चावल एक्सपोर्टर्स के एक संगठन ने कहा कि एक अगस्त से लागू होने वाले 25 प्रतिशत का अमेरिकी टैरिफ चावल एक्सपोर्ट के लिए एक अस्थायी ‘बाधा’ है। संगठन का मानना है कि भारत के पास अब भी वियतनाम और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले मूल्य लाभ बरकरार रखता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अगस्त से भारत से आने वाले सभी सामान पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की है। साथ ही रूसी कच्चे तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर जुर्माना लगाने का भी फैसला किया है। भारतीय चावल एक्सपोर्टर महासंघ (आईआरईएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा, ‘‘यह टैरिफ एक अस्थायी बाधा है, दीर्घकालिक बाधा नहीं। रणनीतिक योजना, विविधीकरण और टिकाऊपन के साथ, भारतीय चावल एक्सपोर्टर अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति को सुरक्षित रख सकते हैं और उसका विस्तार भी कर सकते हैं।’’ गर्ग ने यह भी बताया कि अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा बासमती चावल बाजार नहीं है। आईआरईएफ के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत ने कुल 52.4 लाख टन वैश्विक बासमती एक्सपोर्ट में से लगभग 2.34 लाख टन बासमती चावल अमेरिका को एक्सपोर्ट किया। पश्चिम एशिया, भारतीय बासमती चावल का प्रमुख बाजार बना हुआ है। गर्ग ने कहा कि टैरिफ लगाए जाने के बावजूद भारत मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता के मामले में बढ़त बनाए हुए है। गर्ग ने कहा, ‘‘भारतीय चावल पर नया अमेरिकी टैरिफ चीन (34%), वियतनाम (46%), पाकिस्तान (29%) और थाइलैंड (36%) जैसे प्रतिस्पर्धी देशों पर लगाए गए टैरिफों से कम है, जिससे भारतीय चावल अमेरिकी बाजार में अपेक्षाकृत अधिक प्रतिस्पर्धी बना हुआ है।’’