प्रवासी राजस्थान दिवस से खनन क्षेत्र में परस्पर सहयोग से काम करने के दो समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ ही राजस्थान का माइनिंग सेक्टर नये युग में प्रवेश करने जा रहा है। खान, भूविज्ञान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत व डिजिटल इण्डिया में सक्रिय हिस्सेदार बनते हुए राजस्थान में क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक खनिजों के अन्वेषण मेें आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए माइंस के सेक्टोरल सेशन के दौरान राजस्थान सरकार के आरएसएमईटी और आईआईटी हैदराबाद के बीच समझौता हस्ताक्षरित करने के साथ ही परस्पर आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में खदान डम्प्स और टेलिंग्स का वैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए आईआईटी आईएसएम धनबाद और आरएसएमईटी के बीच सहमति पत्र हस्ताक्षरित कर आदान प्रदान किया जाएगा। प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि राज्य के 39 जिलों में भूवैज्ञानिक, भूरासायनिक, भूभौतिकीय, रिमोट सेंसिंग व सेटेलाइट इमेजरी डेटासेट को एकीकृत कर प्रदेश में कॉपर, ग्रेफाइट, जिंक, लिथियम, कोबाल्ट, निकल, रेयर अर्थ एलिमेंट आदि महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के संभावित क्षेत्रों की पहचान की जाएगी। उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश में उत्तरदायी खनिज विकास मॉडल तैयार होगा जिससे भविष्य का रोडमैप तैयार हो सकेगा। यह परियोजना आईआईटी हैदराबाद के सहयोग से चार चरण और लगभग 18 माह में पूरी होगी। रविकान्त ने बताया कि इसी तरह से विभाग द्वारा चिन्हित 80 खदान डम्प्स और टेलिंग्स का वैज्ञानिक मूल्यांकन आईआईटी आईएसएम धनबाद के सहयोग से किया जाएगा। तीन चरणों की एक वर्षीय इस परियोजना में खदान डम्प्स का जियो रेफरेन्सड डेटाबेस, मेपिंग, सेंपलिंग, निष्कर्षण, मिनरालॉजिकल एनालिसिस व उपलब्ध संसाधनों का आकलन किया जाएगा। इन डम्प्स में महत्वपूर्ण खनिज टंगस्टन, लिथियम, कोबाल्ट, निकल, आरईई के रिसोर्सेज उपलब्ध होने की संभावना का पता लगाया जा सकेगा। प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत और केन्द्र सरकार के क्रिटिकल मिनरल मिशन का राजस्थान प्रमुख भागीदार प्रदेश है। आज देश विदेश में स्ट्रेटेजिक और क्रिटिकल मिनरल्स की अत्यधिक आवश्यकता को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा क्रिटिकल मिशन की घोषणा की गई है।