एमपी यूपी में पिछले दिनों की हुई लगातार भारी बरसात से बोई हुई मटर 70 प्रतिशत नष्ट हो गई है, इस वजह से घरेलू उत्पादन इस बार बहुत ही कम रह जाने की संभावना बन गई है। दूसरी ओर कनाडा से भी शिपमेंट देर हो रहे हैं, इन परिस्थितियों में यहां मटर में 5/7 रुपए प्रति किलो की और तेजी की संभावना बन गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी कहावत है कि ‘सिर मुड़ाते ओले पड़े’ यह लाइन इस बार मटर के खेती पर अनुकूल बैठ रहा है। मटर की बिजाई मुश्किल से एक पखवाड़े ही पहले किसानों ने किया था, जिस पर लगातार बेमौसमी बरसात की मार ने सारा फसल चौपट कर दिया। गौरतलब है कि पी-3 एवं गोल्डन क्वालिटी की मटर अक्टूबर के मध्य में बोई जाती है, वह इस बार किसानों ने अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में 80 प्रतिशत बिजाई मटर की एमपी एवं यूपी में कर दिया था, अभी कुछ खेतों में बीज अंकुरित हो रहे थे एवं कुछ खेतों में निकल रहे थे, तभी 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक 4 दिन की लगातार मूसलाधार बरसात ने फसल को 70 प्रतिशत के करीब नष्ट कर दिया है। किसानों को इस बरसात से बहुत बड़ा आघात पहुंचा है, क्योंकि एक बिघे में लगभग 3000 गज होता है, इसमें 10-11 रुपए की लागत आई थी, जो किसानों की, लगातार बरसात से रकम डूब गई है तथा मटर के बीज 1000/1500 रुपए प्रति किलो के बीच से एमपी व यूपी के किसानों ने बिजाई किया था, इन सारी परिस्थितियों को देखकर यदि बजाई दोबारा भी होगी तो भी घरेलू उत्पादन 50 प्रतिशत से कम रह जाने की संभावना है। इस वजह से इस बार मटर की फली भी महंगी मिलने की संभावना प्रबल हो गई है। दूसरी ओर मटर पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क भी लग गया है, इससे भारतीय बंदरगाहों पर स्टॉक में पड़े माल सुर्ख हो गए हैं। यहां भी बाजार छनी हुई मटर का 41/42 रुपए बोलने लगे हैं।, इन सारी परिस्थितियों में वर्तमान भाव के मटर में व्यापार भरपूर लाभदायक लग रहा है।