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09-08-2025

इंडिया में एयरपोर्ट्स पर हुआ 96,000 करोड़ का इन्वेस्टमेंट

  •  भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) ने एयर ट्रेफिक में वृद्धि के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए देश में हवाई अड्डों के विकास, अपग्रेड और आधुनिकीकरण पर वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 96,000 करोड़ रुपए से अधिक का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) किया है। यह जानकारी सरकार ने संसद को दी। इस निवेश में से एएआई का हिस्सा 25,000 करोड़ रुपए से थोड़ा अधिक है। वहीं, बाकी का निवेश निजी एयरपोर्ट डेवलपर्स/ऑपरेटर्स की ओर से किया गया है। नागर विमानन राज्य मंत्रीमुरलीधर मोहोल ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि एएआई मुख्यत: अपने संसाधनों और क्षेत्रीय संपर्क योजना जैसे उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) के पहले चरण के अंतर्गत बंद पड़े और कम सेवा वाले हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट्स और जल हवाई अड्डों के पुनरुद्धार और अपग्रेड के लिए आवंटित 4,500 करोड़ रुपए के बजट में से पूंजीगत व्यय करता है। इसके अलावा,  आरसीएस-उड़ान के दूसरे चरण में 2023-24 से 2025-26 की अवधि के दौरान अतिरिक्त हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट्स, जल हवाई अड्डों और एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स के पुनरुद्धार के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि निजी एयरपोर्ट डेवलपर्स अपने स्वयं के स्रोतों से पूंजीगत व्यय करते हैं। यह निवेश नए हवाई अड्डों, मौजूदा टर्मिनलों के विस्तार और मरम्मत, नई यात्री सुविधाओं को जोडऩे, नए टर्मिनलों, मौजूदा रनवे, एप्रन के विस्तार और सुदृढ़ीकरण और कंट्रोल टावर व तकनीकी ब्लॉक जैसे एयर नेविगेशन सेवाओं (एएनएस) के कार्यों में किया गया है। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के वित्त वर्ष 2019-20 से लेकर वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़ों के आधार पर, पिछले पांच वर्षों के दौरान एएआई और निजी एयरपोर्ट डेवलपर्स/ ऑपरेटर्स द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 में 11,742 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2021-22 में 13,294 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2022-23 में 17,879 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2023-24 में 19,260 करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2024-25 में 19,317 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हवाई अड्डों का अपग्रेड और आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है और एएआई एवं अन्य निजी एयरपोर्ट ऑपरेटर्स द्वारा समय-समय पर भूमि की उपलब्धता, व्यावसायिक व्यवहार्यता, सामाजिक-आर्थिक पहलुओं, यातायात की मांग और एयरलाइनों की हवाई अड्डों से उड़ान भरने की इच्छा के आधार पर यह कार्य किया जाता है। वित्त वर्ष 2019-20 से, एएआई और अन्य निजी एयरपोर्ट ऑपरेटर्स/ डेवलपर्स द्वारा देशभर के कई हवाई अड्डों पर हवाई अड्डा परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, गुवाहाटी, अहमदाबाद, मोपा, नवी मुंबई, नोएडा (जेवर), भोगपुरम, अयोध्या, कुशीनगर, सिंधुदुर्ग, होलोंगी, धोलेरा, देहरादून, अगरतला, पटना, विजयवाड़ा, देवघर, अमृतसर, चेन्नई और तिरुपति शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंगलोर, कोलकाता, पोर्ट ब्लेयर और सूरत, तिरुचिरापल्ली, कोल्हापुर, जबलपुर, ग्वालियर, राजकोट, लेह, हुबली, इंफाल, जोधपुर, उदयपुर, राजमुंदरी, बेलगावी, शिवमोग्गा, विजयपुरा, हसन, प्रयागराज, तूतीकोरिन, रीवा, सतना और दतिया में हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं।

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इंडिया में एयरपोर्ट्स पर हुआ 96,000 करोड़ का इन्वेस्टमेंट

 भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) ने एयर ट्रेफिक में वृद्धि के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए देश में हवाई अड्डों के विकास, अपग्रेड और आधुनिकीकरण पर वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 96,000 करोड़ रुपए से अधिक का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) किया है। यह जानकारी सरकार ने संसद को दी। इस निवेश में से एएआई का हिस्सा 25,000 करोड़ रुपए से थोड़ा अधिक है। वहीं, बाकी का निवेश निजी एयरपोर्ट डेवलपर्स/ऑपरेटर्स की ओर से किया गया है। नागर विमानन राज्य मंत्रीमुरलीधर मोहोल ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि एएआई मुख्यत: अपने संसाधनों और क्षेत्रीय संपर्क योजना जैसे उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) के पहले चरण के अंतर्गत बंद पड़े और कम सेवा वाले हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट्स और जल हवाई अड्डों के पुनरुद्धार और अपग्रेड के लिए आवंटित 4,500 करोड़ रुपए के बजट में से पूंजीगत व्यय करता है। इसके अलावा,  आरसीएस-उड़ान के दूसरे चरण में 2023-24 से 2025-26 की अवधि के दौरान अतिरिक्त हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट्स, जल हवाई अड्डों और एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स के पुनरुद्धार के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि निजी एयरपोर्ट डेवलपर्स अपने स्वयं के स्रोतों से पूंजीगत व्यय करते हैं। यह निवेश नए हवाई अड्डों, मौजूदा टर्मिनलों के विस्तार और मरम्मत, नई यात्री सुविधाओं को जोडऩे, नए टर्मिनलों, मौजूदा रनवे, एप्रन के विस्तार और सुदृढ़ीकरण और कंट्रोल टावर व तकनीकी ब्लॉक जैसे एयर नेविगेशन सेवाओं (एएनएस) के कार्यों में किया गया है। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के वित्त वर्ष 2019-20 से लेकर वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़ों के आधार पर, पिछले पांच वर्षों के दौरान एएआई और निजी एयरपोर्ट डेवलपर्स/ ऑपरेटर्स द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 में 11,742 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2021-22 में 13,294 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2022-23 में 17,879 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2023-24 में 19,260 करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2024-25 में 19,317 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हवाई अड्डों का अपग्रेड और आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है और एएआई एवं अन्य निजी एयरपोर्ट ऑपरेटर्स द्वारा समय-समय पर भूमि की उपलब्धता, व्यावसायिक व्यवहार्यता, सामाजिक-आर्थिक पहलुओं, यातायात की मांग और एयरलाइनों की हवाई अड्डों से उड़ान भरने की इच्छा के आधार पर यह कार्य किया जाता है। वित्त वर्ष 2019-20 से, एएआई और अन्य निजी एयरपोर्ट ऑपरेटर्स/ डेवलपर्स द्वारा देशभर के कई हवाई अड्डों पर हवाई अड्डा परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, गुवाहाटी, अहमदाबाद, मोपा, नवी मुंबई, नोएडा (जेवर), भोगपुरम, अयोध्या, कुशीनगर, सिंधुदुर्ग, होलोंगी, धोलेरा, देहरादून, अगरतला, पटना, विजयवाड़ा, देवघर, अमृतसर, चेन्नई और तिरुपति शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंगलोर, कोलकाता, पोर्ट ब्लेयर और सूरत, तिरुचिरापल्ली, कोल्हापुर, जबलपुर, ग्वालियर, राजकोट, लेह, हुबली, इंफाल, जोधपुर, उदयपुर, राजमुंदरी, बेलगावी, शिवमोग्गा, विजयपुरा, हसन, प्रयागराज, तूतीकोरिन, रीवा, सतना और दतिया में हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं।


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