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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

06-06-2025

फाइनेंशियल ईयर 2024-25 कॉर्पोरेट इंडिया की Operating Profit Growth 4 वर्ष में सबसे धीमी

  •  फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में कॉस्ट सेविंग के लिए उठाए गए तमाम कदमों के बावजूद कॉर्पोरेट इंडिया की ओपरेटिंग प्रॉफिट ग्रोथ पिछले 4 वर्ष में सबसे धीमी दर्ज की गई है। 2024-25 में इंडियन लिस्टेड कंपनियों का ओपरेटिंग प्रॉफिट 9.9 प्रतिशत बढ़ा है जबकि नेट सेल्स में 6.2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। 2024-25 लगातार दूसरा वर्ष है जब कंपनियों की सेल्स ग्रोथ भी सिंगल-डिजिट में रही है। 3035 लिस्टेड कंपनियों में से यदि बैंक व फाइनेंस कंपनियों को हटा दिया जाए तो शेष बची कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ 2024-25 में केवल 4.9 प्रतिशत ही रही है। मेन्यूफेक्चरिंग कंपनियों को 2024-25 में स्टेबल कमोडिटी कीमतों का फायदा मिला है जिससे यह कंपनियां अपनी रॉ-मेटेरियल कॉस्ट को मेनेज कर पाइ हैं। इसके अलावा कंपनियों ने एम्प्लाई कॉस्ट समेत अन्य खर्चों पर भी 2024-25 में कड़ा कंट्रोल रखा है। इस दौरान कंपनियों की एम्प्लाई कॉस्ट 7 प्रतिशत ही बढ़ी है जो पिछले 4 वर्ष की सबसे धीमी ग्रोथ है। इससे पहले 2023-24 में कंपनियों की एम्प्लाई कॉस्ट 12.7 प्रतिशत व 2022-23 में 16.8 प्रतिशत बढ़ी थी। कंपनियों के फाइनेंशियल डाटा से पता चलता है कि कई बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या घट रही है जबकि आईटी सेक्टर मेंं हायरिंग की स्पीड भी कमजोर पडऩे लगी है।

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फाइनेंशियल ईयर 2024-25 कॉर्पोरेट इंडिया की Operating Profit Growth 4 वर्ष में सबसे धीमी

 फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में कॉस्ट सेविंग के लिए उठाए गए तमाम कदमों के बावजूद कॉर्पोरेट इंडिया की ओपरेटिंग प्रॉफिट ग्रोथ पिछले 4 वर्ष में सबसे धीमी दर्ज की गई है। 2024-25 में इंडियन लिस्टेड कंपनियों का ओपरेटिंग प्रॉफिट 9.9 प्रतिशत बढ़ा है जबकि नेट सेल्स में 6.2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। 2024-25 लगातार दूसरा वर्ष है जब कंपनियों की सेल्स ग्रोथ भी सिंगल-डिजिट में रही है। 3035 लिस्टेड कंपनियों में से यदि बैंक व फाइनेंस कंपनियों को हटा दिया जाए तो शेष बची कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ 2024-25 में केवल 4.9 प्रतिशत ही रही है। मेन्यूफेक्चरिंग कंपनियों को 2024-25 में स्टेबल कमोडिटी कीमतों का फायदा मिला है जिससे यह कंपनियां अपनी रॉ-मेटेरियल कॉस्ट को मेनेज कर पाइ हैं। इसके अलावा कंपनियों ने एम्प्लाई कॉस्ट समेत अन्य खर्चों पर भी 2024-25 में कड़ा कंट्रोल रखा है। इस दौरान कंपनियों की एम्प्लाई कॉस्ट 7 प्रतिशत ही बढ़ी है जो पिछले 4 वर्ष की सबसे धीमी ग्रोथ है। इससे पहले 2023-24 में कंपनियों की एम्प्लाई कॉस्ट 12.7 प्रतिशत व 2022-23 में 16.8 प्रतिशत बढ़ी थी। कंपनियों के फाइनेंशियल डाटा से पता चलता है कि कई बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या घट रही है जबकि आईटी सेक्टर मेंं हायरिंग की स्पीड भी कमजोर पडऩे लगी है।


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