24 फरवरी 2022 से रूस-यूक्रेन वॉर चल रहा है। और तब से ही इंडिया पर अटैक हो रहा है रशियन ऑइल के लिए। जब से अमेरिका में डॉनाल्ड ट्रंप आए हैं ऑइल लॉबी कुछ ज्यादा ही एक्टिव है। ट्रंप वैसे भी अमेरिकन ऑइल लॉबी के पोस्टरब्वॉय हैं जिन्होंने आते ही पेट्रोल कार पर कैफे नॉम्र्स वाला जुर्माना खत्म कर दिया। ट्रंप रूस से तोडक़र भारत को अपना बड़ा ऑइल बायर बनाना चाहते हैं। पिछले दिनों भारत पर एथेनॉल को लेकर टार्गेटेड अटैक हुआ और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। भारत सरकार ने पेट्रोल में 20 परसेंट एथेनॉल ब्लैंडिंग के टार्गेट को 2030 के बजाय 2025 में ही हासिल कर लिया। एथेनॉल की शुरुआत गन्ने से हुई थी लेकिन अब इसके फीडस्टॉक (कच्चा माल) के लिए सरकार ने चावल (धान) झौंकना शुरू कर दिया है। क्योंकि...देश में चावल सरप्लस है..। इतना सरप्लस की 80 करोड़ लोगों को 4 साल से फ्री बांटने के बावजूद स्टॉक मैनेज नहीं हो पा रहा। यानी एथेनॉल सरकार के लिए ट्रिपल एस (तीन इक्के) साबित हो रहा है...किसान की आमदनी बढ़ रही है, ऑइल इंपोर्ट पर डॉलर की सेविंग और चावल के सरप्लस स्टॉक का मैनेजमेंट। अब तक एथेनॉल प्रॉडक्शन के लिए किसानों को 1.25 लाख करोड़ का पेमेंट किया जा चुका है। कोविड के बाद दो साल तक भारत ने चावल एक्सपोर्ट को बैन कर रखा था। लेकिन अब गन्ने का प्रॉडक्शन घटने के बावजूद सरप्लस चावल के दम पर एथेनॉल मिशन पटरी पर बना हुआ है। फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने एथेनॉल के लिए रिकॉर्ड 5.2 मिलियन टन चावल का आवंटन किया है जो फसल वर्ष 2024/25 में ग्लोबल चावल एक्सपोर्ट का लगभग 9 परसेंट है। जबकि फसल वर्ष 2023-24 में एथेनॉल के लिए केवल 3 हजार टन चावल दिया गया था। एफसीआई के पास 1 जून तक धान सहित 59.5 मिलियन टन का रिकॉर्ड भंडार है, जो 13.5 मिलियन टन के टार्गेट से बहुत ज्यादा है। रिपोर्ट कहती हैं कि पिछले महीने भारत ने एथेनॉल ब्लैंडिंग को 19.8 परसेंट तक पहुंचा दिया और यह चावल के कारण ही हो पाया है। एफसीआई धान 22,500 रुपये/ टन पर बेच रहा है और ऑइल कंपनियां एथेनॉल 58.5 रुपये लीटर खरीद रही हैं। इस फसल वर्ष (जून तक ) में भारत में रिकॉर्ड 146.1 मिलियन टन धान की फसल हुई है जो 120.7 मिलियन टन की घरेलू डिमांड से कहीं ज्यादा है। यानी सरप्लस चावल ग्लोबल ऑइल लॉबी का जायका खराब कर रहा है।
