भारत की ऑटो इंडस्ट्री किसी सूमो रैसलर से कम नहीं है। हालांकि वित्त वर्ष 25 में यह रैसलर फटीग के कारण ब्रीदर मोड में चला गया। माना जा रहा है कि पिछले वित्त वर्ष में ग्रोथ का लॉस झेलकर भी इंडस्ट्री आने वाले सालों में हाईग्रोथ के लिए अपने आपको तैयार कर रही है। हालांकि चैलेंज को नकारा नहीं जा सकता लेकिन बड़े प्लेयर ग्रोथ की नई वेव की सवारी करने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। लगातार हो रहे पॉलिसी चेंज, कंज्यूमर प्रिफरेंस में आ रहे बदलाव और प्रॉडक्ट डवलपमेंट स्ट्रेटेजी के कारण कंपनियों को नए ग्रोथ ड्राइवर दिखाई दे रहे हैं। हालांकि वित्त वर्ष 25 की दूसरी छमाही में रिटेल सेल्स पर बहुत ज्यादा दबाव रहा लेकिन ऑटो इंक पैनिक मोड में नहीं दिखी। इसका बड़ा कारण मैक्रो इकोनॉमिक नहीं बल्कि कंज्यूमर सेंटिमेंट में डिप था और वह भी स्मॉल एंड कॉम्पेक्ट कार सैगमेंट में। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चुनाव के बाद पॉलिटिकल अस्थिरता की आशंका घर कर जाने, रूरल रिकवरी में ज्यादा भरोसा पैदा नहीं होने और रेगुलेटरी बदलावों के मिले जुले असर के कारण ऑटो इंक की परफॉर्मेन्स थोड़ी कमजोर रही। लेकिन इंडस्ट्री रिपोर्ट पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के आंकड़ों को लेकर थोड़ा पसोपेश में हैं क्योंकि ट्रेक्टर, टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर में जहां वॉल्यूम करेक्शन दर्ज किया गया वहीं पैसेंजर वेहीकल्स और कमर्शियल वेहीकल्स में रिकवरी दिखी। साथ में लगी टेबल को देखने से साफ पता चलता है कि ग्लूम और डूम के हालात न सही लेकिन ग्रोथ होराइजन को लेकर अभी क्लेरिटी नहीं है। साल-दर-साल ट्रैक्टर सेल्स में 20 परसेंट की ग्रोथ हुई लेकिन तिमाही सेल्स में 28 परसेंट का बड़ा करेक्शन दर्ज किया गया। इसी तरह सालाना सेल्स में टू-व्हीलर को जहां 6 परसेंट का फायदा हुआ वहीं तिमाही सेल्स के लिहाज से 4 परसेंट का घाटा उठाना पड़ा। इसी तरह थ्री-व्हीलर सैगमेंट में सालाना आधार पर 5 परसेंट की ग्रोथ हुई लेकिन तिमाही सेल्स 6 परसेंट घट गई। ऑटो इंक के लिए राहत की बात यह है कि जहां पीवी की सालाना सेल्स में 5 परसेंट की ग्रोथ हुई वहीं तिमाही आधार पर इसमें 6 परसेंट ग्रोथ दर्ज की गई। इसी तरह कमर्शियल वेहीकल्स सैगमेंट में सालाना आधार पर सेल्स फ्लेट रही लेकिन तिमाही ग्रोथ 6-22 परसेंट की रेंज में रही। प्रीमियम और मिड-सेगमेंट में मजबूत मांग के कारण पैसेंजर वेहीकल्स में डबल डिजिट ग्रोथ का अनुमान है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि टू-व्हीलर सैगमेंट में टीवीएस मोटर और आयशर मोटर्स शो-स्टॉपर बनकर उभरेंगे। टीवीएस को अर्बन रिकवरी और प्रीमियमाइजेशन के ट्रेंड का फायदा हो रहा है जबकि रॉयल एनफील्ड घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। पैसेंजर वेहीकल सैगमेंट में महिंद्रा एंड महिंद्रा मजबूत एसयूवी पोर्टफोलियो, मजबूत ऑर्डर बुक और डायनामिक एग्री डिविजन के कारण सबसे आगे है। रिपोर्ट के अनुसार आठवें वेतन आयोग के कारण अगले वित्त वर्ष में टू-व्हीलर और एंट्री-लेवल कार सेगमेंट में मांग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वहीं मॉनसून अच्छा रहने से रूरल इकोनॉमी और ट्रेक्टर सेल्स को फायदा होगा। मैक्वायरी कैपिटल के एनेलिस्ट आशीष जैन के अनुसार वित्त वर्ष 25 पीवी के लिए एक मौन वर्ष रहा है, लेकिन पूरी तरह से निराशाजनक नहीं है। मजबूत त्योहारी सीजन के बाद विशेष रूप से एंट्री-लेवल सेगमेंट में कमजोरी आने का पूरे सैगमेंट पर असर दिखा है।
