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10-06-2025

डिजिटल फोरेंसिक मार्केट फाइनेंशियल ईयर 2030 तक 11,829 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा

  •  भारत का डिजिटल फोरेंसिक मार्केट वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 40 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ 11,829 करोड़ रुपए (1.39 बिलियन डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है, जो ग्लोबल एवरेज 11 प्रतिशत से तीन गुना अधिक है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। अब मोबाइल फोरेंसिक इस सेक्टर पर हावी है, जो मार्केट के लगभग 51 प्रतिशत हिस्से पर अधिकार रखता है। स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल, डिजिटल पेमेंट और मोबाइल-सेंट्रिक साइबर क्राइम में उछाल के कारण इस सेक्टर में मोबाइल फोरेंसिक की हिस्सेदारी बढ़ रही है। 81 प्रतिशत डिमांड मांग सार्वजनिक क्षेत्र, विशेष रूप से कानून प्रवर्तन विभाग की ओर से आ रही है। डेलोइट इंडिया की डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के सहयोग से बनाई गई रिपोर्ट जटिल डिजिटल खतरों से निपटने के लिए फोरेंसिक टेक पर बढ़ती निर्भरता को उजागर करती है। भारत डिजिटल फोरेंसिक में निवेश को राष्ट्रीय सुरक्षा और डिजिटल विश्वास के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में भी बढ़ा रहा है। इस क्षेत्र की पूरी क्षमता को पेश करने के लिए आरजीडब्ल्यू रिपोर्ट, स्वदेशी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) को बढ़ावा देने पर केंद्रित, एक रणनीतिक रोडमैप की सिफारिश करती है। यह आयात निर्भरता को कम करने, 90,000 फोरेंसिक प्रोफेशनल्स की अनुमानित कमी को पूरा करने के लिए एजुकेशन एंड सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का विस्तार करने, एडवांस लैब्स और रिजनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्न बनाने के लिए जरूरी है। भारत में डेलॉइट के फोरेंसिक प्रैक्टिस का नेतृत्व करने वाले निखिल बेदी ने कहा कि इस विकसित परिदृश्य में, फाइनेशियल फ्रॉड और डेटा ब्रीच से लेकर जटिल क्रॉस-बॉर्डर अटैक तक डिजिटल फोरेंसिक एक रिएक्टिव टूल से एक रणनीतिक क्षमता में बदल गया है। यह डिजिटल ट्रस्ट की सुरक्षा, महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करने और अनुपालन का समर्थन करने के लिए आवश्यक है। यह सेक्टर विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करता है, जो बढ़ती औद्योगिक मांग, नियामक जांच और टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट की वजह से आगे बढ़ रहा है। डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के सीईओ ने कहा कि डिजिटल-फस्र्ट इकोनॉमी के रूप में भारत की यात्रा ने अपार अवसर पेश किए हैं। लेकिन, इससे साइबर अपराधियों के बढऩे की भी परेशानी पैदा हुई है।

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डिजिटल फोरेंसिक मार्केट फाइनेंशियल ईयर 2030 तक 11,829 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा

 भारत का डिजिटल फोरेंसिक मार्केट वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 40 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ 11,829 करोड़ रुपए (1.39 बिलियन डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है, जो ग्लोबल एवरेज 11 प्रतिशत से तीन गुना अधिक है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। अब मोबाइल फोरेंसिक इस सेक्टर पर हावी है, जो मार्केट के लगभग 51 प्रतिशत हिस्से पर अधिकार रखता है। स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल, डिजिटल पेमेंट और मोबाइल-सेंट्रिक साइबर क्राइम में उछाल के कारण इस सेक्टर में मोबाइल फोरेंसिक की हिस्सेदारी बढ़ रही है। 81 प्रतिशत डिमांड मांग सार्वजनिक क्षेत्र, विशेष रूप से कानून प्रवर्तन विभाग की ओर से आ रही है। डेलोइट इंडिया की डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के सहयोग से बनाई गई रिपोर्ट जटिल डिजिटल खतरों से निपटने के लिए फोरेंसिक टेक पर बढ़ती निर्भरता को उजागर करती है। भारत डिजिटल फोरेंसिक में निवेश को राष्ट्रीय सुरक्षा और डिजिटल विश्वास के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में भी बढ़ा रहा है। इस क्षेत्र की पूरी क्षमता को पेश करने के लिए आरजीडब्ल्यू रिपोर्ट, स्वदेशी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) को बढ़ावा देने पर केंद्रित, एक रणनीतिक रोडमैप की सिफारिश करती है। यह आयात निर्भरता को कम करने, 90,000 फोरेंसिक प्रोफेशनल्स की अनुमानित कमी को पूरा करने के लिए एजुकेशन एंड सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का विस्तार करने, एडवांस लैब्स और रिजनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्न बनाने के लिए जरूरी है। भारत में डेलॉइट के फोरेंसिक प्रैक्टिस का नेतृत्व करने वाले निखिल बेदी ने कहा कि इस विकसित परिदृश्य में, फाइनेशियल फ्रॉड और डेटा ब्रीच से लेकर जटिल क्रॉस-बॉर्डर अटैक तक डिजिटल फोरेंसिक एक रिएक्टिव टूल से एक रणनीतिक क्षमता में बदल गया है। यह डिजिटल ट्रस्ट की सुरक्षा, महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करने और अनुपालन का समर्थन करने के लिए आवश्यक है। यह सेक्टर विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करता है, जो बढ़ती औद्योगिक मांग, नियामक जांच और टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट की वजह से आगे बढ़ रहा है। डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के सीईओ ने कहा कि डिजिटल-फस्र्ट इकोनॉमी के रूप में भारत की यात्रा ने अपार अवसर पेश किए हैं। लेकिन, इससे साइबर अपराधियों के बढऩे की भी परेशानी पैदा हुई है।


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