देसी गोंद का उत्पादन इस बार कम हुआ है तथा विदेशों में ऊंचे भाव होने से आयातक इस वर्ष सौदे कम किए हैं। इधर सर्दी बढऩे से लोकल एवं चालानी मांग निकलने लगी है। जिस कारण नवंबर माह में 30/35 रुपए प्रति किलो की तेजी आ गई है। अभी आगे खपत और रहने वाली है तथा पड़ते से भाव अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे हो गए हैं, इसलिए बाजार 30/40 रुपए और बढ़ सकता है। गोंद का उत्पादन मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र में मुख्य रूप से होता है। इस बार गोंद तैयार होने के समय में अधिक बरसात हुई है। दूसरी ओर नक्सलवाद को सफाई करने के लिए घने जंगलों में अभियान जोरों पर चलाया जा रहा है। यही कारण है कि शिवपुरी, श्योपुर कला, बिलासपुर के साथ-साथ जगदलपुर बस्तर सुकमा एवं महाराष्ट्र के सभी घने जंगलों से गोंद की निकासी कम रही है। दूसरी ओर सूडान नाइजीरिया एवं चाड में गोंद का उत्पादन कम होने तथा वहां से निर्यात मांग जोरों पर चलने से वहां भाव काफी ऊंचे हो गए हैं। इस वजह से जो सकोटो पैक माल यहां 90/100 रुपए प्रति किलो बिक रहा था, उसके भाव 130/135 रुपए हो गए हैं। हम मानते हैं कि दिसंबर में 65/70 कंटेनर और गोंद भारतीय बंदरगाहों पर उतरने वाले हैं, इन सबके बावजूद भी पहले के आए माल बिक जाने तथा खाद्य पदार्थ निर्माता कंपनियों की चौतरफा एवरेज माल की लिवाली चलने से बाजार बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर ट्रेडर्स डेढ़ - दो नंबर सहित अन्य कई किस्मों के जो 200 350 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है, उसमें हर क्वालिटी का बनाकर बेच रहे हैं। गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में गोंद का स्टॉक इस बार 42-43 प्रतिशत के करीब दिल्ली मुंबई सहित अन्य मंडियों में कम है। आगे 3 महीने तक लगातार खपत का सीजन है, क्योंकि सर्दी में इसकी खपत में 28-30 प्रतिशत के प्रत्येक वर्ष वृद्धि हो जाती है। पिछले दो महीने के अंतराल डेढ़ सौ कंटेनर माल लगने की खबर थी, लेकिन वह माल 46 प्रतिशत खपत वाली कंपनियों के बिके हुए थे, इसलिए बाजार में स्टॉक में नहीं गया है। यही कारण है कि बाजार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। हम मानते हैं कि बाजार में सेल कम है, लेकिन आयातकों के सीधे बंदरगाह पर माल आते ही बल्क में बिकता जा रहा है, जिससे मंडियों में प्रेशर नहीं है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए बाजार आने वाले समय में 35/40 रुपए और बढ़ जाएगा।