अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप द्वारा भारत से इंपोर्ट पर 25 पर्सेंट टैरिफ तथा 25 पर्सेंट पेनल्टी लगाये जाने से प्रदेश के कारपेट एक्सपोर्टर्स के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई है। अमेरिका भारत में बनने वाले कारपेट्स का सबसे बड़ा कस्टमर है। पिछले कुछ वर्षों से चल रही ग्लोबल वोलेटिलिटी की वजह से यूरोपीय मार्केट्स से खास डिमांड नहीं निकल रही है तथा कारपेट इंडस्ट्री में मंदी जैसी स्थिति में चल रही है। इस वजह से कई कारपेट एक्सपोर्टर्स इस बिजनस को ‘गुडबाई’ कर चुके हैं। जयपुर बेस्ड हैंडमेड कारपेट्स की प्रमुख एक्सपोर्टर जयपुर रग्स के प्रमुख नंद किशोर चौधरी का कहना है कि ट्रंप टैरिफ लागू होने के बाद फिलहाल हम स्थिति पर नजर रखते हुए वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। हमारे अमेरिकी कस्टमर्स ने सारे ऑर्डर्स होल्ड कर दिए हैं। क्योंकि वर्तमान में एक्सपोर्टर और इंपोर्टर दोनों में अनिश्चितता और भय की स्थिति है। हमारे अमेरिकी कस्टमर्स फिलहाल कुछ नहीं कह रहे हैं और परिस्थितियों को समझने में लगे हुए हैं। यह स्थिति बनी रहती है तो हमें प्रॉडक्शन रोकना भी पड़ सकता है, हालांकि फिलहाल तो प्रॉडक्शन जारी है। चौधरी का मानना है कि भारतीय बिजनसमैन हर प्रतिकूल परिस्थिति में राह निकाल लेते हैं। इस परेशानी को दूर करने रास्ते भी निकल आयेंगे। भारत का डोमेस्टिक मार्केट भी काफी अच्छा है। उल्लेखनीय है कि जयपुर रग्स को राजस्थान के साथ ही इंडिया का सबसे प्रतिष्ठित कारपेट एक्सपोर्टर माना जाता है।
चौधरी का कहना है कि सरकार को वर्तमान प्रतिकूल हालातों में इंडस्ट्रीज का काम नहीं रुकने देना चाहिए तथा नए एक्सपोर्ट मार्केट्स तलाशने में कारोबारियों की मदद करनी चाहिए। क्सपोर्टर्स को तेजी से डवलप हो रहे नए कंट्रीज में अपने प्रॉडक्ट्स के लिए मार्केट तलाशने चाहिए। एशिया में कुछ देश तेजी से डवलप हो रहे हैं। चौधरी का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में भारत सरकार का रवैया पूरी तरह उचित है। चौधरी के मुताबिक इंडस्ट्री को ट्रंप टैरिफ से एक बार तो बड़ा झटका लगेगा और परेशानी भी आएगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा मार्केट है। उन्होंने कहा कि सरकार को तात्कालिक रूप से एक्सपोर्टर्स की सहायता भी करनी चाहिए। राजस्थान कॉरपेट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप कटारिया का कहना है कि कॉरपेट इंडस्ट्री पिछले तीन-चार साल से मंदी की चपेट में है। ट्रंप द्वारा लगाये गए 25 पर्सेंट टैरिफ एवं 25 पर्सेंट पेनल्टी से हर एक्सपोर्टर की कमर टूटेगी। कटारिया ने बताया कि कॉरपेट की प्रॉडक्शन साइकिल बहुत लंबी होती है। 8 गुणा 10 फीट के एक कॉरपेट के प्रॉडक्शन में 5-6 माह लगते हैं। अगर कस्टमर ने पेमेंट रोक दिया तो हम वीवर और कारीगर को पेमेंट नहीं कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि 50 पर्सेंट टैरिफ और पेनल्टी में से बीस पर्सेंट सरकार वहन करे, बीस पर्सेंट कस्टमर वहन करें और दस पर्सेंट एक्सपोर्टर वहन करे तो इस कठिन दौर से उबरने की राह निकल सकती है।