क्यू इंडिया यूके लि. के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट अरविंद चारी ने कहा है कि भारत को हर साल 200 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट मिल सकता है। अभी भारत का एफडीआई करीब 80 बिलियन डॉलर का है। चारी के अनुसार ग्लोबल इंवेस्टरअमेरिका और चीन में अपने पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने लगे हैं। अभी भारत को साल में केवल जीडीपी का 2.5 परसेंट ही एफडीआई, एफपीआई और ईसीबी (एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग) के जरिए मिलता है। लेकिन भारत डवलपमेंट के जिस चरण में है और भारत की मार्केट इकोनॉमी के खुलेपन को देखते हुए जीडीपी का कम से कम 5 परसेंट फॉरेन इंवेस्टमेंट मिलना चाहिए। भारत का जीडीपी करीब 4 ट्रिलियन डॉलर का है इस लिहाज से 5 परसेंट 200 बिलियन डॉलर होते हैं। यानी भारत में हर साल 200 बिलियन डॉलर का फॉरेन कैपिटल इंफ्लो होना चाहिए। चारी के अनुसार यदि ग्लोबल इंवेस्टर अमेरिका में अपने इंवेस्टमेंट को केवल 10 परसेंट भी कम कर दें तो 4 ट्रिलियन डॉलर की कैपिटल फ्री हो जाएगी और इसका पांच परसेंट भी भारत के हिस्से में आता है तो पूरे 200 बिलियन डॉलर सालाना होंगे। चारी के अनुसार ग्लोबल इंवेस्टर अपने रिटर्न का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं और पोस्ट-कोविड, यूक्रेन वॉर आदि के हालातों के लिहाज से देशों की परफॉर्मेन्स विश्वसनीयता का भी पुनर्मूल्यांकन कर रही है। ग्लोबल इंवेस्टर चीन में रूल ऑफ लॉ (कानून का शासन) की कमी और अमेरिका में बढ़ते संरक्षणवाद को देखते हुए भी अपने प्लान को रिव्यू कर रहे हैं और बंटे हुए ग्लोबल ऑर्डर में भारत को स्थिर विकल्प के रूप में देख रहे हैं। वे कहते हैं 100 बिलियन डॉलर इंफ्रास्ट्रक्चर, वेंचर कैपिटल और रियल एस्टेट में और बाकी 100 बि. डॉलर का इक्विटी और डेट मार्केट में आसानी से खप सकते हैं। भारत का इक्विटी मार्केट का वेल्यूएशन 4 ट्रिलियन डॉलर और बॉन्ड मार्केट का लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर है।