TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

26-07-2025

बायोफ्यूल से ग्रोथ को फ्यूल करने का प्लान

  •  ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडक़री कहते हैं कि वे देश के  फार्मर को को एनर्जी फार्मर में बदलना चाहते हैं। उनकी कोशिश एक हद तक कामयाब भी रही है। मार्च 2025 का डेटा कहता है कि पेट्रोल में एथेनॉल ब्लेंडिंग 20 परसेंट तक पहुंच गई है। वर्ष 2019-20 में पेट्रोल में पांच परसेंट ही एथेनॉल मिलाया जा रहा था। आमतौर पर भारत की पहचान एलीफेंट वॉक (हाथी सी मद्धम मस्त चाल) वाले देश के रूप में है लेकिन पेट्रोल में 20 परसेंट एथेनॉल ब्लेंडिंग का टार्गेट 5 साल पहले ही हासिल हो गया। सरकार का टार्गेट वर्ष 2030 तक 20 परसेंट एथेनॉल ब्लेंडिंग तक पहुंचने का था। आप जानते हैं हाल ही भारत ने ग्रीन एनर्जी की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी को 50 परसेंट तक पहुंचाने का 2030 का टार्गेट भी 5 साल पहले ही अचीव कर लिया। भारत सरकार अब बायोफ्यूल मिशन को टर्बोचार्ज करने के प्लान पर काम कर रही है। ऑटो इंक और भारत सरकार के बीच कैफे मानकों को लेकर टग-ऑफ-वॉर चल रहा है। कैफे नॉम्र्स की कंप्लायंस कॉस्ट बहुत ज्यादा है और चूक होने पर कंपनियों को मोटा जुर्माना देना पड़ता है। लेटेस्ट रिपोर्ट कहती है कि ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज मिनिस्ट्री जैसे एथनॉल, फ्लेक्स फ्यूल, और मेथनॉल जैसे बायोफ्यूल वाली गाडिय़ों को सपोर्ट करने के लिए बीईई (ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी) से आग्रह करने के प्लान पर काम कर रहा है। वर्तमान में लागू कैफे नॉम्र्स के अनुसार ऑटो कंपनी की पूरी फ्लीट पर प्रति किलोमीटर औसत कार्बन एमिशन की लिमिट 113 ग्राम तक हैं। लेकिन मंत्रालय का प्लान 2027 से लागू होने वाले नए कैफे नॉम्र्स में बोयोजेनिक डिरोगेशन की एक विशेष छूट देने का है। बायोजेनिक डिरोगेशन सिस्टम के तहत कैफे नॉम्र्स में कार्बन एमिशन की लिमिट को 113 से घटाकर 91.7 ग्राम/किमी कर दी जाएगी। लेकिन बायोफ्यूल वाली गाडिय़ों को इन मानकों में छूट दी जाएगी। बायोजेनिक डिरोगेशन का अर्थ है कि अगर किसी वेहीकल का एमिशन जैविक स्रोतों — जैसे एथनॉल या फ्लेक्स फ्यूल से है तो उन उत्सर्जनों को आंशिक या पूर्ण रूप से कैफे मानकों में शामिल नहीं किया जाएगा। एक अधिकारी के अनुसार इलेक्ट्रिक, बायोफ्यूल और और घरेलू उत्पादन सामग्री — पर आधारित वाहनों को अलग-अलग वेटेज दिया जाए ताकि कैफे-3 नॉम्र्स को लचीला बनाया जा सके। कैफे-2 के तहत, ईवी, हाइब्रिड, और हाइड्रोजन फ्यूल सेल जैसे पावरट्रेन को ही मान्यता और इंसेंटिव मिलता है। लेकिन अब तक बायोफ्यूल वाले वेहीकल्स को कोई सपोर्ट नहीं दिया गया है। माना जा रहा है कि मंत्रालय बायोफ्यूल वेहीकल्स के जरिए ऑटो कंपनियों को कड़े कैफे नॉम्स से राहत देना चाहता है क्योंकि देश में ईवी का दखल 3 परसेंट भी नहीं है। अधिकारी के अनुसार इस प्लान से ऑटो इंडस्ट्री की कैफे-3 नॉम्र्स वाली यह चिंता दूर होगी क्योंकि नीश मार्केट वाले ईवी वेहीकल्स के जरिए कैफे-3 नॉम्र्स का कंप्लायंस मुश्किल है। पॉलिसी बन जाने के बाद कंपनियां एथनॉल व फ्लेक्स फ्यूल पर भ ध्यान दे सकेंगी।

