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16-06-2025

मनी मंत्रा : वर्तमान और भविष्य में चलता में द्वंद

  •  हमारे पास चाहे जितनी सम्पदा हो, लेकिन फिर भी हम संतुष्ट नहीं हो पाते और ज्यादा से ज्यादा की चाह पलती रहती है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि हमारी आकांक्षाएं बहुत अधिक है और इन्हें पूरा करने के लिए बहुत स्पेंड की जरूरत होती है। हमारी आकांक्षाएं अत: मन में वर्तमान और भविष्य की जंग छेड़े रहती हैं। कभी मन कहता है कि आज कम खर्च करेंगे तभी तो भविष्य के लिये धनराशि एकत्रित कर पायेंगे। आज की बचत ही कल सुनहरा भविष्य देगी। कभी मन में यह विचार आ जाता है कि आज जी लो, खूब खर्च कर लो कल किसने देखा है। कल की तो कल्पना ही की जा सकती है। इसलिये वर्तमान और भविष्य में संतुलन करना कठिन हो जाता है। बिहेवोरियल साइकोलॉजी इस मन के विचार पर अलग राय रखता है। इसके अनुसार हमें एक को चुनना होगा। या तो वर्तमान को चुनें या फिर भविष्य को। एक उदाहरण लेकर देखते हैं। हमें आज एक चॉकलेट लेने को कहा जाता है। दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन बाद दो चॉकलेट देने की बात कही जाती है। अब हम क्या करेंगे। आज एक चॉकलेट लेना पसंद करेंगे, या फिर एक दिन बाद दो चॉकलेट लेना चाहेंगे। एक बार यह कहेंगा कि डिस्काउंट को छोड़ो और आज की एक चॉकलेट तो ले लो। करंट कंजम्प्शन को हम महत्व देंगे। दूसरा उदाहरण देखते हैं। हमें यह कहा जाता है कि ताजे फल आज ले लें और दो दिन बाद दो चॉकलेट ले लें। साथ ही कमरे में चॉकलेट की खुशबू को फैला दिया जाता है। अब मन असली द्वंद में फंसता है। एक ओर ताजे फल आकर्षित कर रहे हैं तो दूसरी ओर चॉकलेट की खुशबू मदहोश कर रही है। ऐसी स्थिति में हमारी वर्तमान आकांक्षा भविष्य के विकल्प को तय करेगी। यदि हम किसी कैफे में बैठे हैं और ग्रॉसरी लिस्ट तैयार कर रहे हैं। चॉकलेट की खुशबू फैल रही है, ऐसे में हमारी ग्रॉसरी सूची में चॉकलेट तो शामिल होगी ही, यह तय है। बेशक उसका उपयोग हम भविष्य में करें, लेकिन फिर भी इसकी खरीद तो आज ही होगी। द्वंद की स्थिति बचत और खर्च में बनती ही रहती है। हम अपने भविष्य यानि बुढ़ापे की इमेज को समय-समय पर देखते हैं और बचत के प्रति आकृष्ट होते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मन आज में ज्यादा खर्चा कर लेने को कहता है लेकिन फिर सेवानिवृत्ति का ख्याल आ जाता है।  समझदारी इसमें है कि हम जरूरत को ज्यादा बाधित न करते हुए आज में जीएं लेकिन भविष्य की जरूरतों का भी ध्यान रखें। बचत करना बुरी नहीं अच्छी आदत है लेकिन यह इतनी हावी नहीं होनी चाहिये कि आज को खराब कर दे।

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मनी मंत्रा : वर्तमान और भविष्य में चलता में द्वंद

 हमारे पास चाहे जितनी सम्पदा हो, लेकिन फिर भी हम संतुष्ट नहीं हो पाते और ज्यादा से ज्यादा की चाह पलती रहती है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि हमारी आकांक्षाएं बहुत अधिक है और इन्हें पूरा करने के लिए बहुत स्पेंड की जरूरत होती है। हमारी आकांक्षाएं अत: मन में वर्तमान और भविष्य की जंग छेड़े रहती हैं। कभी मन कहता है कि आज कम खर्च करेंगे तभी तो भविष्य के लिये धनराशि एकत्रित कर पायेंगे। आज की बचत ही कल सुनहरा भविष्य देगी। कभी मन में यह विचार आ जाता है कि आज जी लो, खूब खर्च कर लो कल किसने देखा है। कल की तो कल्पना ही की जा सकती है। इसलिये वर्तमान और भविष्य में संतुलन करना कठिन हो जाता है। बिहेवोरियल साइकोलॉजी इस मन के विचार पर अलग राय रखता है। इसके अनुसार हमें एक को चुनना होगा। या तो वर्तमान को चुनें या फिर भविष्य को। एक उदाहरण लेकर देखते हैं। हमें आज एक चॉकलेट लेने को कहा जाता है। दूसरा विकल्प यह है कि एक दिन बाद दो चॉकलेट देने की बात कही जाती है। अब हम क्या करेंगे। आज एक चॉकलेट लेना पसंद करेंगे, या फिर एक दिन बाद दो चॉकलेट लेना चाहेंगे। एक बार यह कहेंगा कि डिस्काउंट को छोड़ो और आज की एक चॉकलेट तो ले लो। करंट कंजम्प्शन को हम महत्व देंगे। दूसरा उदाहरण देखते हैं। हमें यह कहा जाता है कि ताजे फल आज ले लें और दो दिन बाद दो चॉकलेट ले लें। साथ ही कमरे में चॉकलेट की खुशबू को फैला दिया जाता है। अब मन असली द्वंद में फंसता है। एक ओर ताजे फल आकर्षित कर रहे हैं तो दूसरी ओर चॉकलेट की खुशबू मदहोश कर रही है। ऐसी स्थिति में हमारी वर्तमान आकांक्षा भविष्य के विकल्प को तय करेगी। यदि हम किसी कैफे में बैठे हैं और ग्रॉसरी लिस्ट तैयार कर रहे हैं। चॉकलेट की खुशबू फैल रही है, ऐसे में हमारी ग्रॉसरी सूची में चॉकलेट तो शामिल होगी ही, यह तय है। बेशक उसका उपयोग हम भविष्य में करें, लेकिन फिर भी इसकी खरीद तो आज ही होगी। द्वंद की स्थिति बचत और खर्च में बनती ही रहती है। हम अपने भविष्य यानि बुढ़ापे की इमेज को समय-समय पर देखते हैं और बचत के प्रति आकृष्ट होते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मन आज में ज्यादा खर्चा कर लेने को कहता है लेकिन फिर सेवानिवृत्ति का ख्याल आ जाता है।  समझदारी इसमें है कि हम जरूरत को ज्यादा बाधित न करते हुए आज में जीएं लेकिन भविष्य की जरूरतों का भी ध्यान रखें। बचत करना बुरी नहीं अच्छी आदत है लेकिन यह इतनी हावी नहीं होनी चाहिये कि आज को खराब कर दे।


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