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14-10-2025

रिटेल पेमेंट में डिजिटल ट्रांजैक्शन का योगदान 99.8 प्रतिशत

  •  भारत के रिटेल पेमेंट में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में डिजिटल ट्रांजैक्शन का योगदान 99.8 प्रतिशत रहा, जबकि नीतिगत प्रोत्साहन, इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट और फिनटेक पेनीट्रेशन के कारण पेपर-बेस्ड इंस्ट्रूमेंट (चेक) प्रचलन से बाहर गए हैं। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), आधार-इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एईपीएस), तत्काल पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) और अन्य डिजिटल पेमेंट के नेतृत्व में रिटेल ट्रांजैक्शन में डिजिटल पेमेंट का दबदबा रहा है, जो वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही तक पेमेंट वैल्यू का 92.6 प्रतिशत और ट्रांजैक्शन की मात्रा का 99.8 प्रतिशत रहा। केयरएज एनालिटिक्स एंड एडवाइजरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह दर्शाता है कि बढ़ती इंटरनेट पहुंच और स्मार्टफोन के इस्तेमाल ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बदलाव के साथ बैंकिंग सेवाओं से वंचित आबादी को फॉर्मल डिजिटल इकोनॉमी में लाकर फाइनेंशियल इंक्लूजन को सक्षम बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते डिजिटल लेनदेन के व्यवहारिक बदलाव के पीछे यूपीआई की मुख्य भूमिका है, जिसमें वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 54.9 बिलियन ट्रांजैक्शन और वित्त वर्ष 2025 में 185.9 बिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए। वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2025 के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन 49 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़े, जो टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में तेजी से बढ़ते अडॉप्शन और गहरी पहुंच को दर्शाता है। केयरएज रिसर्च की सीनियर डायरेक्टर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 और 2025 के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन में 49 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि दर्ज की गई है, जो इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के साथ-साथ टियर 2 और टीयर 3 शहरों में इसकी गहरी पहुंच के साथ इसे तेजी से अपनाए जाने को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई के तेजी से विकास करते रहने की उम्मीद है, जिससे भारत के डिजिटल पेमेंट लैंडस्केप में इसका प्रभुत्व मजबूत होगा। रिपोर्ट के अनुसार, निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में डिजिटल ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 के 30 प्रतिशत से बढक़र वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 50 प्रतिशत हो गई है, जो यूपीआई अपनाने, नीतिगत बदलावों और बदलते उपभोक्ता व्यवहार के कारण है। इस वृद्धि के बावजूद नकदी मजबूत बनी हुई है और पीएफसीई में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत बनी हुई है।

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रिटेल पेमेंट में डिजिटल ट्रांजैक्शन का योगदान 99.8 प्रतिशत

 भारत के रिटेल पेमेंट में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में डिजिटल ट्रांजैक्शन का योगदान 99.8 प्रतिशत रहा, जबकि नीतिगत प्रोत्साहन, इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट और फिनटेक पेनीट्रेशन के कारण पेपर-बेस्ड इंस्ट्रूमेंट (चेक) प्रचलन से बाहर गए हैं। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), आधार-इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एईपीएस), तत्काल पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) और अन्य डिजिटल पेमेंट के नेतृत्व में रिटेल ट्रांजैक्शन में डिजिटल पेमेंट का दबदबा रहा है, जो वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही तक पेमेंट वैल्यू का 92.6 प्रतिशत और ट्रांजैक्शन की मात्रा का 99.8 प्रतिशत रहा। केयरएज एनालिटिक्स एंड एडवाइजरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह दर्शाता है कि बढ़ती इंटरनेट पहुंच और स्मार्टफोन के इस्तेमाल ने इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बदलाव के साथ बैंकिंग सेवाओं से वंचित आबादी को फॉर्मल डिजिटल इकोनॉमी में लाकर फाइनेंशियल इंक्लूजन को सक्षम बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते डिजिटल लेनदेन के व्यवहारिक बदलाव के पीछे यूपीआई की मुख्य भूमिका है, जिसमें वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 54.9 बिलियन ट्रांजैक्शन और वित्त वर्ष 2025 में 185.9 बिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए। वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2025 के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन 49 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़े, जो टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में तेजी से बढ़ते अडॉप्शन और गहरी पहुंच को दर्शाता है। केयरएज रिसर्च की सीनियर डायरेक्टर ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 और 2025 के बीच यूपीआई ट्रांजैक्शन में 49 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि दर्ज की गई है, जो इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के साथ-साथ टियर 2 और टीयर 3 शहरों में इसकी गहरी पहुंच के साथ इसे तेजी से अपनाए जाने को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई के तेजी से विकास करते रहने की उम्मीद है, जिससे भारत के डिजिटल पेमेंट लैंडस्केप में इसका प्रभुत्व मजबूत होगा। रिपोर्ट के अनुसार, निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में डिजिटल ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 के 30 प्रतिशत से बढक़र वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 50 प्रतिशत हो गई है, जो यूपीआई अपनाने, नीतिगत बदलावों और बदलते उपभोक्ता व्यवहार के कारण है। इस वृद्धि के बावजूद नकदी मजबूत बनी हुई है और पीएफसीई में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत बनी हुई है।


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