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28-10-2025

ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियां नियमों का कर रहीं उल्लंघन : कैट

  •  अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया है कि देश में कई ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियां नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। सांसद और कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने पत्र में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इनमें से कई कंपनियां पूरी तरह से मौजूदा कानूनी और नीतिगत ढांचों का लगातार उल्लंघन कर रही हैं और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को कमजोर कर रही हैं। इससे छोटे एवं मध्यम आकार के व्यापारियों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार के स्पष्ट एफडीआई दिशानिर्देशों और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के बावजूद, कई प्लेटफॉर्म मार्केटप्लेस की आड़ में इन्वेंट्री-आधारित मॉडल के रूप में काम करना जारी रखे हुए हैं और भारी छूट के साथ उत्पादों की कीमतों को बेहद कम रख रही हैं और चुनिंदा विके्रताओं को तरजीही व्यवहार प्रदान कर रहे हैं। ये सभी कार्य कानून का सीधा उल्लंघन हैं। आगे कहा कि ये कंपनियां स्थानीय व्यापार मानदंडों का भी उल्लंघन कर रही हैं, लाइसेंसिंग और डिलीवरी सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी कर रही हैं और पारंपरिक खुदरा इकोसिस्टम को बाधित कर रही हैं। इस तरह की प्रथाएं न केवल अपारदर्शी हैं, बल्कि लाखों छोटे व्यापारियों और आस-पड़ोस की दुकानों की आजीविका के लिए भी खतरा हैं, जो भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सरकार से तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए, खंडेलवाल ने मंत्रालय से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और एफडीआई नीति के तहत ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स के लिए विशिष्ट नियामक दिशानिर्देश तैयार करने और उल्लंघनों के लिए दंडात्मक प्रावधानों के साथ मौजूदा कानूनों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

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ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियां नियमों का कर रहीं उल्लंघन : कैट

 अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया है कि देश में कई ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियां नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। सांसद और कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने पत्र में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इनमें से कई कंपनियां पूरी तरह से मौजूदा कानूनी और नीतिगत ढांचों का लगातार उल्लंघन कर रही हैं और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को कमजोर कर रही हैं। इससे छोटे एवं मध्यम आकार के व्यापारियों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार के स्पष्ट एफडीआई दिशानिर्देशों और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के बावजूद, कई प्लेटफॉर्म मार्केटप्लेस की आड़ में इन्वेंट्री-आधारित मॉडल के रूप में काम करना जारी रखे हुए हैं और भारी छूट के साथ उत्पादों की कीमतों को बेहद कम रख रही हैं और चुनिंदा विके्रताओं को तरजीही व्यवहार प्रदान कर रहे हैं। ये सभी कार्य कानून का सीधा उल्लंघन हैं। आगे कहा कि ये कंपनियां स्थानीय व्यापार मानदंडों का भी उल्लंघन कर रही हैं, लाइसेंसिंग और डिलीवरी सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी कर रही हैं और पारंपरिक खुदरा इकोसिस्टम को बाधित कर रही हैं। इस तरह की प्रथाएं न केवल अपारदर्शी हैं, बल्कि लाखों छोटे व्यापारियों और आस-पड़ोस की दुकानों की आजीविका के लिए भी खतरा हैं, जो भारत की खुदरा अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सरकार से तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान करते हुए, खंडेलवाल ने मंत्रालय से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और एफडीआई नीति के तहत ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स के लिए विशिष्ट नियामक दिशानिर्देश तैयार करने और उल्लंघनों के लिए दंडात्मक प्रावधानों के साथ मौजूदा कानूनों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया।


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