आज दुनिया इतिहास की सबसे बड़ी व सबसे ज्यादा संख्या में एक जेनरेशन से दूसरी जेनरेशन के हाथो में वेल्थ ट्रासफर के दौर से गुजर रही है जिसके चलते पारिवारिक रिश्तों की बदलती व बिगड़ती स्थितियों के उदाहरणों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इस दौर में लगभग हर अमीर परिवार की सबसे बड़ी चिंता अपने बच्चों को लेकर है जिन्हें डर है कि शुरू से ही वेल्दी दुनिया का हिस्सा रहे उनके बच्चे कहीं बिगड़ न जाए या उनमें तमीज और विनम्रता जैसे गुण डवलप न हो पाए। इस चिंता को हर घंटे नहीं बल्कि हर मिनट ध्यान खींचने की पॉवर रखने वाली डिजिटल डिवाइसें जैसे मोबाइल, फोन, लैपटॉप, टीवी आदि ने ज्यादा बढ़ा दिया है क्योंकि डिजिटल दुनिया के बच्चों व युवाओं पर हो रहे प्रभाव किसी से छुपे नहीं है। आज चाहे अमीर हो या मिडिल क्लास के लोग, लगभग सभी के लिए अपने बच्चों को अपने हिसाब से या जो ‘सही’ है वह बताते हुए बड़ा करना इतिहास में सबसे मुश्किल काम बन रहा है क्योंकि ‘सही’ को न मानकर विरोध करने का नेचर (प्रकृति) बच्चों में बड़ी संख्या में देखा जा सकता है। अमीर परिवार बच्चों से जुड़ी समस्याओं से ज्यादा उनसे कनेक्ट (जुड़ाव) को लेकर परेशानी का सामना करने लगे हैं यानि उन्हें यह फीलिंग होने लगी है कि उनका अपने बच्चों से कनेक्शन मजबूत नहीं है जिसके कारण वे उनकी समस्याओं तक पहुंच ही नहीं पाएंगे। अमीर परिवारों के बच्चे ऐसी जगहों पर बार-बार जाते हैं जहां लक्जरी उनके लिए नॉर्मल है और एक सीमा के बाद कई पैरेंट्स के मन में यह सवाल उठने लगा है कि कही उनके बच्चों को जरूरत से ज्यादा Privilege (विशेष लाभ) तो नहीं मिल रहा है। अमीर परिवारों के बच्चों की परेशानियां भी कम नहीं है जो उनकी सोच व मेंटल हेल्थ से ज्यादा जुड़ी हुई है। कई मामलों में इन बच्चों को यह फीलिंग होने लगती है कि उनके पैरेंट्स उन्हें अकेला छोड़ देते हैं यानि अकेलेपन की फीलिंग उनके दिमाग पर दबाव डाल रही है। इसी तरह अमीर व नामी कारोबारी परिवार का हिस्सा होने के कारण उनपर कुछ बड़ा करने या हासिल करने का इतना दबाव रहता है कि वे इस दबाव के कारण जो आसानी से कर सकते हैं वह भी नहीं कर पाते। ऐसा होने पर पैरेंट्स की उम्मीदे टूटती है व उनका बच्चों से कनेक्ट कमजोर होने लगता है यानि बच्चों से उम्मीद रखने का प्रेशर पैरेंट्स और बच्चों दोनों पर भारी पड़ रहा है।
इन समस्याओं को मैनेज करने पर कई एक्सपर्ट एक जैसी राय रखते हैं जो है परिवार की आपस में नजदिकियों को बढ़ाने के उपायों पर फोकस करना। यह सच है कि परिवारों का आपस में जुड़ाव पैसों से ज्यादा समय की कमी के कारण कमजोर पड़ता है जिसे समझते हुए कई फेमिली एक्सपर्ट अपने क्लाइंटों को परिवार के साथ समय बिताने के सुझाव देते हैं। कई परिवार आजकल एक साथ छुट्टियों पर जाने लगे हैं जिसके पीछे आपस में जुड़ाव को मजबूत करना मुख्य कारण कहा जा सकता है। इन छुट्टियों पर परिवार के सदस्य फोन से दूर रहते हैं, पहाड़ों को देखते हैं, आपस में खेलते हैं, समुद्र में डुबकी लगाते हैं, दिनभर की बातें शाम के खाने पर करते हैं, Sun Set के वक्त साथ बैठते हैं व आपस में बातें करने के Topic की संख्या बढ़ाने की कोशिशे करते हैं। अमीर परिवारों में परेशानियों के सबसे बड़े कारण आपस में कम बातचीत व रिश्तों को बनाकर रखना एक चैलेंज है, इन्हें माना गया है पर आजकल इन परिवारों को Counsel (सलाह) करने वाले कई एक्सपर्टों के ‘अच्छे दिन’ चल रहे हैं जो अमीरों की Family Problems पर काम करते हैं व परिवार के सदस्यों को एक दूसरे के करीब लाने में मदद करते हैं जिनकी फीस हजारों डॉलर या लाखों रुपये है। ऐसे एक्सपर्ट लक्जरी ट्रेवल पैकेज का हिस्सा बन रहे हैं जो परिवार के साथ छुट्टियों पर जाते हैं व उनके बीच जुड़ाव को तरह-तरह की गतिविधियों और बातों से बढ़ाते हैं। यह भले ही खुलकर न कहा जाता हो पर आज के लीडर्स, राजनेता, बड़े कारोबारी या टॉप पोजीशन पर बैठे कई लोगों के लिए अपने बच्चों की परवरिश एक दबी हुई चिंता है जो अब धीरे-धीरे मिडिल व अपर मिडिल क्लास में भी बढ़ती जा रही है जिसे मैनेज करने पर समय रहते ध्यान देने से कई समस्याओं को पनपने से रोका जा सकता है और इस काम के लिए पैसों से ज्यादा समय देने की जरूरत है, जिसे खर्चा किए बिना Common Sense से समझा जा सकता है।