सरकार की एक समिति ने एआई डवलपर्स के लिए कॉपीराइट वर्क पर अनिवार्य ब्लैंकेट लाइसेंस का प्रस्ताव रखा है। समिति की सिफारिश के अनुसार, इस लाइसेंस से कॉपीराइट धारकों को रॉयल्टी अधिकार का अधिकार दिया जाना चाहिए ताकि कॉपीराइट ओनर को उचित मुआवजा मिल सके। प्रस्तावित मॉडल को लेकर डीपीआईआईटी ने आमजन और सभी स्टेकहोल्डर्स से विचार मांगे हैं। अतिरिक्त सचिव हिमानी पांडे की अगुवाई वाली इस कमेटी में कानूनी विशेषज्ञ, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं। समिति ने एआई सिस्टम से जुड़े मुद्दों की पहचान, मौजूदा नियमों की समीक्षा और आवश्यक सुधारों की सिफारिश करने के साथ-साथ वर्किंग पेपर तैयार किया। यह वर्किंग पेपर 8 दिसंबर को सार्वजनिक किया गया है। समिति का कहना है कि ब्लैंकेट लाइसेंस के जरिए एआई डवलपर्स को कॉपीराइट कंटेट को कानूनी रूप से इस्तेमाल कर सकेंगे। लाइसेंसिंग प्रक्रिया सरल होगी, लेन-देन की लागत कम होगी और कॉपीराइट ओनर को उचित मुआवजा मिलेगा। रॉयल्टी का मैनेजमेंट एक सिंगल अंब्रेला ऑर्गेनाइजेशन (एकल छत्र संगठन) के जरिए किया जाएगा जिसका गठन भारत सरकार करेगी। वर्किंग पेपर में कहा गया है कि जनरेटिव एआई मॉडल को ट्रेन करने के दौरान कॉपीराइट सामग्री के इस्तेमाल पर कानून बहस छिड़ गई है। समिति ने एक हाइब्रिड मॉडल अपनाने की सिफारिश की है ताकिडेटा तक आसान पहुंच के साथ स्टार्टअप और छोटे खिलाडिय़ों को भी समान अवसर मिल पाएं।