TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

03-12-2025

मेगा क्राइसिस में उतर रहा माइक्रोफाइनेंस सेक्टर

  •  बांग्लादेश के एडवाइजर (यही पद है) मोहम्मद युनुस को ग्रामीण बैंक के जरिए देश के दूरदराज में माइक्रोफाइनेंस का विस्तार करने के लिए नोबल शांति पुरस्कार मिला था। भारत में एसकेएस माइक्रोफाइनेंस के फाउंडर रहे विक्रम अकुला भी बहुत तेजी से ग्लोबल सेलेब्रिटी बनकर उभरे थे। अपने पीक पर एसकेएस माइक्रोफाइनेंस दुनिया की सबसे ज्यादा वेल्यूएशन (वर्ष 2010 में 2.10 बिलियन डॉलर यानी करीब 10 हजार करोड़ रुपये) वाली छोटे लोन देने वाली कंपनी थी। लेकिन सिर्फ 12-15 साल में खेल खत्म हो गया। कारण महंगा लोन और ज्यादा डिफॉल्ट। यूबीएस की लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का माइक्रोफाइनेंस सैक्टर लगातार स्ट्रेस में बना हुआ है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की असैट क्वॉलिटी के संकेतक लगातार खराब हो रहे हैं। ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि इस क्षेत्र के लिए संकट के बादल अभी छंटे नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर माह में माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री का पोर्टफोलियो-एट-रिस्क (क्क्रक्र ०+) में 60 आधार अंकों की महीना-दर-महीना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह इस साल की पहली छमाही में दिखे तेज तेज उछाल के बाद यह चिंताजनक है। हालांकि, सबसे बड़ी चिंता 90 दिनों से अधिक समय तक बकाया रहने वाले लोन (क्क्रक्र ९०+) में लगातार हो रही बढ़ोतरी है, जिसमें अक्टूबर में 60 आधार अंकों का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि समग्र रूप से इस सैक्टर का क्क्रक्र 24 परसेंट है लेकिन यूनिवर्स बैंकों के लिए यह आंकड़ा कहीं अधिक, 28.7 परसेंट पर पहुंच गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि बैंकिंग संस्थान इस मोर्चे पर सबसे ज्यादा दबाव में हैं। कुल माइक्रोफाइनेंस लोन अब 3.40 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। प्रदर्शन के मामले में बैंक, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और लघु वित्त बैंकों (स्मॉल फाइनेंस बैंक या एसएफबी) से पिछड़ रहे हैं। अक्टूबर में, बैंकों का क्क्रक्र ०+ 110 आधार अंक बढ़ा, जबकि एनबीएफसी के लिए यह वृद्धि मात्र 20 आधार अंकों की रही। इस वर्ष की पहली छमाही में तो बैंकों का क्क्रक्र ०+ 580 आधार अंक उछला था, जबकि एनबीएफसी ने इसी अवधि में 40 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की थी। माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा चैलेंज उसके सबसे बड़े मार्केट्स (राज्य) में क्राइसिस बढऩा है। 10 परसेंट मार्केट शेयर वाला पश्चिम बंगाल लगातार डूब रहा है, जहां क्क्रक्र 1-90 पिछले महीने के मुकाबले 70 आधार अंक बढक़र 4.9 परसेंट हो गया है। यूबीएस के मुताबिक, इसकी एक वजह एक प्रमुख माइक्रोफाइनेंस कंपनी की कलेक्शन पॉलिसी में किया गया बदलाव भी है। महाराष्ट्र में शुरुआती चूक (क्क्रक्र 1-90) का प्रदर्शन कमजोर बना हुआ है, हालांकि इसमें कुछ सुधार के संकेत नजर आ रहे हैं। कर्नाटक में कुल चूक में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन क्क्रक्र  90+ बकेट में तेज उछाल देखा गया। तमिलनाडु में स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर रही, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में क्क्रक्र ०+ में फिर से वृद्धि देखी गई, जो इन राज्यों में नए सिरे से उभरे तनाव का संकेत देता है। इन हालात के मद्देनजर, कुल माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में मार्च 2024 के बाद से 10 परसेंट और पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16 परसेंट की कमी आई है। इससे माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की बढ़ती सतर्कता और ग्राहकों के कमजोर हो रहे रीपेमेंट प्रोफाइल दोनों का अंदाजा हो सकता है।

