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11-08-2025

देश में बढ़ रही अफोर्डेबल सर्जिकल प्रोसीजर्स की डिमांड

  •  हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तकनीकी उन्नति और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती पहुंच से सर्जिकल बाजार को तेजी से बढ़ावा मिल रहा है। इसमें कहा गया है कि देश का स्वास्थ्य क्षेत्र बड़े बदलावों से गुजर रहा है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली और किफायती सर्जिकल प्रक्रियाओं की डिमांड लगातार बढ़ रही है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग तीन करोड़ सर्जरी की जाती हैं, जिसमें सामान्य सर्जरी और प्रसूति एवं स्त्री रोग सबसे प्रमुख स्पेशलिटी के रूप में उभर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में रोबोटिक सर्जरी (आरएएस) को अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और न्यूनतम इनवेसिव (छोटी चीरा लगाकर की जाने वाली) सर्जरी को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा, छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से पहुंच रही हैं, जिससे अधिक लोगों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र में इस बदलाव का एक बड़ा कारण मेडिकल ट्यूरिज्म का बढऩा भी है। भारत में कई विदेशी मरीज सर्जरी करवाने आ रहे हैं क्योंकि यहां उन्हें कम लागत में बेहतरीन चिकित्सा सेवाएं मिल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सर्जिकल बाजार फिलहाल 55 अरब डॉलर का है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। तकनीकी प्रगति और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में और तेजी आने की उम्मीद जताई गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में रोबोटिक सर्जरी का बाजार 18 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2029 तक इसका मूल्य 68 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। इसी तरह, सर्जिकल इम्प्लांट (शरीर में लगाए जाने वाले कृत्रिम अंग या उपकरण) और डिस्पोजेबल चिकित्सा उपकरणों का बाजार 2030 तक 88,700 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इनमें से घाव प्रबंधन सबसे तेजी से बढऩे वाला क्षेत्र माना जा रहा है।

    भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए हर साल लगभग 5.1 करोड़ सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसमें रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सर्जरी के परिणाम बेहतर हो रहे हैं और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल मिल रही है। इस प्रगति से मरीजों को ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी इलाज मिल रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र में कई चुनौतियां भी बनी हुई हैं। इनमें सर्जरी की लागत, नियामक प्रक्रियाओं की जटिलताएं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी शामिल हैं। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में सर्जनों की भारी कमी है, जहां 80 प्रतिशत क्षेत्रों में पर्याप्त विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, देश में चिकित्सा अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) की कमी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इन चुनौतियों को दूर करने के लिए तकनीकी निवेश और चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना भी जरूरी है ताकि वहां के लोगों को बेहतर इलाज मिल सके। भारत सर्जिकल क्षेत्र में लगातार मजबूत स्थिति बना रहा है और यह क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सरकार और स्वास्थ्य संस्थान मिलकर जरूरी सुधार करें, तो भारत न केवल अपने नागरिकों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं दे सकेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मेडिकल इनोवेशन और सर्जिकल देखभाल के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर सकता है।

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देश में बढ़ रही अफोर्डेबल सर्जिकल प्रोसीजर्स की डिमांड

 हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तकनीकी उन्नति और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती पहुंच से सर्जिकल बाजार को तेजी से बढ़ावा मिल रहा है। इसमें कहा गया है कि देश का स्वास्थ्य क्षेत्र बड़े बदलावों से गुजर रहा है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली और किफायती सर्जिकल प्रक्रियाओं की डिमांड लगातार बढ़ रही है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग तीन करोड़ सर्जरी की जाती हैं, जिसमें सामान्य सर्जरी और प्रसूति एवं स्त्री रोग सबसे प्रमुख स्पेशलिटी के रूप में उभर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में रोबोटिक सर्जरी (आरएएस) को अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और न्यूनतम इनवेसिव (छोटी चीरा लगाकर की जाने वाली) सर्जरी को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा, छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से पहुंच रही हैं, जिससे अधिक लोगों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र में इस बदलाव का एक बड़ा कारण मेडिकल ट्यूरिज्म का बढऩा भी है। भारत में कई विदेशी मरीज सर्जरी करवाने आ रहे हैं क्योंकि यहां उन्हें कम लागत में बेहतरीन चिकित्सा सेवाएं मिल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सर्जिकल बाजार फिलहाल 55 अरब डॉलर का है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। तकनीकी प्रगति और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में और तेजी आने की उम्मीद जताई गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में रोबोटिक सर्जरी का बाजार 18 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2029 तक इसका मूल्य 68 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। इसी तरह, सर्जिकल इम्प्लांट (शरीर में लगाए जाने वाले कृत्रिम अंग या उपकरण) और डिस्पोजेबल चिकित्सा उपकरणों का बाजार 2030 तक 88,700 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। इनमें से घाव प्रबंधन सबसे तेजी से बढऩे वाला क्षेत्र माना जा रहा है।

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए हर साल लगभग 5.1 करोड़ सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसमें रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, जिससे सर्जरी के परिणाम बेहतर हो रहे हैं और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल मिल रही है। इस प्रगति से मरीजों को ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी इलाज मिल रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र में कई चुनौतियां भी बनी हुई हैं। इनमें सर्जरी की लागत, नियामक प्रक्रियाओं की जटिलताएं और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी शामिल हैं। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में सर्जनों की भारी कमी है, जहां 80 प्रतिशत क्षेत्रों में पर्याप्त विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, देश में चिकित्सा अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) की कमी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इन चुनौतियों को दूर करने के लिए तकनीकी निवेश और चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना भी जरूरी है ताकि वहां के लोगों को बेहतर इलाज मिल सके। भारत सर्जिकल क्षेत्र में लगातार मजबूत स्थिति बना रहा है और यह क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सरकार और स्वास्थ्य संस्थान मिलकर जरूरी सुधार करें, तो भारत न केवल अपने नागरिकों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं दे सकेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मेडिकल इनोवेशन और सर्जिकल देखभाल के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर सकता है।


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