नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है। उन्होंने कहा कि इससे भारत से श्रम-गहन निर्यात को प्रोत्साहन मिलता है, विदेशी मुद्रा आय बढ़ती है और रोजगार के अवसर तैयार होते हैं। प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि तथाकथित मजबूत रुपया को आर्थिक ताकत का प्रतीक मानने की सोच को त्याग दिया जाए। उन्होंने एक्स पर लिखा, प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। वास्तव में यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है क्योंकि इससे भारत से श्रम-गहन निर्यात को बढ़ावा मिलता है, विदेशी मुद्रा आय बढ़ती है और रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। रुपया मंगलवार को कारोबार के दौरान 90 प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर तक पहुंच गया और अंत में पिछले बंद भाव से 43 पैसे टूटकर अब तक के सबसे निचले स्तर 89.96 पर बंद हुआ।