Share
मेगा क्राइसिस में उतर रहा माइक्रोफाइनेंस सेक्टर

 बांग्लादेश के एडवाइजर (यही पद है) मोहम्मद युनुस को ग्रामीण बैंक के जरिए देश के दूरदराज में माइक्रोफाइनेंस का विस्तार करने के लिए नोबल शांति पुरस्कार मिला था। भारत में एसकेएस माइक्रोफाइनेंस के फाउंडर रहे विक्रम अकुला भी बहुत तेजी से ग्लोबल सेलेब्रिटी बनकर उभरे थे। अपने पीक पर एसकेएस माइक्रोफाइनेंस दुनिया की सबसे ज्यादा वेल्यूएशन (वर्ष 2010 में 2.10 बिलियन डॉलर यानी करीब 10 हजार करोड़ रुपये) वाली छोटे लोन देने वाली कंपनी थी। लेकिन सिर्फ 12-15 साल में खेल खत्म हो गया। कारण महंगा लोन और ज्यादा डिफॉल्ट। यूबीएस की लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का माइक्रोफाइनेंस सैक्टर लगातार स्ट्रेस में बना हुआ है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की असैट क्वॉलिटी के संकेतक लगातार खराब हो रहे हैं। ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि इस क्षेत्र के लिए संकट के बादल अभी छंटे नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर माह में माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री का पोर्टफोलियो-एट-रिस्क (क्क्रक्र ०+) में 60 आधार अंकों की महीना-दर-महीना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह इस साल की पहली छमाही में दिखे तेज तेज उछाल के बाद यह चिंताजनक है। हालांकि, सबसे बड़ी चिंता 90 दिनों से अधिक समय तक बकाया रहने वाले लोन (क्क्रक्र ९०+) में लगातार हो रही बढ़ोतरी है, जिसमें अक्टूबर में 60 आधार अंकों का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि समग्र रूप से इस सैक्टर का क्क्रक्र 24 परसेंट है लेकिन यूनिवर्स बैंकों के लिए यह आंकड़ा कहीं अधिक, 28.7 परसेंट पर पहुंच गया है। इससे साफ जाहिर होता है कि बैंकिंग संस्थान इस मोर्चे पर सबसे ज्यादा दबाव में हैं। कुल माइक्रोफाइनेंस लोन अब 3.40 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। प्रदर्शन के मामले में बैंक, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) और लघु वित्त बैंकों (स्मॉल फाइनेंस बैंक या एसएफबी) से पिछड़ रहे हैं। अक्टूबर में, बैंकों का क्क्रक्र ०+ 110 आधार अंक बढ़ा, जबकि एनबीएफसी के लिए यह वृद्धि मात्र 20 आधार अंकों की रही। इस वर्ष की पहली छमाही में तो बैंकों का क्क्रक्र ०+ 580 आधार अंक उछला था, जबकि एनबीएफसी ने इसी अवधि में 40 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की थी। माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा चैलेंज उसके सबसे बड़े मार्केट्स (राज्य) में क्राइसिस बढऩा है। 10 परसेंट मार्केट शेयर वाला पश्चिम बंगाल लगातार डूब रहा है, जहां क्क्रक्र 1-90 पिछले महीने के मुकाबले 70 आधार अंक बढक़र 4.9 परसेंट हो गया है। यूबीएस के मुताबिक, इसकी एक वजह एक प्रमुख माइक्रोफाइनेंस कंपनी की कलेक्शन पॉलिसी में किया गया बदलाव भी है। महाराष्ट्र में शुरुआती चूक (क्क्रक्र 1-90) का प्रदर्शन कमजोर बना हुआ है, हालांकि इसमें कुछ सुधार के संकेत नजर आ रहे हैं। कर्नाटक में कुल चूक में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई, लेकिन क्क्रक्र  90+ बकेट में तेज उछाल देखा गया। तमिलनाडु में स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर रही, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में क्क्रक्र ०+ में फिर से वृद्धि देखी गई, जो इन राज्यों में नए सिरे से उभरे तनाव का संकेत देता है। इन हालात के मद्देनजर, कुल माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में मार्च 2024 के बाद से 10 परसेंट और पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16 परसेंट की कमी आई है। इससे माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की बढ़ती सतर्कता और ग्राहकों के कमजोर हो रहे रीपेमेंट प्रोफाइल दोनों का अंदाजा हो सकता है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news