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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

17-05-2025

इंडिया एक्सपोर्ट की हाईटेक रिपोर्ट

  •  भारत की एक्सपोर्ट बास्केट की कायापलट हो रही है। इसमें इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रेसिजन मैन्युफैक्चरिंग आइटम का शेयर बढ़ा रहा है वहीं एडवांस्ड इकोनॉमीज मेक इन इंडिया एक्सपोर्ट के नए ठिकाने बन रहे हैं। मोदी सरकार ने 2025 तक जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का शेयर 25 परसेंट तक बढ़ाने का टार्गेट रखा था। लेकिन हो उलटा गया। पिछले वित्त वर्ष में घटकर 13 परसेंट रह गया। लेकिन पिछले 11 साल में मैन्युफैक्चरिंग जीवीए (ग्रॉस वेल्यू एडिशन) में तेज ग्रोथ हुई है। वित्त वर्ष 2014-14 में भारत का मैन्युफैक्चरिंग जीवीए 300 बिलियन डॉलर यानी 22.57 लाख करोड़ रुपये का था जो वित्त वर्ष 23-24 में 450 बिलियन डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसका सीधा अर्थ है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग बेस का विस्तार हो रहा है और इसका फायदा देश को एक्सपोर्ट के मोर्चे पर हो रहा है। वित्त वर्ष 25 में भारत के गुड्स एक्सपोर्ट में एग्री, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग गुड्स का शेयर बहुत तेजी से बढ़ते हुए कुल एक्सपोर्ट में 50 परसेंट के लेवल को पार कर गया। साथ में लगी टॉप एक्सपोर्ट आइटम्स की लिस्ट को देखने से पता चलता है कि जहां जेम्स एंड ज्यूलरी और गारमेंट्स जैसे परंपरागत एक्सपोर्ट आइटम्स का शेयर घट रहा है वहीं इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोलियम, फार्मा और केमिकल्स के एक्सपोर्ट में तेज ग्रोथ हुई है। यानी साफ है कि मेक इन इंडिया हाईटेक प्रेसिजन मैन्युफैक्चरिंग वाले आइटम्स का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है। पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में सबसे बड़ा योगदान इंजीनियरिंग गुड्स का रहा। इस दौरान देश से कुल 437.42 बिलियन डॉलर के गुड्स का एक्सपोर्ट हुआ जिसमें इंजीनियरिंग गुड्स 26.67 परसेंट शेयर के साथ सबसे बड़ी कैटेगरी थी और 100 बिलियन डॉलर के लेवल को पार करने वाली भारत की यह पहली गुड्स एक्सपोर्ट कैटेगरी है। इसी तरह एग्री, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स का कुल एक्सपोर्ट बास्केट में शेयर क्रमश: 11.85, 6.96 और 8.82 परसेंट रहा। विशेषरूप से इलेक्ट्रॉनिक्स का एक्सपोर्ट 32.46 परसेंट की ग्रोथ के साथ 29.12 से बढक़र 38.58 बिलियन डॉलर हो गया। पिछले वित्तीय 2021-22 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट 15.7 बिलियन डॉलर ही था। इंजीनियरिंग गुड्स का ज्यादातर एक्सपोर्ट अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, यूके और जर्मनी जैसे देशों को हुआ था। मेड इन इंडिया फार्मास्यूटिकल्स अब 200 से अधिक देशों तक पहुंच रहे हैं और इस कैटेगरी में भी पिछले 11 साल से लगातार ग्रोथ हो रही है। जो 2014-15 से लगातार ग्रोथ का पैटर्न बना हुआ है। वित्त वर्ष 2018 में फार्मा एक्सपोर्ट 17.28 बिलियन डॉलर का था जो वित्त वर्ष 25 में 30.47 बिलियन डॉलर हो गया। एग्रीकल्चर कैटेगरी में वित्त वर्ष 25 में मसाला एक्सपोर्ट 4.45 बिलियन डॉलर रहा। इसी तरह चावल का एक्सपोर्ट 10.4 बिलियन डॉलर के मुकाबले 12.5 बिलियन डॉलर हो गया। भारत का ग्लोबल राइस एक्सपोर्ट मार्केट में 40 परसेंट शेयर है। रोचक रूप से फल और सब्जियों का एक्सपोर्ट इस दौरान 3.7 बिलियन डॉलर से बढक़र 3.9 बिलियन डॉलर हो गया। भारत से फलों में अंगूर, अनार, आम, केले, संतरे और सब्जियों में प्याज, आलू, टमाटर, मिश्रित सब्जियां और हरी मिर्च बड़े एक्सपोर्ट आइटम हैं।