Share
बायोफ्यूल से ग्रोथ को फ्यूल करने का प्लान

 ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडक़री कहते हैं कि वे देश के  फार्मर को को एनर्जी फार्मर में बदलना चाहते हैं। उनकी कोशिश एक हद तक कामयाब भी रही है। मार्च 2025 का डेटा कहता है कि पेट्रोल में एथेनॉल ब्लेंडिंग 20 परसेंट तक पहुंच गई है। वर्ष 2019-20 में पेट्रोल में पांच परसेंट ही एथेनॉल मिलाया जा रहा था। आमतौर पर भारत की पहचान एलीफेंट वॉक (हाथी सी मद्धम मस्त चाल) वाले देश के रूप में है लेकिन पेट्रोल में 20 परसेंट एथेनॉल ब्लेंडिंग का टार्गेट 5 साल पहले ही हासिल हो गया। सरकार का टार्गेट वर्ष 2030 तक 20 परसेंट एथेनॉल ब्लेंडिंग तक पहुंचने का था। आप जानते हैं हाल ही भारत ने ग्रीन एनर्जी की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी को 50 परसेंट तक पहुंचाने का 2030 का टार्गेट भी 5 साल पहले ही अचीव कर लिया। भारत सरकार अब बायोफ्यूल मिशन को टर्बोचार्ज करने के प्लान पर काम कर रही है। ऑटो इंक और भारत सरकार के बीच कैफे मानकों को लेकर टग-ऑफ-वॉर चल रहा है। कैफे नॉम्र्स की कंप्लायंस कॉस्ट बहुत ज्यादा है और चूक होने पर कंपनियों को मोटा जुर्माना देना पड़ता है। लेटेस्ट रिपोर्ट कहती है कि ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज मिनिस्ट्री जैसे एथनॉल, फ्लेक्स फ्यूल, और मेथनॉल जैसे बायोफ्यूल वाली गाडिय़ों को सपोर्ट करने के लिए बीईई (ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी) से आग्रह करने के प्लान पर काम कर रहा है। वर्तमान में लागू कैफे नॉम्र्स के अनुसार ऑटो कंपनी की पूरी फ्लीट पर प्रति किलोमीटर औसत कार्बन एमिशन की लिमिट 113 ग्राम तक हैं। लेकिन मंत्रालय का प्लान 2027 से लागू होने वाले नए कैफे नॉम्र्स में बोयोजेनिक डिरोगेशन की एक विशेष छूट देने का है। बायोजेनिक डिरोगेशन सिस्टम के तहत कैफे नॉम्र्स में कार्बन एमिशन की लिमिट को 113 से घटाकर 91.7 ग्राम/किमी कर दी जाएगी। लेकिन बायोफ्यूल वाली गाडिय़ों को इन मानकों में छूट दी जाएगी। बायोजेनिक डिरोगेशन का अर्थ है कि अगर किसी वेहीकल का एमिशन जैविक स्रोतों — जैसे एथनॉल या फ्लेक्स फ्यूल से है तो उन उत्सर्जनों को आंशिक या पूर्ण रूप से कैफे मानकों में शामिल नहीं किया जाएगा। एक अधिकारी के अनुसार इलेक्ट्रिक, बायोफ्यूल और और घरेलू उत्पादन सामग्री — पर आधारित वाहनों को अलग-अलग वेटेज दिया जाए ताकि कैफे-3 नॉम्र्स को लचीला बनाया जा सके। कैफे-2 के तहत, ईवी, हाइब्रिड, और हाइड्रोजन फ्यूल सेल जैसे पावरट्रेन को ही मान्यता और इंसेंटिव मिलता है। लेकिन अब तक बायोफ्यूल वाले वेहीकल्स को कोई सपोर्ट नहीं दिया गया है। माना जा रहा है कि मंत्रालय बायोफ्यूल वेहीकल्स के जरिए ऑटो कंपनियों को कड़े कैफे नॉम्स से राहत देना चाहता है क्योंकि देश में ईवी का दखल 3 परसेंट भी नहीं है। अधिकारी के अनुसार इस प्लान से ऑटो इंडस्ट्री की कैफे-3 नॉम्र्स वाली यह चिंता दूर होगी क्योंकि नीश मार्केट वाले ईवी वेहीकल्स के जरिए कैफे-3 नॉम्र्स का कंप्लायंस मुश्किल है। पॉलिसी बन जाने के बाद कंपनियां एथनॉल व फ्लेक्स फ्यूल पर भ ध्यान दे सकेंगी।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news