गेहूं का उत्पादन अधिक होने से धीरे-धीरे मंदे का दलदल बन गया है, लेकिन नीचे वाले भाव में दो दिनों से रोलर फ्लोर मिलों की पूछ परख आने से 15/20 रुपए प्रति क्विंटल की मजबूती आ गई है, लेकिन ज्यादा बाजार तेज होने मुश्किल लग रहे हैं। ऐसा आभास हो रहा है कि इस बार जनवरी तक 2900 रुपए को पार नहीं कर पाएगा। पाठक गण को खबर दी जाती रही है कि गेहूं का उत्पादन इस बार अधिक हुआ है तथा सरकार की अच्छी सूझबूझ के चलते केंद्रीय पूल में स्टॉक भी गत तीन वर्षों के मुकाबले अधिक हुआ है, जिस कारण गेहूं सहित आटा मैदा सूजी के भाव अपेक्षाकृत नीचे चल रहे है। गत वर्ष गेहूं की सरकारी खरीद 266 लाख मैट्रिक टन के करीब हुई थी, जो इस बार 299.7 लाख मीट्रिक टन के करीब हुई है। इस बार गेहूं का उत्पादन 1153 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ है, जो गत वर्ष की अपेक्षा 50 लाख मीट्रिक टन के करीब अधिक है। इस वजह से प्राइवेट सेक्टर में भी गेहूं के स्टॉक छोटे-बड़े कारोबारियों के गले में फंसे हुए हैं। गत वर्ष इन दिनों मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 3100 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहे थे तथा ऊपर में जनवरी-फरवरी में 3350 रुपए के आसपास पहुंच गया था, इसे देखकर इस बार सीजन के शुरुआत में ही कारोबारियों द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक गेहूं की खरीद की गई, जिसके चलते रोलर फ्लोर मिलों एवं आटा चक्कियों को आसानी से सस्ते भाव में गेहूं उपलब्ध होता रहा है। खपत वाली मंडियों में ही गेहूं सस्ता बिक रहा है, जिससे आटा मैदा सूजी में चालानी मांग घट गई है और स्थिति यह बन गई है कि एमपी यूपी हरियाणा राजस्थान के कारोबारी स्टॉक के माल बेचने लगे हैं, क्योंकि ब्याज भाड़ा लगाकर उनके घर में महंगा पड़ रहा है। यही कारण है कि मिल क्वालिटी गेहूं 2750/2770 रुपए प्रति क्विंटल नीचे में पिछले सप्ताह बन गया था। आज घटे भाव में पूछ परख आने से 20/25 रुपए बढ़ाकर 2775/2800 रुपए भाव बोल रहे हैं, लेकिन 2900 रुपए को पार करना मुश्किल लग रहा है। गौरतलब है कि गत वर्ष की अपेक्षा 300 रुपए भाव नीचे चल रहे हैं। दूसरी ओर सरकार द्वारा बफर स्टॉक से गेहूं की बिक्री व एम एस एस के माध्यम से टेंडर द्वारा शुरू कर दी गई है। इस बार गेहूं में मंदे को देखकर सरकार के भारत ब्रांड आटा बेचने की प्रक्रिया भी कार्य रूप में दिखाई नहीं दे रही है।