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11-09-2025

सैंड स्टोन: अमेरिकी कस्टमर्स ने ऑर्डर कैंसिल किए

  •  ट्रप टैरिफ का सबसे अधिक असर जिले के बिजौलियां कस्बे से अमेरिका को एक्सपोर्ट होने वाले सैंड स्टोन पर दिखाई दे रहा है। यहां से एक्सपोर्ट करने वाले छोटे-छोटे दर्जनों माइन्स मालिक प्रति वर्ष 500 से 800 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट करते है, लेकिन 50 पर्सेंट के नई टैरिफ और पेनल्टी का एक्सपोर्ट पर असर दिखाई देने लगा है तथा अमेरिका के कई बायर्स ने कीमतें बढऩे के कारण आर्डर कैंसिल करने शुरू कर दिए हैं। सैंड स्टोन एक्सपोर्ट डेढ़ दशक पूर्व छोटी-छोटी कोबल्स के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन अब सैंड स्टोन को प्रोसेस करके कई स्वरूप में एक्सपोर्ट किया जाने लगा है। बिजौलियां के सैंड स्टोन की क्वालिटी बहुत अच्छी है। इस कारण यहां के सैंड स्टोन की अमेरिका के अलावा जर्मनी, मिडिल-ईस्ट के देशों, ऑस्ट्रेलिया एवं यूरोपीय देशों में भी डिमांड है। सैंड स्टोन का सबसे अधिक यूज कंस्ट्रक्शन, फर्श, लैंडस्केपिंग और बाहरी डिजाइनिंग में किया जाता है। सैंड स्टोन पर बरसात के पानी एवं अन्य केमिकल का असर नहीं होने से अमेरिका में सैंड स्टोन की डिमांड पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रही थी, लेकिन ट्रप के नए टैरिफ से एक्सपोर्ट पर ब्रेक लग गया है। बिजौलियां के कुछ माइनिंग ओनर्स स्वयं के स्तर पर एक्सपोर्ट करते हैं वहीं अनेक लोगों का माल कोटा, इन्दौर और जयपुर के एक्सपोर्टर्स के माध्यम से भेजा जाता है। बारिश के मौसम में माइन्स में पानी भर जाने के कारण उत्पादन ठप रहता है। लिहाजा वर्तमान में यहां माइनिंग कार्य ठप है। दीपावली के बाद माइन्स से पानी निकालने के बाद सैंड स्टोन माइनिंग पर ट्रंप टैरिफ का वास्तविक असर सामने आ पायेगा। ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ बढ़ाने के बाद तीन तरह की छूट भी दी है, जिससे एक्सपोर्टर्स ने अल्पकाल के लिए संतोष जताया है। शिपिंग में माल के लदान हो जाने तथा वेयर हाउस से निर्यात किए जाने वाले माल को नए टैरिफ के दायरे से बाहर रखे जाने से एक्सपोर्टर्स को थोड़े समय के लिए बड़े नुकसान से राहत मिली है लेकिन आगामी दिनों में ट्रंप टैरिफ का हल नहीं निकला तो क्षेत्र से होने वाले एक्सपोर्ट पर व्यापक असर दिखाई देने की आशंका है। इनका कहना है: यहां के कई कारोबारियों ने माइंस से निकलने वाले सैंड स्टोन को एक्सपोर्ट के योग्य बनाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट पर बड़ी राशि निवेश की है। इसके अतिरिक्त भारत से बाहर जाने वाले सैंड स्टोन की अलग से पैकिंग भी की जाती है जिसके लिए भी बड़ी राशि निवेश की गई है। टैरिफ समस्या पर केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज दिये जाने की मांग की गई है। 

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सैंड स्टोन: अमेरिकी कस्टमर्स ने ऑर्डर कैंसिल किए

 ट्रप टैरिफ का सबसे अधिक असर जिले के बिजौलियां कस्बे से अमेरिका को एक्सपोर्ट होने वाले सैंड स्टोन पर दिखाई दे रहा है। यहां से एक्सपोर्ट करने वाले छोटे-छोटे दर्जनों माइन्स मालिक प्रति वर्ष 500 से 800 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट करते है, लेकिन 50 पर्सेंट के नई टैरिफ और पेनल्टी का एक्सपोर्ट पर असर दिखाई देने लगा है तथा अमेरिका के कई बायर्स ने कीमतें बढऩे के कारण आर्डर कैंसिल करने शुरू कर दिए हैं। सैंड स्टोन एक्सपोर्ट डेढ़ दशक पूर्व छोटी-छोटी कोबल्स के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन अब सैंड स्टोन को प्रोसेस करके कई स्वरूप में एक्सपोर्ट किया जाने लगा है। बिजौलियां के सैंड स्टोन की क्वालिटी बहुत अच्छी है। इस कारण यहां के सैंड स्टोन की अमेरिका के अलावा जर्मनी, मिडिल-ईस्ट के देशों, ऑस्ट्रेलिया एवं यूरोपीय देशों में भी डिमांड है। सैंड स्टोन का सबसे अधिक यूज कंस्ट्रक्शन, फर्श, लैंडस्केपिंग और बाहरी डिजाइनिंग में किया जाता है। सैंड स्टोन पर बरसात के पानी एवं अन्य केमिकल का असर नहीं होने से अमेरिका में सैंड स्टोन की डिमांड पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रही थी, लेकिन ट्रप के नए टैरिफ से एक्सपोर्ट पर ब्रेक लग गया है। बिजौलियां के कुछ माइनिंग ओनर्स स्वयं के स्तर पर एक्सपोर्ट करते हैं वहीं अनेक लोगों का माल कोटा, इन्दौर और जयपुर के एक्सपोर्टर्स के माध्यम से भेजा जाता है। बारिश के मौसम में माइन्स में पानी भर जाने के कारण उत्पादन ठप रहता है। लिहाजा वर्तमान में यहां माइनिंग कार्य ठप है। दीपावली के बाद माइन्स से पानी निकालने के बाद सैंड स्टोन माइनिंग पर ट्रंप टैरिफ का वास्तविक असर सामने आ पायेगा। ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ बढ़ाने के बाद तीन तरह की छूट भी दी है, जिससे एक्सपोर्टर्स ने अल्पकाल के लिए संतोष जताया है। शिपिंग में माल के लदान हो जाने तथा वेयर हाउस से निर्यात किए जाने वाले माल को नए टैरिफ के दायरे से बाहर रखे जाने से एक्सपोर्टर्स को थोड़े समय के लिए बड़े नुकसान से राहत मिली है लेकिन आगामी दिनों में ट्रंप टैरिफ का हल नहीं निकला तो क्षेत्र से होने वाले एक्सपोर्ट पर व्यापक असर दिखाई देने की आशंका है। इनका कहना है: यहां के कई कारोबारियों ने माइंस से निकलने वाले सैंड स्टोन को एक्सपोर्ट के योग्य बनाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट पर बड़ी राशि निवेश की है। इसके अतिरिक्त भारत से बाहर जाने वाले सैंड स्टोन की अलग से पैकिंग भी की जाती है जिसके लिए भी बड़ी राशि निवेश की गई है। टैरिफ समस्या पर केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज दिये जाने की मांग की गई है। 


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