डी बीअर्स का ये स्लोगन तो आपने सुना ही होगा...डायमंड इ•ा फोरएवर यानी हीरा है सदा के लिए। लेकिन अब डायमंड यानी हीरा अपनी चमक खो रहा है और डिमांड व प्राइस दोनों लिहाज से क्राइसिस में है। हीरा भले ही ना रहा हो सदा के लिए लेकिन अपना....जीरा है सदा के लिए। वाकई भरोसा नहीं होता ना लेकिन सच है क्योंकि इसका ग्लोबल मार्केट अभी 2.16 बिलियन डॉलर का है जो 5 परसेंट ग्रोथ के साथ 2029 तक करीब 3 बिलियन डॉलर (25 हजार करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा। लेकिन हमारी कहानी जीरा कमोडिटी की नहीं बल्कि इसे लेकर हो रहे एक्सपेरिमेंट्स की है। आपने देखा होगा जीरा अब किचन से निकल कर पार्टी ड्रिंक में शामिल हो रहा है। थिंकटैंक इक्रायर के अनुसार भारत का बिवरेज (पेय पदार्थ) मार्केट फिलहाल लगभग 67 हजार करोड़ का है और वर्ष 2030 तक इसके 1.47 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। बिवरेज की इस ग्रोथ में देसी ब्रांड्स बड़े फैक्टर बनकर सामने आ रहे हैं। मार्केट रिसर्च एजेंसी मिंटेल की 2023 की रिपोर्ट बताती है कि 45 परसेंट हिंदुस्तानी कंज्यूमर पैक्ड नॉन-अल्कोहलिक ड्रिंक्स में देसी फ्लेवर को आजमाना पसंद करते हैं। इंडियन किचन तक सीमित रहा जीरा अब सॉफ्ट ड्रिंक्स को भी नया फ्लेवर दे रहा है। पार्ले एग्रो की डायरेक्टर नादिया चौहान के अनुसार जीरा फ्लेवर्ड सॉफ्ट ड्रिंक का मार्केट हालांकि अभी अनऑर्गेनाइज्ड ही है फिर भी 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये के लेवल को पार कर चुका है। पंजाब की आर्चियन फूड्स जैसी कंपनियाँ की शुरुआत एक देसी किचन से हुई थी लेकिन अब लाहौरी जीरा, कच्चा आम, शिकंजी और नींबू पानी जैसे देसी फ्लेवर वाले ड्रिंक्स बना रही हैं। यह कंपनी रोज 20 लाख बोतल बनाती है और पिछले वर्ष इसका रेवेन्यू 312 करोड़ रुपये रहा था। हाल ही में इसमें मोतीलाल ओसवाल ने 200 करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट किया है। इस सैक्टर में जीरू और बिंदु जैसे अन्य ब्रांड भी शामिल हैं। कोका-कोला ने भी पार्ले का रिमजिम नाम का जीरा ड्रिंक रीलॉन्च किया है। एनेलिस्ट कहते हैं हेल्थ को लेकर सजगता बढऩे के कारण नेचरल और लो-शुगर ड्रिंक्स का चलन बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस कैटेगरी में सेल्स दोगुनी होकर 700-750 करोड़ तक पहुंच चुकी है। 36 परसेंट हिंदुस्तानी कंज्यूमर ने माना कि वे पैक्ड ड्रिंक्स में शुगर को लेकर सजग हैं। इस कैटेगरी में देसी ब्रांड्स ग्रोथ ड्राइवर बने हुए हैं। पोल्का पॉप नाम का फ्लेवर्ड स्पार्कलिंग वॉटर ब्रांड फ्रूट बेस्ड नेचरल इंग्रीडियंट्स का उपयोग करता है। इसके फाउंडर गौरव खेमका कहते हैं इस वर्ष पांच गुना ग्रोथ हुई है। हैबिट वेलनेस और यू फूड्स जैसी कंपनियां नेचरल एंड प्यॉर नारियल पानी पैक कर ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं। इसी तरह दादु फूड्स नाम की कंपनी जामुन, केसर और अंजीर जैसे नेचरल फ्लेवर में ड्रिंक्स बना रही है और सालाना 20 परसेंट ग्रोथ हो रही है। रिलायंस कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स अगले 12-15 महीनों में अपनी ड्रिंक्स एंड बिवरेज कैटेगरी पर 8 हजार करोड़ का इंवेस्टमेंट कर रही है। कंपनी अभी कैंपा कोला, सोस्यो, रसकिक और इंडिपेंडेंस वॉटर जैसे ब्रांड ऑपरेट कर रही है। कंपनी ने स्पिनर नाम से स्पोर्ट्स ड्रिंक भी लॉन्च किया है जिसके ब्रांड एंबेसेडर मुथैया मुरलीधरन हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में रिलायंस कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स का रेवेन्यू 11,500 करोड़ था जिसमें कैंपा और इंडिपेंडेंस दोनों 1 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच चुके हैं। हालांकि यह बहुत प्राइस सेंसिटिव मार्केट है। अभी रिलायंस कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स की स्ट्रेटेजी पेप्सी और कोका-कोला ने 20-40 परसेंट कम प्राइस पर चलने की है। स्पिनर स्पोर्ट्स ड्रिंक की 250 मिली बोतल 10 रुपये की है। लाहौरी जीरा की ज्यादातर सेल्स 10 रुपये पैक की है। लेकिन एरेटेड ड्रिंक्स पर 28 परसेंट जीएसटी और 12 परसेंट सेस लगता है। इसलिए रिटेलर इन्हें ज्यादातर 24 बोतल के पार्र्टी पैक में बेचते हैं।