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इंडिया एक्सपोर्ट की हाईटेक रिपोर्ट

 भारत की एक्सपोर्ट बास्केट की कायापलट हो रही है। इसमें इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रेसिजन मैन्युफैक्चरिंग आइटम का शेयर बढ़ा रहा है वहीं एडवांस्ड इकोनॉमीज मेक इन इंडिया एक्सपोर्ट के नए ठिकाने बन रहे हैं। मोदी सरकार ने 2025 तक जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का शेयर 25 परसेंट तक बढ़ाने का टार्गेट रखा था। लेकिन हो उलटा गया। पिछले वित्त वर्ष में घटकर 13 परसेंट रह गया। लेकिन पिछले 11 साल में मैन्युफैक्चरिंग जीवीए (ग्रॉस वेल्यू एडिशन) में तेज ग्रोथ हुई है। वित्त वर्ष 2014-14 में भारत का मैन्युफैक्चरिंग जीवीए 300 बिलियन डॉलर यानी 22.57 लाख करोड़ रुपये का था जो वित्त वर्ष 23-24 में 450 बिलियन डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसका सीधा अर्थ है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग बेस का विस्तार हो रहा है और इसका फायदा देश को एक्सपोर्ट के मोर्चे पर हो रहा है। वित्त वर्ष 25 में भारत के गुड्स एक्सपोर्ट में एग्री, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग गुड्स का शेयर बहुत तेजी से बढ़ते हुए कुल एक्सपोर्ट में 50 परसेंट के लेवल को पार कर गया। साथ में लगी टॉप एक्सपोर्ट आइटम्स की लिस्ट को देखने से पता चलता है कि जहां जेम्स एंड ज्यूलरी और गारमेंट्स जैसे परंपरागत एक्सपोर्ट आइटम्स का शेयर घट रहा है वहीं इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, पेट्रोलियम, फार्मा और केमिकल्स के एक्सपोर्ट में तेज ग्रोथ हुई है। यानी साफ है कि मेक इन इंडिया हाईटेक प्रेसिजन मैन्युफैक्चरिंग वाले आइटम्स का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है। पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में सबसे बड़ा योगदान इंजीनियरिंग गुड्स का रहा। इस दौरान देश से कुल 437.42 बिलियन डॉलर के गुड्स का एक्सपोर्ट हुआ जिसमें इंजीनियरिंग गुड्स 26.67 परसेंट शेयर के साथ सबसे बड़ी कैटेगरी थी और 100 बिलियन डॉलर के लेवल को पार करने वाली भारत की यह पहली गुड्स एक्सपोर्ट कैटेगरी है। इसी तरह एग्री, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स का कुल एक्सपोर्ट बास्केट में शेयर क्रमश: 11.85, 6.96 और 8.82 परसेंट रहा। विशेषरूप से इलेक्ट्रॉनिक्स का एक्सपोर्ट 32.46 परसेंट की ग्रोथ के साथ 29.12 से बढक़र 38.58 बिलियन डॉलर हो गया। पिछले वित्तीय 2021-22 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट 15.7 बिलियन डॉलर ही था। इंजीनियरिंग गुड्स का ज्यादातर एक्सपोर्ट अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, यूके और जर्मनी जैसे देशों को हुआ था। मेड इन इंडिया फार्मास्यूटिकल्स अब 200 से अधिक देशों तक पहुंच रहे हैं और इस कैटेगरी में भी पिछले 11 साल से लगातार ग्रोथ हो रही है। जो 2014-15 से लगातार ग्रोथ का पैटर्न बना हुआ है। वित्त वर्ष 2018 में फार्मा एक्सपोर्ट 17.28 बिलियन डॉलर का था जो वित्त वर्ष 25 में 30.47 बिलियन डॉलर हो गया। एग्रीकल्चर कैटेगरी में वित्त वर्ष 25 में मसाला एक्सपोर्ट 4.45 बिलियन डॉलर रहा। इसी तरह चावल का एक्सपोर्ट 10.4 बिलियन डॉलर के मुकाबले 12.5 बिलियन डॉलर हो गया। भारत का ग्लोबल राइस एक्सपोर्ट मार्केट में 40 परसेंट शेयर है। रोचक रूप से फल और सब्जियों का एक्सपोर्ट इस दौरान 3.7 बिलियन डॉलर से बढक़र 3.9 बिलियन डॉलर हो गया। भारत से फलों में अंगूर, अनार, आम, केले, संतरे और सब्जियों में प्याज, आलू, टमाटर, मिश्रित सब्जियां और हरी मिर्च बड़े एक्सपोर्ट आइटम हैं।


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