प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि ऑनलाइन गेमिंग मंच विंजो के प्रवर्तकों ने एक भ्रामक एल्गोरिद्म का इस्तेमाल कर असली गेमर्स को धोखा दिया, जिससे लगभग एक वर्ष में 177 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई। संघीय जांच एजेंसी ने कंपनी के सह-संस्थापकों सौम्या सिंह राठौर और पवन नंदा को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत बेंगलुरु में गिरफ्तार किया। एक अदालत ने दोनों को दस दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया। ईडी ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने अपनी कंपनी विंजो गेम्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से पीपीपी नामक एक गुप्त और भ्रामक एल्गोरिद्म का इस्तेमाल किया और अनैतिक तथा प्रतिबंधात्मक व्यावसायिक प्रथाओं में लिप्त रहे। जांच में यह भी पाया गया कि कंपनी और उसके निदेशकों ने इस भ्रामक पीपीपी एल्गोरिद्म का उपयोग करके असली गेमर्स को धोखा दिया तथा मई 2024 से अगस्त 2025 के बीच कम से कम 177 करोड़ रुपये की अवैध धनराशि अर्जित की। एजेंसी के अनुसार, निदेशकों ने इस अवैध कमाई को विदेशी सहयोगी कंपनियों में स्थानांतरित किया और इस प्रकार वे धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के अपराध के दोषी हैं। विदेशी संस्थाओं को भेजी गई राशि का अनुमान 5.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर (489.90 करोड़ रुपये) लगाया है। आरोपियों के वकीलों ने अदालत में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए कहा कि राठौर और अन्य के यहां छापेमारी के दौरान उन्होंने ईडी के साथ पूरा सहयोग किया था और पहले समन प्राप्त होने पर दोनों प्रवर्तक दिल्ली से बेंगलुरु भी गए थे। अदालत ने उनकी दलीलें खारिज करते हुए दोनों को ईडी की हिरासत में भेज दिया। अदालत ने कहा कि एजेंसी ने उनकी गिरफ्तारी के लिए स्पष्ट आधार प्रस्तुत किया है।