विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने कहा कि सोने के दाम में रिकॉर्ड तेजी के कारण भारत में मूल्यवान धातु की मांग अप्रैल-जून तिमाही में 10 प्रतिशत घटकर 134.9 टन रही। एक साल पहले इसी तिमाही में मांग 149.7 टन थी। डब्ल्यूजीसी ने ‘स्वर्ण मांग रुख, दूसरी तिमाही 2025’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा कि मूल्य के लिहाज से, इस साल दूसरी तिमाही में सोने की मांग 30 प्रतिशत बढक़र 1,21,800 करोड़ रुपये हो गई। जबकि 2024 की इसी तिमाही में यह 93,850 करोड़ रुपये थी। कीमतें पहली बार 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गईं। सोने की बढ़ती कीमतों ने देश में आभूषणों की मांग को प्रभावित किया। आलोच्य तिमाही के दौरान यह 17 प्रतिशत घटकर 88.8 टन रह गई, जबकि 2024 की इसी तिमाही में यह 106.5 टन थी। हालांकि, मूल्य के अनुसार आभूषणों की मांग 20 प्रतिशत बढक़र 80,150 करोड़ रुपये रही, जो 2024 की अप्रैल-जून तिमाही में 66,810 करोड़ रुपये थी। डब्ल्यूजीसी के क्षेत्रीय सीईओ (भारत) ने कहा कि जब हम 2025 की दूसरी तिमाही में भारत के स्वर्ण बाजार के प्रदर्शन पर गौर करते हैं, तो यह स्पष्ट है कि हम उपभोक्ता व्यवहार में एक महत्वपूर्ण मोड़ देख रहे हैं। भौतिक सोने की मांग 10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 134.9 टन रहने के बावजूद, मूल्य के लिहाज से मांग 30 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि के साथ बढ़ी है। यह सोने की बढ़ती कीमत को दर्शाता है। औसत तिमाही वैश्विक मूल्य प्रति औंस 3,280.4 डॉलर तक पहुंच गया है। वहीं घरेलू मूल्य प्रति 10 ग्राम 90,306.8 रुपये पर रहा। यह दर्शाता है कि सुरक्षित-संपत्ति के रूप में सोने की मांग बरकरार है। उन्होंने कहा कि जनवरी से जून तक कुल सोने की मांग लगभग 253 टन रही। इसके साथ हम पूरे वर्ष की मांग 600 टन से 700 टन के बीच रहने की उम्मीद कर रहे हैं। अगर कीमत के स्तर पर स्थिरता है, तो यह 700 टन के ऊपरी स्तर पर हो सकती है। हालांकि, यदि कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ती रहीं, जिसकी संभावना बहुत ही कम है, तो मांग इस अनुमान से कम हो सकती है।