क्विक कॉमर्स डिलीवरी सिस्टम की बात आजकल हम सबसे ज्यादा सुन देख रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिक्री एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की हो रही है। इसमें डिजिटल फस्र्ट ब्राण्ड्स का वर्चस्व न होकर ट्रेडीशनल लीगेसी एफएमसीजी ब्राण्ड्स डॉमीनेट कर रहे हैं। ब्लिंकइट अपने प्लेटफॉर्म पर करीब 2,777 ब्राण्ड्स को लिस्ट कर रहा है और इनमें से 491 करीब अस्सी प्रतिशत सेल्स जैनरेट कर रहे हैं। डेटम इंटेलीजेंस के डेटा के अनुसार लीगेसी एफएमसीजी कम्पनियों का शेयर करीब 65 प्रतिशत है। 35 प्रतिशत डायरेक्ट-टू कन्ज्यूमर एंट्रेट्स का शेयर है। हाईफ्रीक्वेंसी कैटेगरीज में देखें तो ब्लिंकइट पर कोलगेट 47 प्रतिशत शेयर के साथ आगे हैं। सेंसोडाइन 19 प्रतिशत, डाबर, पतंजलि और क्लोजअप का शेयर सिंगल डिजिट में है। यह पैटर्न अन्य स्टेपल्स में भी समान है। इंडस्ट्री एनेलिस्ट के अनुसार कन्ज्यूमर जाने-पहचाने ब्राण्ड्स को चुनते हैं। एडवरटाइजिंग, ऑफलाइन पे्रजेंस के आधार पर जो विश्वास दशकों से कमाया गया, वही क्विक कॉमर्स में भी काम आ रहा है। डिजिटल फस्र्ट ब्राण्ड्स की फ्रीक्वेंसी कम है। शॉपर्स प्रीमियम सेगमेंट में नये लेबल्स को ट्राय करना पसंद कर लेते हैं। डीटूसी में सबसे ज्यादा 52 प्रतिशत योगदान बैग्ज का है। ज्वैलरी और ड्राय फू्रट्स 45 से 50 प्रतिशत, बाथ एंड ब्यूटी गिफ्ट्स 40 से 45 प्रतिशत, ऑडियो एसेसरीज 35 से 40 प्रतिशत और एप्लायंसेज 30 से 35 प्रतिशत का योगदान कर रहे हैं। उनके अनुसार डेटा यह बता रहे हैं कि क्विक कॉमर्स वितरण बढ़ा है और फास्ट मूविंग कन्ज्युमर गुड्ज का शेयर ज्यादा है। डी2सी ब्राण्ड्स को योगदान डिस्क्रीशनरी कैटेगरी में ज्यादा है। यह वह सेगमेंट्स हैं, जिसमें कन्ज्यूमर्स नये डीटूसी ब्राण्ड्स का चुनाव कर लेते हैं।