रियल एस्टेट सैक्टर में भी शेयरमार्केट की ही तरह आत्मनिर्भर भारत की हवा बह रही है। वर्ष 2025 की पहली छमाही (जनवरी-जून2025) में जहां रियल एस्टेट सैक्टर में घरेलू संस्थागत निवेश (डीआईआई) में तेज उछाल दर्ज किया गया, वहीं विदेशी निवेशकों ने मुट्ठी कस ली। कोलियर्स की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार बदलते मैक्रोइकॉनॉमिक हालात, क्रेडिट प्रवाह और महंगाई के दबावों के बीच विदेशी संस्थागत निवेश 39' घटकर केवल 1.6 बिलियन डॉलर रह गया। हालांकि एफआईआई के इंवेस्टमेंट में कमी आने के बावजूद कुल इंवेस्टमेंट में विदेशी पूंजी की हिस्सेदारी 50% से अधिक रही और इसका ज्यादातर कारण मिक्स्ड-यूज और रिटेल प्रॉपर्टीज की ओर बढ़ती रुचि है। एक ओर जहां एफआईआई का भारत के रियल एस्टेट सैक्टर में निवेश पहली छमाही में घट गया वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 53 परसेंट की बढ़त के साथ 1.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया। इस तरह रियल एस्टेट सैक्टर में पहली छमाही में हुए कुल कैपिटल इनफ्लो का 48 परसेंट रहा। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय संस्थागत निवेशक अब कोर असैट क्लास में रियल एस्टेट गतिविधियों के प्रमुख ग्रोथ ड्राइवर बनते जा रहे हैं। 2025 की पहली तिमाही में स्थिर शुरुआत के बाद, दूसरी तिमाही (अप्रेल-जून2025) में भारत के रियल एस्टेट सैक्टर में संस्थागत निवेश 1.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, इस तरह दोनों तिमाहियों (पहली छमाही) में कुल निवेश 3 बिलियन डॉलर रहा। यह आंकड़ा भले ही वर्ष 2024 की पहली छमाही के मुकाबले 15 परसेंट कम हो, फिर भी यह 2021 से अब तक की औसत अर्धवार्षिक निवेश राशि (2.6 बिलियन डॉलर) से अधिक रहा। इससे संकेत मिलता है कि रियल एस्टेट सैक्टर में इंवेस्टर्स की रुचि बनी हुई है। कोलियर्स इंडिया के सीईओ, बादल याग्निक ने कहा, घरेलू निवेशकों की रियल एस्टेट सैक्टर में बढ़ती भागीदारी ने वैश्विक अनिश्चितताओं के असर को संतुलित करने में मदद की है और कुल निवेश को 3 बिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंचा दिया है। घरेलू निवेश का 60 परसेंट से अधिक हिस्सा रेजिडेंशियल और ऑफिस प्रॉपर्टी में लगाया गया है। इससे पता चलता है कि इन कोर सेगमेंट्स में इंवेस्टर्स कॉन्फिडेंस बना हुआ है। उन्होंने कहा कि घरेलू पूंजी से भारत के मैच्यॉर होते रियल एस्टेट ईकोसिस्टम में लॉन्गटर्म स्टेबिलिटी लाने में मदद करेगी।
होम एंड ऑफिस : रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज में इस दौरान 0.8 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट हुआ जो वर्ष 2025 की पहली छमाही में हुए कुल इंवेस्टमेंट का 27 परसेंट था, जबकि ऑफिस प्रॉपर्टीज में कुल इंवेस्टमेंट का 24 परसेंट शेयर लगा। मिक्स्ड-यूज प्रॉपर्टीज में निवेश तेजी से बढ़ा है। पिछले वर्ष की पहली छमाही में कुल इंवेस्टमेंट में मिक्स्ड-यूज प्रॉपर्टीज का शेयर केवल 7 परसेंट था जो वर्ष 2025 की पहली छमाही में बढक़र 20 परसेंट हो गया। इस दौरान रिटेल और वैकल्पिक प्रॉपर्टीज में पहली छमाही में कुल 0.5 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट हुआ। कोलियर्स इंडिया के हेड ऑफ रिसर्च विमल नाडर के अनुसार एंड-यूजर डिमांड और अफोर्डेबिलिटी के कारण संस्थागत निवेशकों का भरोसा बना हुआ है। रिटेल सेगमेंट में भी तेज रिकवरी हो रहा है। इससे भारत में बढ़ते कंजम्पशन, अर्बनाइजेशन और लाइफस्टाइल में आ रहे बदलाव का अंदाजा होता है। रीट्स और अन्य संस्थागत निवेशक प्रमुख बाजारों में अच्छी रिटेल प्रॉपर्टीज तलाश रहे हैं जिससे अगली कुछ तिमाहियों में और तेजी की उम्मीद है। मैक्सीमम सिटी : वर्ष 2025 की पहली छमाही में हुए कुल इंवेस्टमेंट का 22 परसेंट अकेले मुंबई में हुआ। मुंबई में ज्यादातर ऑफिस प्रॉपर्टीज में हुई कई बड़ी डील्स के कारण इंवेस्टमेंट में ग्रोथ हुई है। वहीं बेंगलुरु ने इस अवधि में कुल निवेश का 17 परसेंट यानी करीब 0.5 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया। यहां रेजिडेंशियल और ऑफिस प्रॉपर्टीज की कुल हिस्सेदारी 57 परसेंट रही।
