज्यादा माल डिलीवरी के लिए बाजारों में नहीं है तथा फुल मई के भी स्टोरिये काफी मगज तरबूज बेच चुके हैं, जिस कारण नीचे में जो पिछले महीने 440 रुपए प्रति किलो बिका था, उसके भाव 570 575 हो गए हैं। गौरतलब है कि मगज तरबूज पर सटोरियों का कब्जा हो चुका है तथा बाजार सट्टे के आधार पर चल रहा है। मई के बिके हुए मालों की डिलीवरी हेतु माल मंदे भाव में नहीं मिल रहे हैं। दूसरी ओर आयात खुलने की खबर नहीं मिल रही है। नीमच हाथरस लाइन से पड़ते नहीं हैं, क्योंकि वहीं पर बिहार बंगाल एवं साउथ की मांग निकलने लगी है, काजू के भाव ऊंचे होने से मगज तरबूज में हलवाइयों की भी मांग अच्छी है, इन परिस्थितियों को देखते हुए मगज तरबूज, यदि आयत नहीं खुला तो 750 रुपए प्रति किलो बिक सकता है। इस बार बाजार काफी नीचे आ चुके हैं तथा निकट में कोई और माल बंदरगाहों पर लगने वाला नहीं है। तरबूज का बीज जो आयातकों ने मंगाया था, वह लगभग सारा प्रोसैस्ड हो चुका है। अत: इन भावों में मगज तरबूज का व्यापार आगे चलकर भरपूर लाभदायक लग रहा है।