जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी इकोनॉमी है। अपने यहां से ज्यादातर न्यूक्लियर पावर प्लांट फेज आउट कर चुके जर्मनी ने विंड और सोलर पावर सैक्टर में क्या करामात की है इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि गुरुवार (1 मई) को ग्रिड में 99% बिजली ग्रीन थी। ग्रीन में भी विंड और सोलर से। नतीजा यह हुआ कि बिजली के रेट्स एक बार फिर जीरो से भी नीचे चले गए। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सरकारी छुट्टी होने के कारण जर्मनी में डिमांड घटी है साथ ही जल्दी ही हीटवेव (लू) शुरू हो जाने से सोलर पावर जेनरेशन में बढ़ोतरी हो रही है। यानी एक ओर डिमांड घट रही है दूसरी ओर जेनरेशन बढ़ रहा है। नतीजा ग्रिड में बिजली सरप्लस हो रही है और गुरुवार को दोपहर से पहले की 99' डिमांड ग्रीन एनर्जी से पूरी होने का अनुमान है। हालांकि ऐसा नहीं है कि जर्मनी में खास बात हो लेकिन असामान्य जरूर है। ग्रिड में ग्रीन पावर के इस दबदबे से ग्रीन एनर्जी शिफ्ट की ओर जर्मनी के बड़े डग (कदम) का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे एक ओर जहां कंज्यूमर को सस्ती (हर घंटे बदलने वाली रेट पर) बिजली मिल रही है लेकिन लोअर रिटर्न के कारण ग्रीन एनर्जी में इंवेस्टर और टेक्नोलॉजी डवलपर के लिए चैलेंज खड़ा हो गया है।