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05-06-2025

अच्छे मानसून का असर, कृषि से जुड़े सेक्टर्स की रेवेन्यू में 10-15% की होगी ग्रोथ

  •  अगर मानसून सामान्य से अच्छा रहता है तो चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कृषि से जुड़े सेक्टर्स जैसे ट्रैक्टर्स, एग्री-इनपुट, ग्रामीण एनबीएफसी और कंज्यूमर ड्यूरेबल की आय में 10-15 प्रतिशत की सालाना आधार पर वृद्धि हो सकती है। इसे ग्रामीण मांग में रिकवरी और लिक्विडिटी में बढ़त से भी समर्थन मिलेगा।   स्मॉलकेस मैनेजर गोलफाई की रिपोर्ट में बताया गया कि अच्छे मानसून के कारण फसल की पैदावार अच्छी रहेगी और इससे खाद्य उत्पादों की कीमतों को कम रखने में मदद मिलेगी। इस कारण 6 जून को आने वाले आरबीआई एमपीसी के निर्णय में रेपो रेट को 25 आधार अंक कम करके 5.75 प्रतिशत किया जा सकता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अगर महंगाई दर 4 प्रतिशत से कम रहती है तो आरबीआई रेपो रेट को अगस्त एमपीसी में कम करके 5.5 प्रतिशत कर सकता है। इससे ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील सेक्टर्स जैसे आवास, ऑटोमोबाइल और एनबीएफसी को बूस्ट मिल सकता है। गोलफाई के स्मॉलकेस मैनेजर और संस्थापक रॉबिन आर्य ने कहा, भारत में 2025 में एक अनोखा संगम हो रहा है, एक तरफ मानसून समय से पहले आएगा और औसत से अधिक वर्षा होगी और दूसरी तरफ निर्णायक चुनावी परिणाम नीतिगत निरंतरता के लिए मंच तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि सेक्टर्स का रोटेशन चल रहा है और सहायक मौद्रिक नीति की उम्मीद के साथ, ग्रामीण-केंद्रित और ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्र आने वाली तिमाहियों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। अच्छे मानसून का असर खाद्य महंगाई में पहले से ही दिखने लगा है। अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर 3.16 प्रतिशत तक आ गई, जबकि खाद्य महंगाई केवल 1.78 प्रतिशत रह गई है, जो कई वर्षों में सबसे निचला स्तर है। रिपोर्ट में बताया गया कि देश में उपभोग बढऩे, महंगाई कम होने और ब्याज दरों में कटौती के कारण अगली दो तिमाहियों में निफ्टी 6-8 प्रतिशत का रिटर्न दे सकता है।  सामान्य मानसून ने ऐतिहासिक रूप से ग्रामीण आय में 5-7 प्रतिशत की वृद्धि की है, इसका उपभोग से जुड़े क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पड़ता है।

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अच्छे मानसून का असर, कृषि से जुड़े सेक्टर्स की रेवेन्यू में 10-15% की होगी ग्रोथ

 अगर मानसून सामान्य से अच्छा रहता है तो चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कृषि से जुड़े सेक्टर्स जैसे ट्रैक्टर्स, एग्री-इनपुट, ग्रामीण एनबीएफसी और कंज्यूमर ड्यूरेबल की आय में 10-15 प्रतिशत की सालाना आधार पर वृद्धि हो सकती है। इसे ग्रामीण मांग में रिकवरी और लिक्विडिटी में बढ़त से भी समर्थन मिलेगा।   स्मॉलकेस मैनेजर गोलफाई की रिपोर्ट में बताया गया कि अच्छे मानसून के कारण फसल की पैदावार अच्छी रहेगी और इससे खाद्य उत्पादों की कीमतों को कम रखने में मदद मिलेगी। इस कारण 6 जून को आने वाले आरबीआई एमपीसी के निर्णय में रेपो रेट को 25 आधार अंक कम करके 5.75 प्रतिशत किया जा सकता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अगर महंगाई दर 4 प्रतिशत से कम रहती है तो आरबीआई रेपो रेट को अगस्त एमपीसी में कम करके 5.5 प्रतिशत कर सकता है। इससे ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील सेक्टर्स जैसे आवास, ऑटोमोबाइल और एनबीएफसी को बूस्ट मिल सकता है। गोलफाई के स्मॉलकेस मैनेजर और संस्थापक रॉबिन आर्य ने कहा, भारत में 2025 में एक अनोखा संगम हो रहा है, एक तरफ मानसून समय से पहले आएगा और औसत से अधिक वर्षा होगी और दूसरी तरफ निर्णायक चुनावी परिणाम नीतिगत निरंतरता के लिए मंच तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि सेक्टर्स का रोटेशन चल रहा है और सहायक मौद्रिक नीति की उम्मीद के साथ, ग्रामीण-केंद्रित और ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्र आने वाली तिमाहियों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। अच्छे मानसून का असर खाद्य महंगाई में पहले से ही दिखने लगा है। अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर 3.16 प्रतिशत तक आ गई, जबकि खाद्य महंगाई केवल 1.78 प्रतिशत रह गई है, जो कई वर्षों में सबसे निचला स्तर है। रिपोर्ट में बताया गया कि देश में उपभोग बढऩे, महंगाई कम होने और ब्याज दरों में कटौती के कारण अगली दो तिमाहियों में निफ्टी 6-8 प्रतिशत का रिटर्न दे सकता है।  सामान्य मानसून ने ऐतिहासिक रूप से ग्रामीण आय में 5-7 प्रतिशत की वृद्धि की है, इसका उपभोग से जुड़े क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पड़ता है।


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