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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

09-07-2025

फैशन में आए बदलाव के कारण भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग की बिगड़ी चाल

  •  फैशन में तेजी से आए बड़े बदलाव के चलते भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग की चाल बिगड़ गई है। फैशन के प्रभाव के कारण यहां बनने वाले सूटिंग कपड़े की डिमांड में कमी आई है। पिछले कुछ समय के दौरान पुरूषों के कपड़ों की फैशन में बड़ा बदलाव आया है। अब युवाओं में पेन्ट व सफारी का चलन बंद होने से सूटिंग कपड़े की डिमांड कम होने लगी है। इसके अतिरिक्त शादी समारोह समय दिये जाने वाले सूटलेन्थ, सफारी सूट के  कपड़ा के साथ ही पैन्ट पीस के गिफ्ट पैक का चलन भी तेजी से घटने लगा है। इसका सीधा असर यहां गिफ्ट पैक तैयार करने वाले कारोबारियों पर पड़ा है तथा ऐसे कारोबारियों की संख्या में तेजी से कमी आई है। अब तक देश भर में भीलवाड़ा के सूटिंग कपड़ों की सस्ते और उच्च गुणवत्ता के कारण डिमांड रहती थी। लोगों के बजट के अनुसार 100 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के गिफ्ट पैक में उपलब्ध हो जाते थे। छोटे -बड़े समारोह में कपड़ों के गिफ्ट पैक देने के प्रचलन के कारण भीलवाड़ा में तैयार होने वाले सूटिंग के कपड़े की बड़ी खपत हो जाती थी। एक समय भीलवाड़ा में स्कूल युनिफॉर्म के कपड़े की सबसे अधिक मांग रहती थी, लेकिन इस क्षेत्र में भी परिवर्तन आने से यहां का कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र में देश की कई कपड़ा मंडियों के हस्तक्षेप के चलते यहां के बाजार में डिमांड कम हुई है। यहां से निर्यात होने वाले कपड़े की डिमांड भी कम हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण लगातार कई देशों में युद्ध के हालात रहे हैं। यही नहीं बाहरी देशों से सस्ते कपड़े के आने से मांग पर असर दिखाई देने लगा है।  इस बारे में लघु उद्योग भारती के प्रान्तीय अध्यक्ष एवं कपड़ा उद्योग से जुड़े महेश हुरकट ने ‘नफा नुकसान’ को बताया कि भीलवाड़ा का कपड़ा उद्योग बदलते हुए फैशन के अनुसार कपड़े के उत्पादन में बदलाव नहीं करने के कारण मंदी की चपेट में है। यहां रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में अच्छे संकेत दिखाई दे रहे है इसका लाभ आने वाले समय में भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग को मिलेगा। इसके अतिरिक्त सूटिंग के साथ फैन्सी कपड़ों का उत्पादन बढऩे से रेडीमेड कपड़ा तैयार करने वाले क्षेत्र से मांग में सुधार होने की सम्भावनाएं दिखाई देती है।

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फैशन में आए बदलाव के कारण भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग की बिगड़ी चाल

 फैशन में तेजी से आए बड़े बदलाव के चलते भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग की चाल बिगड़ गई है। फैशन के प्रभाव के कारण यहां बनने वाले सूटिंग कपड़े की डिमांड में कमी आई है। पिछले कुछ समय के दौरान पुरूषों के कपड़ों की फैशन में बड़ा बदलाव आया है। अब युवाओं में पेन्ट व सफारी का चलन बंद होने से सूटिंग कपड़े की डिमांड कम होने लगी है। इसके अतिरिक्त शादी समारोह समय दिये जाने वाले सूटलेन्थ, सफारी सूट के  कपड़ा के साथ ही पैन्ट पीस के गिफ्ट पैक का चलन भी तेजी से घटने लगा है। इसका सीधा असर यहां गिफ्ट पैक तैयार करने वाले कारोबारियों पर पड़ा है तथा ऐसे कारोबारियों की संख्या में तेजी से कमी आई है। अब तक देश भर में भीलवाड़ा के सूटिंग कपड़ों की सस्ते और उच्च गुणवत्ता के कारण डिमांड रहती थी। लोगों के बजट के अनुसार 100 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के गिफ्ट पैक में उपलब्ध हो जाते थे। छोटे -बड़े समारोह में कपड़ों के गिफ्ट पैक देने के प्रचलन के कारण भीलवाड़ा में तैयार होने वाले सूटिंग के कपड़े की बड़ी खपत हो जाती थी। एक समय भीलवाड़ा में स्कूल युनिफॉर्म के कपड़े की सबसे अधिक मांग रहती थी, लेकिन इस क्षेत्र में भी परिवर्तन आने से यहां का कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र में देश की कई कपड़ा मंडियों के हस्तक्षेप के चलते यहां के बाजार में डिमांड कम हुई है। यहां से निर्यात होने वाले कपड़े की डिमांड भी कम हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण लगातार कई देशों में युद्ध के हालात रहे हैं। यही नहीं बाहरी देशों से सस्ते कपड़े के आने से मांग पर असर दिखाई देने लगा है।  इस बारे में लघु उद्योग भारती के प्रान्तीय अध्यक्ष एवं कपड़ा उद्योग से जुड़े महेश हुरकट ने ‘नफा नुकसान’ को बताया कि भीलवाड़ा का कपड़ा उद्योग बदलते हुए फैशन के अनुसार कपड़े के उत्पादन में बदलाव नहीं करने के कारण मंदी की चपेट में है। यहां रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में अच्छे संकेत दिखाई दे रहे है इसका लाभ आने वाले समय में भीलवाड़ा के कपड़ा उद्योग को मिलेगा। इसके अतिरिक्त सूटिंग के साथ फैन्सी कपड़ों का उत्पादन बढऩे से रेडीमेड कपड़ा तैयार करने वाले क्षेत्र से मांग में सुधार होने की सम्भावनाएं दिखाई देती है।


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