इंडिया-यूके के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट सेटा (कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट) से भारत के एक्सपोरटर्स के लिए यूके में 23 बिलियन डॉलर की नई अपॉर्चुनिटी अनलॉक होंगी। ट्रेड एग्रीमेंट के मौके पर कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा कि इससे भारत के 99 परसेंट एक्सपोर्ट को यूके में फ्री एक्सैस मिलेगा। जिसका सबसे ज्यादा फायदा टेक्सटाइल, लेदर, फुटवीयर, जेम्स एंड ज्यूलरी, टॉइज, और मैराइन प्रॉडक्ट्स (समुद्री उत्पाद) आदि सैक्टर में काम करने वाले एमएसएमई, आर्टिसन और कर्मचारियों को मिलेगा। गोयल के अनुसार भारत से लगभग 95 परसेंट एग्री प्रॉडक्ट्स का यूके को टेक्स फ्री एक्सपोर्ट हो सकेगा। इस समझौते से दोनों देशों के बीच बाइलेटरल ट्रेड 2040 तक 25.5 बि. पाउंड (34 बि. डॉलर) तक बढऩे की उम्मीद है। साथ ही इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, केमिकल्स, प्रॉसेस्ड फूड्स और प्लास्टिक जैसे हाई वैल्यू एडिशन वाले सैक्टर्स की भी एक्सपोर्ट कंपीटिटिवनैस बढ़ेगी।
टेक्सटाइल एंड लेदर : सेटा एग्रीमेंट से टैरिफ में भारी कटौती होगी जिसका फायदा भारत के टेक्सटाइल, गारमेंट और लेदर एक्सपोरटर्स को होगा। एनेलिस्ट कहते हैं कि इन प्रॉडक्ट्स की कंपीटिटिवनैस बढऩे से बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया जैसे प्रतिद्वंद्वियों को चैलेंज करने की स्थिति में भारत पहुंच सकता है। इस एग्रीमेंट में टेक्सटाइल और गारमेंट सैक्टर की 1,100 से अधिक टैरिफ लाइनों के लिए •ाीरो-ड्यूटी एक्सैस में शामिल किया गया है। टैरिफ बैरियर के कारण भारत को पहले नुकसान होता था क्योंकि कंपीटिटर देशों को यूके के मार्केट में ड्यूटी-फ्री एक्सैस मिला हुआ था। भारत ब्रिटेन में चौथा सबसे बड़ा गारमेंट एक्सपोर्टर है और इसका मार्केट शेयर 6.1 परसेंट। भारत का टार्गेट दो साल में यूके के इस मार्केट में अपने शेयर को 5 परसेंट तक बढ़ाने का है। भारत का कुल गारमेंट्स एंड टेक्सटाइल एक्सपोर्ट $36.71 बिलियन डॉलर का है जिसमें यूके को 1.79 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट होता है। साथ ही भारत के लेदर और फुटवीयर सैक्टर का यूके में होने वाला एक्सपोर्ट 100 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है जिससे भारत इस सैक्टर में टॉप तीन सप्लायर में शामिल हो सकता है। डेयरी, सेब, ओट्स और खाद्य तेल रहेंगे बाहर : भारत ने डेयरी उत्पाद, सेब और ओट्स (जई), तथा खाद्य तेल आदि को जीरो ड्यूटी या रियायती पहुंच से बाहर रखा गया है। इन उत्पादों पर भारत पहले से ही आयात को लेकर सतर्क रुख अपनाता रहा है, ताकि घरेलू किसानों, डेयरी फार्मर और खाद्य तेल उद्योग की रक्षा की जा सके। इन क्षेत्रों में किसानों और सहकारी संस्थानों का सीधा हित होने के कारण भारत ने इन्हें संवेदनशील श्रेणी में रखा है। इसी तरह सेब और खाद्य तेल के उत्पादन से जुड़े लाखों किसान ऐसे सस्ते आयात के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं जो घरेलू कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।
वॉच द स्कॉच : इंडिया-यूके के बीच हुए सेटा एग्रीमेंट ने सोमरस के शौकीनों के लिए माहौल सैट कर दिया है। क्योंकि यूके की इंपोर्टेड स्कॉच व्हिस्की और जिन पर भारत ने टैरिफ 150 परसेंट से घटाकर 75 परसेंट कर दिया गया है। जिससे कई इंपोर्टेड व्हिस्की ब्रांड अब भारत में कहीं सस्ते मिलेगें। सबसे ज्यादा प्राइस कट चिवास रीगल, द ग्लेनलिवेट आदि में होगा। इसके अलावा डियाजियो के प्रमुख स्कॉच ब्रांड जैसे जॉनी वॉकर, सिंगलटन, टैलिस्कर की प्राइस में भी बड़ी कटौती होगी। टैरिफ तुरंत 150 से घटाकर 75 परसेंट हो जाएगी अगले 10 वर्ष में इसे और घटाकर 40 परसेंट किया जाएगा। ...लेकिन उतावले होने की जरूरत नहीं है अभी इस एग्रीमेंट को लागू होने में कम से कम एक साल लगेगा।
