इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में पावर सैक्टर में ग्लोबल इंवेस्टमेंट 1.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। यह इंवेस्टमेंट तेल, गैस और कोयले जैसे पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर किए जा रहे इंवेस्टमेंट के मुकाबले करीब डेढ़ गुना होगा। एजेंसी की वार्षिक वल्र्ड एनर्जी इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट के मुताबिक इसका कारण इंडस्ट्री, कूलिंग, ईवी, डेटा सेंटर और एआई के चलते बिजली की डिमांड में आ रही तेजी है। रिपोर्ट के अनुसार चीन और भारत ने एनर्जी सिक्यॉरिटी को मजबूत करने के लिए कोयला पावर प्लांट्स का निर्माण एक दशक के पीक लेवल पर पहुंचा दिया है। अकेले चीन ने 2024 में लगभग 100 गीगावॉट की नई कोयला बिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी। इस दौरान भारत ने 15 गीगावॉट कैपेसिटी के नए प्लांट्स को हरी झंडी दिखाई। इसके चलते ग्लोबल लेवल पर कोयला संयंत्रों की मंजूरी 2015 के बाद पीकलेवल पर पहुंच गई है। आईईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल के अनुसार चीन में कोयला पावर प्लांट्स की कैपेसिटी तो बढ़ी है, लेकिन इनके यूटिलाइजेशन में कमी आ रही है। इनका इस्तेमाल डिमांड-सप्लाई गैप को भरने के लिए किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में दूसरे वर्ष लगातार स्वच्छ ऊर्जा में निवेश जीवाश्म ईंधनों की तुलना में दोगुना रहेगा। इस वर्ष कुल ग्लोबल इंवेस्टमेंट 3.3 ट्रिलियन तक पहुंच जाने का अनुमान है। इसमें से 2.2 ट्रिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट रिन्यूएबल एनर्जी , न्यूक्लियर एनर्जी, पावर ग्रिड, एनर्जी स्टोरेज, कम एमिशन वाले फ्यूल और इलेक्ट्रिफिकेशन में किया जाएगा जबकि 1.1 ट्रिलियल डॉलर नेचरल गैस और कोयला पर।