देश की वर्कफोर्स के बारे में एक चीज देखने में आई है और वह यह है कि वे आत्मविश्वास में मामले में तो विश्व में हाई लेवल पर है लेकिन संतुष्टि के पैमाने पर कमजोर है। मैनपावरगु्रप की ग्लोबल रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 93 प्रतिशत इंडियन वर्कर्स स्किल्स को लेकर कॉन्फीडेंट हैं। यह भरोसा रखते हैं कि वे अपनी क्षमताओं के अनुसार बेस्ट परफॉर्म कर लेंगे। जो भी रोल मिलेगा, बेहतर रूप में उसे कर पायेंगे लेकिन 65 प्रतिशत को जॉब संतुष्टि है। ऐसे में बिजनस लीडर्स और पॉलिसी मेकर्स के लिये यह चिंताजनक बात है। जिस देश की वर्कफोर्स को बेस्ट परफॉर्मेंस का भरोसा हो, इससे बेहतर बात और क्या हो सकती है। भारत जो कि ग्लोबल टेलेंट पावरहाउस के रूप में इमर्ज हो रहा है, वह इस बात की चुनौति झेल रहा है कि उसके पास आत्मविश्वासी लेकिन रेस्टलैस वर्कफोर्स है। मैनपावरगु्रप इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार भारतीय वर्कफोर्स में गजब का आत्मविश्वास है लेकिन यह उनकी संतुष्टि को बया नहीं कर रहा। रिपोर्ट मार्च-अपे्रल, 2025 के बीच करीब एक हजार इंडियन वर्कर्स से मिले रेस्पांस के आधार पर तैयार की गई। इसके अनुसार वर्कफोर्स टेक्नोलॉजिकली सशक्त, मेंटली तैयार लेकिन इमोशनली अंडरनरिश्ड हैं। 93 प्रतिशत ने कहा कि काम उनकी वैल्यूज के साथ बेहतर तालमेल बैठा रहा है लेकिन 60 प्रतिशत को डेली का स्ट्रेस एक्सपीरियंस करवा रहा है। यह ग्लोबल एवरेज से ज्यादा है। एक चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 29 प्रतिशत जैनरेशन जेड ने लो जॉब सैटिसफैक्शन की बात कही। 66 प्रतिशत ने हाई स्ट्रेस की बात कही और यह तो बेहद चिंता का विषय है। यदी युवा पीढ़ी यह अनुभव कर रही है, तो यह पॉलिसी मेकर्स के लिये कान खड़े करने वाली बात है। फ्रंटलाइन और ब्लू कॉलर वर्कर्स भी इस चुनौति से रूबरू हैं। 81 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स डेली स्ट्रेस का अनुभव कर रहे हैं। 100 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने काम में मतलब महसूस कर रहे हैं। कॉन्फीडेंस के मामले में ग्लोबल स्कोर 93 प्रतिशत है। केवल 54 प्रतिशत ने यह कहा कि आने वाले छह माह के लिये वे अपने जॉब में सुरक्षित महसूस करते हैं लेकिन उनकी बात में उत्तेजना झलक रही थी।
